जलवायु

कॉप-27 का समापन क्या दुनिया के लिए नई सुबह लेकर आएगा?

कॉप-27 में जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान व क्षति के लिए कोष का गठन करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया

Rohini Krishnamurthy

मिस्र के शर्म अल-शेख की 20 नवंबर 2022 की भोर पूरी दुनिया के लिए एक नया संदेश लेकर आई। यहां चल रहे कॉप-27 के समापन के साथ ही जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहे नुकसान व क्षति के लिए कोष बनाने सहित लगभग सभी एजेंडों पर सहमति जता दी गई।

इसे यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन (कॉप-27) की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

कॉप-27 के समापन पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ट्विटर पर लिखा, "मैं नुकसान और क्षति कोष स्थापित करने और आने वाले समय में इसे लागू करने के फैसले का स्वागत करता हूं। " उन्होंने कहा कि टूटे हुए भरोसे के पुनर्निर्माण के लिए यह एक बहुत जरूरी राजनीतिक संकेत है।

सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के अध्यक्ष के सलाहकार मंजीत ढकाल ने ट्विटर पर लिखा, "जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे अधिक प्रभावित विकासशील व अविकसित देशों के लिए यह ऐतिहासिक निर्णय है। ये देश नुकसान एवं क्षति कोष की लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे।"

सम्मेलन के समापन मौके पर जारी निर्णय पत्र (कवर डिसीजन) में कहा गया, " ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सभी देशों (पार्टियों) ने तत्काल, स्थायी और तेजी से कमी लाने के प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें सभी क्षेत्र जैसे कम उत्सर्जन वाले ऊर्जा क्षेत्र, अक्षय ऊर्जा में वृद्धि, ऊर्जा संरक्षण और अन्य सहकारी कदम शामिल हैं।"

19 नवंबर को जारी किए गए निर्णयों के मसौदे में कम-उत्सर्जन ऊर्जा का उल्लेख नहीं किया गया था। इसमें बाद में बदलाव किया गया।

कवर निर्णय में कोयले के इस्तेमाल में चरणबद्ध कमी लाने और अकुशल जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रस्ताव जारी रखा। नार्वे की मांग थी कि सभी जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाए। भारत और यूरोपीय संघ ने सभी जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का समर्थन किया था।

सम्मेलन में जलवायु शमन महत्वाकांक्षा को तत्काल बढ़ाने के कार्यक्रम को भी अपनाया गया। 19 नवंबर को जारी शमन कार्यक्रम में इक्विटी और सीबीडीआर (सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारी) का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (एलएमडीसी), भारत व अफ्रीकी समूह के कहने के बावजूद ऐसा किया गया। इन समूहों का कहना था कि जलवायु शमन कार्यकम को यूएनएफसीसीसी के सीबीडीआर के सिद्धांतों और वार्ता के दौरान इक्विटी द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।

इसके अलावा 2025 के बाद के जलवायु वित्त (क्लाइमेट फाइनेंस) लक्ष्य निर्धारित किए गए। साथ ही, जलवायु वित्त पर नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य और अनुकूलन पर वैश्विक लक्ष्य को भी अपनाया गया, जो वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के वैश्विक लक्ष्य के बराबर है।

सम्मेलन में पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 को भी अपनाने की घोषणा की गई, जिसमें अनुच्छेद 6.2, 6.4 और 6.8 शामिल हैं।

अनुच्छेद 6.2 जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए दो राष्ट्रों के बीच उत्सर्जन में कमी के परिणामों के द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित है। 6.4 कार्बन क्रेडिट के लिए एक बाजार बनाता है, जबकि 6.8 गैर-बाजार दृष्टिकोण से संबंधित है।

पार्टियां (वार्ताकार) अब इस बात पर सहमत हो गई हैं कि कार्बन क्रेडिट पर जानकारी को गोपनीय रखा जा सकता है, लेकिन इसमें "चाहिए" शब्द जोड़ दिया गया है।

एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट के क्लाइमेट एंड लैंड लीड मेट एडम विलियम्स ने कहा कि
पिछले संस्करण में "चाहिए" के बजाय "करेगा" का उपयोग किया गया था। "चाहिए" का अर्थ है "प्रोत्साहित", जबकि इसका अर्थ "जरूरी" होना चाहिए । उन्होंने कहा कि शब्द का वाक्यांश कमजोर हो गया है।