जलवायु

क्यों शहरों में हो सकता है ब्लैकआउट?

एक अध्ययन में पता लगाया गया है कि कैसे शहर बिजली के लिए बेहतर स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं और लगातार बढ़ते तापमान से निपटने की योजना बना सकते हैं

Dayanidhi

वैज्ञानिकों  के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी बढ़ने की आशंका है। गर्मी की वजह से ठड़ा करने वाले उपकरण बिजली की अधिक खपत करेंगे, इसका सीधा प्रभाव शहरी बिजली ग्रिडों पर पड़ेगा, ग्रिड पर दबाव बढ़ने से (ब्लैकआउट) बिजली की कटौती होने के आसार बढ़ सकते हैं।

जर्नल नेचर एनर्जी के एक विशेष अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि कैसे शहर बिजली के लिए बेहतर स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं और लगातार बढ़ते तापमान से निपटने की योजना बना सकते हैं।

2050 तक आधे से अधिक लोगों के शहरों में रहने की उम्मीद है। बिजली का मौजूदा बुनियादी ढांचा जो अधिकतर फॉसिल फ्यूल्स पर निर्भर है, यह बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। साथ ही गर्मियों में शहरों में एयर कंडीशनिंग का उपयोग युद्ध स्तर पर होगा।

जबकि जलवायु परिवर्तन एक दीर्घकालिक घटना है, शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम यह देखना चाहती थी कि शहरी मौसम से ग्रिडों पर छोटे से अंतराल में चरम मौसम का क्या प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने अधिक प्रभाव डालने वाले मौसम की घटनाओं के दौरान 30 स्वीडिश शहरों में बिजली की मांग बढ़ने और कम होने की संभावना के लिए जलवायु मॉडल का उपयोग किया। उन्होंने इस प्रयोग के दौरना ब्लैकआउट होने के अधिक आसार पाए।

प्रमुख अध्ययनकर्ता  दास परेरा ने बताया कि, चरम मौसम की घटनाओं से बिजली की आपूर्ति में 16 फीसदी की कमी सकती है जो आसानी से ब्लैकआउट का कारण बन सकती है, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।

टीम ने यह भी पाया कि बढ़ते गर्म और ठंडे दौर मौजूदा बिजली ग्रिड में अक्षय ऊर्जा आपूर्ति के इन्टग्रेशन को प्रभावित कर सकते हैं।

यह बदले में शहरी वायु गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकता है और सरकारों और शहरों को उनके कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की कोशिश के लिए एक और चुनौती बन सकता है।

स्विस इकोले पॉलिटेक्निक फेडरेल डी लुसाने में सोलर एनर्जी एंड बिल्डिंग फिजिक्स लेबोरेटरी के पेरेरा ने कहा कि, चरम जलवायु घटनाओं और ऊर्जा प्रणालियों पर उनके प्रभाव को वर्तमान में ऊर्जा की योजना बनाने के दौरान शामिल नहीं किया जाता है। 

जिसके कारण चरम जलवायु घटनाओं में बिजली की मांग और उत्पादन के बीच असंतुलन पैदा होता है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लैकआउट होते हैं। हाल में प्रकाशित एक अध्ययन में चेतावनी दी गई थी कि उत्तरी गोलार्ध में  सन 2100 तक बेहद गर्म दिन और रातों में चार गुना बढ़ोतरी सकती है। जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होने वाली हैं।

यहां तक कि दुनिया भर में एयर कंडीशनिंग में प्रगति होने के बाद, अभी भी दुनिया भर में करोड़ों लोग अत्यधिक हीट वेव्स की चपेट में हैं।

वर्तमान में लगभग 110 करोड़ लोग गर्मी का सामना करने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनके पास ठंडा करने के उपकरण, बिजली और धन इन सभी चीजों की कमी है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, कि भविष्य में इन परिस्थितियों से निपटने के लिए आज की यथास्थिति से परे जाकर, नए प्रयोगों, और नए ऑफ-मॉडल विश्लेषण सहित नए टूल की आवश्यकता है।