विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि यदि देशों को कोविड-19 महामारी से बचना है और पर्यावरण को बनाए रखना है, तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु संबंधी महत्वाकांक्षी वादों को लागू करना होगा।
डब्ल्यूएचओ द्वारा यह मुहिम स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप 26) की अगुवाई में शुरू की गई है। जिसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर कार्रवाई करना अति आवश्यक है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह एक ऐसा विषय है जो जलवायु और स्वास्थ्य के बीच कई अविभाज्य संबंध स्थापित करता है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने इंसानों, जानवरों और हमारे पर्यावरण के बीच के गहरे और नाजुक संबंधों को उजागर किया है। वहीं कुछ ऐसी चीजें है जो हमारी धरती को नष्ट करने पर उतारू हैं, लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ सभी देशों से ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए कॉप 26 पर निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान करता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि यह करना सही है, बल्कि इसलिए कि यह हमारे अपने हित में है। डब्ल्यूएचओ की नई रिपोर्ट लोगों के स्वास्थ्य और उसे बनाए रखने वाली धरती की सुरक्षा के लिए 10 प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालती है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को एक खुले पत्र के रूप में जारी किया गया है, जिस पर वैश्विक स्वास्थ्य कार्यबल के दो तिहाई से अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं। दुनिया भर में कम से कम 4.5 करोड़ डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों का प्रतिनिधित्व करने वाले 300 संगठन, राष्ट्रीय नेताओं और कॉप 26 देश के प्रतिनिधिमंडलों से जलवायु में हो रहे बदलाव पर कार्रवाई करने के लिए कहते हैं।
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य पेशेवरों को लिखे पत्र में कहा गया है कि हम दुनिया भर में अपने अस्पतालों, क्लीनिकों और समुदायों में जहां भी देखभाल करते हैं, हम पहले से ही जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान का सामना कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हम कॉप 26 में हर देश के नेताओं और उनके प्रतिनिधियों से ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करके स्वास्थ्य की तबाही को रोकने और लोगों के स्वास्थ्य और इक्विटी के द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने और इसके अनुकूलन कार्यों के लिए केंद्रीकृत करने का आह्वान करते हैं।
रिपोर्ट और खुला पत्र अभूतपूर्व चरम मौसम की घटनाओं पर प्रकाश डालता है। जिसमें कहा गया है कि अन्य जलवायु प्रभाव लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर असर डाल रहे हैं। लू या हीट वेव, तूफान और बाढ़ जैसी लगातार बढ़ती मौसम की घटनाएं, हजारों लोगों की जान ले लेती हैं और लाखों लोगों के जीवन को तबाह कर देती हैं।
इस तरह की चरम घटनाएं जब स्वास्थ्य प्रणालियों और सुविधाओं की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है तो इन्हें भी खतरे में डाल देती हैं। मौसम और जलवायु में परिवर्तन से खाद्य सुरक्षा को खतरा हो रहा है और भोजन, पानी और मलेरिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है, जबकि जलवायु प्रभाव के चलते मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन के जलने से जानें जा रही हैं। जलवायु परिवर्तन मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य संबंधी खतरा है। कोई भी जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों से सुरक्षित नहीं है, उन्हें सबसे कमजोर और वंचितों द्वारा असमान रूप से महसूस किया जाता है।
वायु प्रदूषण, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने का परिणाम है, जो जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ा रहा है, दुनिया भर में प्रति मिनट 13 मौतों का कारण बनता जा रहा है।
डब्ल्यूएचओ की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य निदेशक डॉ मारिया नीरा ने कहा कि इस बात को हमेशा नजरअंदाज कर दिया गया कि जलवायु संकट सबसे जरूरी स्वास्थ्य आपात स्थितियों में से एक है जिसका हम सभी सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, वायु प्रदूषण को डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के स्तर तक लाने से, वायु प्रदूषण से होने वाली वैश्विक मौतों की कुल संख्या में 80 फीसदी तक की कमी लाई जा सकती है। जबकि जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कमी आएगी।
डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुरूप अधिक पौष्टिक, पौधों पर आधारित आहार में बदलाव, वैश्विक उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है, अधिक लचीली खाद्य प्रणाली सुनिश्चित कर सकती है और 2050 तक हर वर्ष 51 लाख भोजन की कमी से होने वाली मौतों से बचा जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ की कॉप 26 जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर विशेष रिपोर्ट, द हेल्थ आर्गुमेंट फॉर क्लाइमेट एक्शन, सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने और जलवायु संकट के सबसे खराब स्वास्थ्य प्रभावों से बचने के लिए 10 सिफारिशें की हैं।
डब्ल्यूएचओ की जलवायु और स्वास्थ्य को लेकर सिफारिशें
कॉप 26 रिपोर्ट में दस सिफारिशें शामिल हैं जो अंतरराष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था और सतत विकास एजेंडा में स्वास्थ्य और इक्विटी को प्राथमिकता देने हेतु सरकारों के लिए तत्काल आवश्यकता और कई अवसरों को उजागर करती हैं।
डब्ल्यूएचओ ने दुनिया भर के स्वास्थ्य समुदाय से जुड़े कम से कम 4.5 करोड़ डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों का प्रतिनिधित्व करने वाले 300 संगठनों के राष्ट्रीय नेताओं और कॉप 26 देश के प्रतिनिधिमंडलों को एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें जलवायु संकट को दूर करने के लिए वास्तविक कार्रवाई का आह्वान किया गया है।