दुनिया भर के 400 शोधकर्ताओं ने पेड़ों की प्रजातियों को लेकर आंकड़े एकत्र किए हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि, अध्ययन, विभिन्न प्रकार के पेड़ों के बारे में हमारी जानकारी और समझ को बढ़ाता है, हमें पारिस्थितिक तंत्र और कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) चक्र के बारे में निष्कर्ष निकालने में मदद करता है।
कार्बन, पानी और पोषक तत्वों की गतिविधि सहित स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका को समझने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ों को समझना महत्वपूर्ण है। शंकुधारी पत्तियां पानी बचाने में पर्णपाती पत्तियों से अलग होती हैं, लेकिन इससे बायोमास उत्पादकता कम हो जाता है।
पर्णपाती पेड़ मौसमी जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हो गए हैं। वे वहां उग सकते हैं जहां सदाबहार पेड़ नहीं उग सकते, अर्थात् ये पाले या सूखे की आशंका वाले क्षेत्रों में नहीं उग पाते हैं।
शोध के हवाले से, बेयरूत विश्वविद्यालय में प्लांट सिस्टमैटिक्स विभाग के डॉ. एंड्रियास हेम्प कहते हैं कि, हालांकि, जंगलों के पत्तेदार प्रकारों को प्रभावित करने वाले कारणों के बारे में हमारा ज्ञान अभी भी सीमित है, इसलिए हम नहीं जानते कि शंकुधारी और पत्तेदार पेड़ों के साथ-साथ सदाबहार और पर्णपाती पेड़ों का अनुपात दुनिया भर में कितना बड़ा है। यह अध्ययन नेचर प्लांट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इस कमी को दूर करने के लिए, दुनिया भर के लगभग 400 शोधकर्ताओं ने आंकड़ों को जमा करने में अहम योगदान दिया है। इसके परिणामस्वरूप पत्ती के आकार, पर्णपाती बनाम शंकुधारी और सदाबहार पर अंतरराष्ट्रीय प्लांट ट्रेट डेटाबेस टीआरवाई के रिकॉर्ड के साथ लगभग 10,000 पेड़ों की इन्वेंट्री भूखंडों के आंकड़ों को मिलाने से पेड़ों की पत्ती के प्रकारों में भिन्नता का वैश्विक, जमीन-आधारित मूल्यांकन किया गया है।
हेम्प कहते हैं, हमने पाया कि पत्ती की लंबी आयु मुख्य रूप से मौसमी तापमान में अंतर और मिट्टी के गुणों की सीमा पर निर्भर करती है, जबकि पत्ती का आकार मुख्य रूप से तापमान से निर्धारित होता है। पारिस्थितिकी तंत्र में पत्तियों को अपने महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए ये स्थितियां सही होनी चाहिए।
पेड़ों की इस सूची के परिणामस्वरूप, शोधकर्ता मानते हैं कि दुनिया भर में वृक्षों में से 38 फीसदी सदाबहार शंकुधारी हैं, 29 फीसदी सदाबहार पर्णपाती वृक्ष हैं, 27 फीसदी पर्णपाती तथा पांच फीसदी पर्णपाती शंकुधारी हैं। इस प्रकार, ये पेड़ों के प्रकार जंगलों में जमीन के ऊपर के बायोमास के क्रमशः 21 फीसदी, 54 फीसदी, 22 फीसदी और तीन फीसदी के अनुरूप हैं, जो कि 18 और 335 गीगाटन के बीच है।
शोधकर्ताओं ने कहा इसके अलावा, हम मानते हैं कि, सदी के अंत तक कम से कम 17 से 38 फीसदी तक जंगल आधारित जलवायु परिस्थितियों के संपर्क में आ जाएंगे जो वर्तमान में मौजूद पेड़ों के प्रकार की तुलना में एक अलग प्रकार के वनों का पक्ष लेते हैं, कुछ क्षेत्रों में पेड़ों पर तनाव जो जलवायु में भारी बदलाव को दर्शाता है।
पेड़ की पत्तियों के प्रकार और उनके संबंधित बायोमास के वितरण की मात्रा निर्धारित करके और उन क्षेत्रों की पहचान करके जहां जलवायु परिवर्तन वर्तमान पत्ती के प्रकारों पर अधिक दबाव डालेगा। ये निष्कर्ष स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र और कार्बन चक्र के भविष्य के कामकाज के बारे में बेहतर अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं।
सीओ2 चक्र वायुमंडल, जीवमंडल और इस प्रकार हमारी जलवायु की स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेड़ कार्बन जमा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे अपनी पत्तियों के माध्यम से सीओ2 को अवशोषित और संग्रहित करते हैं।
दूसरी ओर, मनुष्य मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के उपयोग के माध्यम से सीओ 2 उत्सर्जित करते हैं और सीओ 2 संग्रहित करने वाले पेड़ों को साफ करके जलवायु में बदलाव कर रहा है।