जलवायु

वडोदरा पर जलवायु परिवर्तन का दिखा असर, एक ही दिन में 499 एमएम बारिश

गुजरात के वडोदरा में एक ही दिन में अब तक इतनी बारिश नहीं हुई, इसकी बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है

Raju Sajwan

गुजरात के वडोदरा में एक ही दिन में 499 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि पूरे साल में यहां लगभग 989 एमएम बारिश होती है। यानी कि एक दिन में लगभग 45  फीसदी बारिश हो गई। बावजूद इसके, अभी भी वडोदरा में मानसून में होने वाली सामान्य बारिश से 8 फीसदी कम बारिश हुई है। ऐसे में, वडोदरा को जलवायु परिवर्तन की एक बड़ी मिसाल माना जा सकता है।

वडोदरा, जिसे बड़ौदा भी कहा जाता है में एक ओर जहां अत्याधिक बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं, वहीं साल दर साल सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड की जा रही है। एक ही दिन में अधिकतम बारिश की वजह से वडोदरा वासियों की आफत आ जाती है। खासकर, शहर से बह रही विश्वामित्र नदी की वजह से शहर में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।

गुजरात के राजस्व विभाग के अधीन काम कर रहे राज्य आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर के 1 अगस्त के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे के दौरान वडोदरा शहर में 499 एमएम बारिश हुई, जबकि इससे पहले तक शहर में 407 एमएम बारिश हो चुकी थी। यानी कि पिछले सात माह में जितनी बारिश हुई, उससे अधिक बारिश एक ही दिन में हो गई।  

यहां दिलचस्प बात यह है कि इस दिन पूरे जिले में कहीं भी इतनी अधिक बारिश नहीं हुई। दबोई में 187 एमएम, देसर में 103 एमएम, कर्जन में 165 एमएम, पडरा में 78 एमएम, सवली में केवल 36 एमएम, सिनोर में 69 एमएम, वगोडिया में 126 एमएम ही बारिश हुई। ऐसे में, केवल वडोदरा शहर को सबसे ज्यादा बारिश का सामना करना पड़ा।

जानकार मानते हैं कि जिस तरह पिछले कुछ सालों में घनी आबादी वाले शहरों जैसे मुंबई, चैन्नई में भारी बारिश हो रही है, उसी तरह वडोदरा में भी भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं। वडोदरा के ही एमएस विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के सदस्यों की ओर से वडोदरा शहर में जलवायु परिवर्तन और अत्याधिक बारिश विषय पर व्यापक अध्ययन किया था।

पिछले दिनों यह अध्ययन रिपोर्ट नेशनल कांफ्रेस ऑन वाटर, एनवायरमेंट एंड सोसायटी में रखी गई। इसमें बताया गया कि वडोदरा में 1961 से लेकर 2000 के बीच रोजाना होने वाली औसत बारिश की मात्रा कम होती थी, लेकिन 2000 के बाद अत्याधिक बारिश की घटनाएं बढ़ने लगी। 2000 से 2011 तक वडोदरा में लगभग 36 बार अत्याधिक बारिश हुई। जो पिछले 50 साल के इतिहास में सबसे अधिक था। जबकि इससे पहले 1990 से 2000 के बीच 18 बार अत्याधिक बारिश हुई। स्टडी पेपर में इसकी वजह मानसून पैटर्न में हो रहे बदलाव को बताया गया है और कहा गया है कि वड़ोदरा व आसपास के इलाकों में पेड़-पौधे कम हो रहे हैं , जबकि शहरीकरण बढ़ रहा है और इस सबके लिए कहीं न कहीं इंसानी गतिविधियां दोषी हैं।

रिपोर्ट बताती है कि 1969 से 2005 के बीच मासिक न्यूनतम तापमान 2 से 5 प्रतिशत बढ़ रहा है और मासिक अधिकतम तापमान खासकर नवंबर-दिसंबर में 4 फीसदी की वृद्धि हुई और उस समय तक 2005 सबसे गर्म वर्ष साबित हुआ था। बल्कि इसी दौरान हवा की तीव्रता में भी 10 फीसदी की कमी आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर में ऊंची बिल्डिंग और निर्माण कार्यों की वजह से हवा की तीव्रता में कमी आई है।

इस अध्ययन टीम के सदस्य चिरायु पंडित ने डाउन टू अर्थ को बताया कि 31 जुलाई को वडोदरा में एक साथ जितनी बारिश हुई, उतनी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। हालांकि पिछले 3-4 साल में अत्याधिक (एक्सट्रीम) बारिश नहीं हुई है, लेकिन 3-4 साल में जब अचानक बारिश हो रही है तो वह पिछले सालों के मुकाबले काफी अधिक हो रही है। यह ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इसे रोकने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास करने होंगे।