जलवायु

अपेक्षा से अधिक तेजी से पिघल रहे हैं पानी के नीचे के ग्लेशियर : वैज्ञानिक

अध्ययन में अलास्का में 20 मील लंबे लेकोन ग्लेशियर के सामने समुद्र का सर्वेक्षण किया गया। समुद्री रोबोटों ने पहली बार यह संभव कर दिखाया, जहां ग्लेशियर समुद्र से मिलते हैं

Dayanidhi

टाइडेवाटर ग्लेशियर जो बर्फ की विशाल नदियों को जन्म देते हैं। बर्फ की ये नदियां समुद्र में जाकर मिल जाती हैं। ग्लेशियर पहले लगाए गए अनुमान की तुलना में तेजी से पिघल रहे हैं। इस अध्ययन में ग्लेशियरों पर जानकारी इकट्ठा  करने के लिए रोबोट कश्ती का इस्तेमाल किया गया था। टाइडेवाटर ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।

जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन में अलास्का में 20 मील लंबे लेकोन ग्लेशियर के सामने समुद्र का सर्वेक्षण किया गया। समुद्री रोबोटों ने पहली बार यह संभव कर दिखाया, जहां ग्लेशियर समुद्र से मिलते हैं वहां की बर्फ या बर्फ पिघलने पर पिघले हुए पानी के बहाव का विश्लेषण किया जा सकता है। बर्फ के कारण यह क्षेत्र जहाजों के आने-जाने के लिए खतरनाक है। बर्फ के स्लैब ग्लेशियरों से टूटकर पानी में गिरते हैं जिससे विशाल लहरें बनती हैं।

प्रमुख अध्ययनकर्ता, रेबेका जैक्सन, जो एक भौतिक समुद्र विज्ञानी और रटगर्स विश्वविद्यालय-न्यू ब्रंसविक में पर्यावरण और जैविक विज्ञान के स्कूल में समुद्री और तटीय विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं ने बताया कि, कश्ती की मदद से हमने ग्लेशियर पिघलने का संकेत मिला: बर्फ मिश्रित पानी की परत समुद्र में घुस रही है, जिसे आमतौर पर मॉडलिंग या पिघलने की दरों का अनुमान लगाने की प्रक्रिया के दौरान नकार दिया जाता था, जबकि यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।

पानी के अंदर ग्लेशियर दो तरह से पिघलते हैं। जहां मीठे पानी के बहाव से ग्लेशियर की ऊपरी सतह पिघलती है। उपरी सतह के पिघलने से इस पर नालियां बन जाती हैं, जिससे कठोर बर्फ पिघलना शुरू हो जाती है। दूसरी ओर ग्लेशियर समुद्र के पानी में सीधे पिघल जाते है जिसे एम्बिएंट मेल्टिंग कहा जाता है।

इस अध्ययन में साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन को शामिल किया गया है, जिसमें जहाज के माध्यम से लेकोन ग्लेशियर पिघल जाने की दर को मापा गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह उम्मीद से कहीं अधिक दर से पिघल रहा था, लेकिन शोधकर्ता यह नहीं बता सके कि यह क्यों पिघल रहा है। पहली बार इस नए अध्ययन में पाया गया कि एम्बिएंट मेल्टिंग पानी के नीचे के मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इन अध्ययनों से पहले, वैज्ञानिकों के पास टाइडेवाटर ग्लेशियरों के पिघलने की दर के कुछ प्रत्यक्ष माप थे और अनुमानों और मॉडल महासागर-ग्लेशियर इंटरैक्शन प्राप्त करने के लिए, बिना जांचे हुए सिद्धांत पर भरोसा करना पड़ता था। अध्ययन के परिणाम उन सिद्धांतों को चुनौती देते हैं, और यह काम ग्लेशियरों के पिघलने की बेहतर समझ बनाने की ओर एक कदम है। आने वाले पीढ़ी वैश्विक स्तर पर इस प्रक्रिया से, समुद्र के स्तर में वृद्धि और उसके प्रभावों का मूल्यांकन बेहतर कर सकती है।