जलवायु

उष्णकटिबंधीय तूफानों से पिघल रही है अंटार्कटिका की बर्फ: अध्ययन

विपरीत वायु प्रसार, आंधी और मौसम के पैटर्न के कारण होते हैं, जो कि मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र के वातावरण में गर्म हवा के बढ़ने के कारण होता है।

Dayanidhi

अध्ययन में कई ऐसे नए कारणों की पहचान की गई है जो पूर्वी अंटार्कटिक प्रायद्वीप और लार्सन सी आइस शेल्फ का रिकॉर्ड तापमान बढ़ा रहे हैं जो बर्फ को पिघलाने के लिए जिम्मेवार हैं।

अध्ययन में बताया गया है कि उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में हवा के प्रसार के अलग-अलग पैटर्न किस तरह तीव्र वायुमंडलीय धाराओं के निर्माण कर सकते हैं। गर्म, नम हवा के इन लंबे हिस्सों के चलते तापमान बढ़ने की घटनाएं होती हैं और जब वे अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर चलती हैं तो बर्फ पिघल जाती है।

ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण शोधकर्ताओं सहित एक टीम ने यह निर्धारित करने के लिए उन्नत मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग किया। ये विपरीत वायु प्रसार पैटर्न आंधी और मौसम के पैटर्न के कारण होते हैं, जो फिजी के मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र के वातावरण में गर्म हवा के बढ़ने के कारण होते हैं।

इस क्षेत्र की गतिविधि में बदलाव, लार्सन सी बर्फ पर गर्मी की अवधि के दौरान पिघलने तथा इसमें साल-दर-साल बदलाव देखा गया। यह मार्च 2015 से फरवरी 2020 में हाल ही में दो अंटार्कटिका की बहुत अधिक तापमान की घटनाओं के कारण हो सकता है, जिसके कारण लार्सन बर्फ शेल्फ की भारी मात्रा पिघलने लगी।

ये परिणाम लार्सन सी आइस शेल्फ की भविष्य की स्थिरता के बारे में बताते हैं, वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि के लिए अंटार्कटिक प्रायद्वीप अहम है, केंद्रीय उष्णकटिबंधीय प्रशांत मौसम के पैटर्न में भविष्य में होने वाले बदलाव से निकटता से जुड़ा हुआ है।

ते हेरेन्गा वाका-विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ऑफ वेलिंगटन के जलवायु वैज्ञानिक और प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. काइल क्लेम कहते हैं कि हमारे अध्ययन में, हम पहली बार यह उजागर करते हैं कि एक पैटर्न, जो फिजी के पास गर्म हवा के ठंडे होने (संवहन) के परिणामस्वरूप होता है। जो पश्चिम अंटार्कटिका के तट पर कम दबाव का एक बड़ा और गहरे क्षेत्र के ऊपर तथा प्रायद्वीप के उत्तर में एक भारी दबाव प्रणाली बनाती है।

साथ में, ये विशेषताएं पूर्वी दक्षिण के मध्य और उपोष्णकटिबंधीय अक्षांशों से बहुत गर्म और नम हवाओं के चलने में मदद करती हैं। ये तीव्र वायुमंडलीय धाराओं के रूप में प्रशांत से अंटार्कटिक प्रायद्वीप तक जाती हैं। यह एक और तंत्र है जो हमें यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि लार्सन सी आइस शेल्फ के साथ आगे क्या हो सकता है।

पूर्वी प्रायद्वीप पर लार्सन आइस शेल्फ, 1990 के दशक के मध्य से ढहने लगा था, जिसमें 1995 में सबसे उत्तरी खंड लार्सन ए और 2002 में इसके दक्षिण में बड़ा लार्सन बी खंड शामिल है। शेष खंड, लार्सन सी आइस शेल्फ, अब पतला हो रहा है। लार्सन सी अंटार्कटिका का चौथा सबसे बड़ा शेष बचा आइस शेल्फ है। 2017 में विशाल ए-68ए हिमखंड लार्सन सी से अलग हो गया, जब यह पिघला तो अनुमानित 152 अरब टन ताजा पानी समुद्र में जा मिला।

हाल के दशकों में इन आइस शेल्फ के नुकसान ने ग्लेशियरों के तेजी से पतले होने को और गति दी, एक बार पानी फिर जमा हो गया इसके परिणामस्वरूप अंटार्कटिक प्रायद्वीप से समुद्र के स्तर में वृद्धि में तेजी आई।

बीएएस वायुमंडलीय वैज्ञानिक और अध्ययनकर्ता डॉ. जॉन किंग कहते हैं कि यह काम पुष्टि करता है कि अंटार्कटिका वैश्विक जलवायु प्रणाली के अन्य हिस्सों से कितनी मजबूती से जुड़ा हुआ है। लार्सन सी आइस शेल्फ का अंतिम भाग्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में हजारों मील दूर होने वाले बदलावों पर निर्भर करता है।

उन्होंने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए आगे काम करने की आवश्यकता है कि भविष्य में उष्णकटिबंधीय परिवर्तनशीलता में बदलाव, अंटार्कटिक ओजोन छिद्र की निरंतर बहाली से इस वायुमंडलीय प्रसार पैटर्न की घटना कैसे बदल सकती है और एक गर्म वैश्विक जलवायु में तापमान की चरम सीमा का परिणाम कैसे बदल सकता है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।