जलवायु

जलवायु परिवर्तन के चलते घट जाएगी टमाटर की पैदावार, खतरे में है आपका पसंदीदा सॉस

नेचर फ़ूड में प्रकाशित रिसर्च से पता चला है कि अगले 28 वर्षों में सॉस, केचप जैसे उत्पादों के लिए इस्तेमाल होने वाले टमाटरों की पैदावार 6 फीसदी तक घट जाएगी

Lalit Maurya

यदि आप भी सॉस, केचप, पिज्जा सॉस जैसे टमाटर से बने उत्पादों के शौकीन हैं तो यह खबर आपको परेशान कर सकती है। एक नई रिसर्च से पता चला है कि जिस तरह से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है उसके चलते आने वाले समय में टमाटर से बने उत्पादों पर असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए जलवायु परिवर्तन के चलते प्रसंस्करण के लिए उपयोग किए जा रहे टमाटरों की घटती पैदावार को जिम्मेवार माना है।

जर्नल नेचर फ़ूड में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक 2050 तक सॉस, केचप जैसे उत्पादों के लिए जरुरी टमाटरों का उत्पादन 6 फीसदी तक घट सकता है। अनुमान है कि इसका सबसे ज्यादा असर इटली पर पड़ेगा। वैश्विक स्तर पर देखें तो इन सॉस, केचप जैसे उत्पादों के लिए इस्तेमाल होने वाले टमाटरों का उत्पादन बहुत सीमित क्षेत्रों में केंद्रित है।

इसके प्रमुख उत्पादकों में अमेरिका, इटली और चीन शामिल हैं जो इनके 65 फीसदी उत्पादन का प्रतिनिधित्व करते हैं। शोध से पता चला है कि इन क्षेत्रों में जलवायु में आता बदलाव भविष्य में इन टमाटरों की पैदावार को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।

जलवायु में आते बदलावों के साथ बदल जाएगा पैदावार का भूगोल

शोध के मुताबिक उत्पादन में आने वाली यह गिरावट हवा के तापमान में होती वृद्धि के कारण है। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है उसके और पानी की कमी के चलते भविष्य में इटली और कैलिफोर्निया जैसे क्षेत्रों में पैदावार काफी घट जाएगी। वहीं इसके विपरीत चीन और उत्तरी कैलिफोर्निया जैसे ठंडे उत्पादक क्षेत्रों को बदलती जलवायु का फायदा पहुंचेगा।

शोध के मुताबिक इसके चलते उत्तरी चीनी प्रांत गांसु और पड़ोसी देश मंगोलिया में टमाटर की पैदावार बढ़ सकती है। वहीं दूसरी तरफ बढ़ते तापमान और पानी की कमी का यह संयोजन इटली के टमाटर उद्योग के लिए अच्छा नहीं है। जलवायु में आता यह बदलाव स्पष्ट तौर पर इशारा करता है कि आने वाले कुछ दशकों में न केवल इन टमाटरों की पैदावार घट जाएगी, साथ ही उनके मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में भी बदलाव आ सकता है।

इस बारे में शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डेविड कैम्मारानो ने जानकारी दी है कि प्रसंस्करण के लिए उपयोग होने वाले इन टमाटरों को खेतों में खुले में लगाया जाता है, जहां हम उस वातावरण को नियंत्रित नहीं कर सकते, जिसमें यह बढ़ते हैं। यह इन टमाटरों की पैदावार को जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनाता है।

इस बारे में यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज के प्रोफेसर और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता देव नियोगी ने जानकारी दी है कि वैश्विक स्तर पर खाद्य आपूर्ति पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभावों का व्यापक रूप से अध्ययन किया गया है, लेकिन उनमें ज्यादातर गेहूं और चावल जैसी खाद्यान्न फसलों पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है।  वहीं यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जिसमें टमाटर पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले असर को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

नियोगी के अनुसार हमें इस बारे में बहुत सीमित जानकारी है कि जलवायु परिवर्तन सॉस, केचप आदि के लिए उपयोग किए जा रहे टमाटरों की पैदावार को कैसे प्रभावित करेगा। जोकि न केवल पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, साथ ही दुनिया भर में न जाने कितने व्यंजनों का एक प्रमुख घटक भी है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टमाटर पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभावों को समझने के लिए पांच अलग-अलग जलवायु मॉडलों के साथ तीन अलग-अलग परिदृश्यों में प्रभावों का अध्ययन किया है। हालांकि हर परिदृश्य में परिणामों में कुछ अंतर था लेकिन हर परिदृश्य में इस बात के स्पष्ट संकेत मिले थे कि आने वाले कुछ दशकों में टमाटर की पैदावार नाटकीय रूप से बदल जाएगी।

ऐसे में नियोगी का कहना है शोध के निष्कर्ष दुनिया भर में टमाटर उत्पादन के भविष्य को लेकर कई अहम सवाल पैदा करते हैं, जो कृषि पैदावार और टमाटर उद्योग को जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मददगार साबित हो सकते हैं।