जलवायु परिवर्तन और बढ़ते वैश्विक ताप का स्पष्ट असर दिखाई दे रहा है। धरती का ताप बढ़ने के साथ ही समुद्र के स्तरों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। 2019 में महासागरों का वैश्विक औसत समुद्र स्तर 1993 के बाद से सर्वाधिक उच्च स्तर पर रिकॉर्ड किया गया है। जनवरी, 1993 से सेटेलाइट के जरिए समुद्रों के स्पष्ट उच्च स्तर के रिकॉर्ड को मापना शुरु किया गया था। यह भी गौर किया गया है कि समुद्रों के स्तर में बढ़ोत्तरी में एकरूपता नहीं है और समुद्रों में पीएच मानक घट रहा है जिससे अम्लीकरण भी तेज हुआ है।
स्पेन की राजधानी मद्रिद में 25वें कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप 25) के दौरान विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने 3 दिसंबर को जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट 2019 रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर किए हैं।
समुद्रों के स्तर में बढ़ोत्तरी के लिए डब्ल्यूएमओ ने अपनी रिपोर्ट में लगातार पिघल रही बर्फ की चादरों और जलवायु परिवर्तनों के कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। मसलन मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह के क्रमश: ठंड और गर्म होने यानी ला-नीना और अल-नीनो के बीच बदलाव के चरण में समुद्रों के स्तर में फर्क पड़ता है। हालांकि यह छोटी अवधि की प्रवृत्ति है।
एलनीनों के दौरान ट्रॉपिकल रिवर बेसिन की जमीनों से पानी महासागरों में ( जैसे 1997, 2012, 2015) चला जाता है जबकि ला नीना में यह प्रक्रिया उल्टी हो जाती है। ला नीना के दौरान महासागरों से पानी जमीन पर (जैसे 2011 ) चला जाता है।
रिपोर्ट में गौर किया गया है कि ग्रीन हाउस गैस की बढ़ोत्तरी के कारण पृथ्वी गर्म होती है और उससे निकलने वाली 90 फीसदी ताप को महासागर सोख लेते हैं। इसी के चलते 2019 में दोबारा महासागर रिकॉर्ड स्तर पर गर्म हुए। महासागरों के गर्म होने से भी समुद्रों का स्तर बढ़ता है। साथ ही समुद्रों के स्तर की यह बढ़ोत्तरी तब और बढ़ जाती है जब इनमें बर्फ पिघलकर पहुंचती है। समुद्र स्तर की ऊंचाई अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ चुका है। 2019 की शरद ऋतु में ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के बर्फ की चादरों के पिघलने से समुद्र के स्तर में और इजाफा हुआ है। \
रिपोर्ट में बताया गया है कि पहले दो दशकों के दौरान पश्चिमी ट्रॉपिकल प्रशांत में जो प्रवृत्ति दिखाई दी थी वह अब धुंधली होने लगी है, यह हमें बताता है कि ये दीर्घअवधि वाला संकेतकत नहीं था।
2009-2018 के दौरान महासागर ने करीब 22 फीसदी सालाना कार्बन डाई ऑक्साइड सोखा था। हालांकि सीओटू समुद्रीजल के साथ अभिक्रिया करता है और उसके पीएच मूल्य को घटा देता है। इससे समुद्र का अम्लीकरण भी हो रहा है। बीते 20 से 30 वर्षों के आंकड़े यह स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि औसत 0.017-0.027 पीएच यूनिट्स की दर से गिरावट जारी है। वहीं, आर्कटिक और अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ का विस्तार काफी मंद हुआ है।