जलवायु

जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार हो सकते हैं समाज के संपन्न और रुतबे वाले व्यक्ति

Lalit Maurya

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज द्वारा किए शोध से पता चला है कि समाज के संपन्न और रुतबे वाले व्यक्ति जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार हो सकते हैं। जर्नल नेचर एनर्जी में प्रकाशित इस अध्ययन में उन पांच तरीकों की पहचान की है जिससे समाज के प्रतिष्ठित लोगों का वैश्विक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने की उनके भी जिम्मेवारी बनती है।

हम जलवायु परिवर्तन के असर को कैसे कम कर सकते है, इसके लिए जो ज्यादातर शोध किए गए हैं उनमें उपभोक्ताओं के व्यवहार में बदलाव करने पर ध्यान दिया गया है, जैस वो कचरे का रीसायकल करें और अपनी ऊर्जा खपत को कम करने के लिए जरुरत न पड़ने पर घर की रोशनी को बंद रखें।

लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लिए समाज के प्रतिष्ठित, संपन्न और ऊंचे रुतबे वाले वर्ग को उनके व्यवहार में बदलाव के लिए प्रेरित करने और उसके तरीकों को खोजने की जरुरत है, क्योंकि समाज का यह वर्ग जो करता है, वो कार्बन उत्सर्जन को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है। 

अध्ययन के अनुसार समाज में किसी व्यक्ति का रुतबा कितना ऊंचा है यह समाज में उसकी स्थिति पर निर्भर करता है।  इसमें न केवल संपत्ति और आय मायने रखती है  बल्कि यह उसके सामाजिक साधनों पर भी निर्भर करता है।  इसमें उसकी सामाजिक स्थिति के साथ-साथ उसके व्यवसाय और सामाजिक नेटवर्क को भी शामिल किया जाता है। इसमें बहुत ज्यादा अमीर होने के साथ-साथ उन लोगों को शामिल किया है जिनका नेटवर्क ज्यादा बड़ा है। इसमें हर वर्ष 80.9 लाख रुपए से ज्यादा कमाने वाले सभी लोगों को शामिल किया गया है। 

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता क्रिस्टियन नीलसन के अनुसार उच्च सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले लोग न केवल वो हैं जिनके पास अधिक धन है साथ वो भी शामिल हैं जिनका सोशल नेटवर्क कहीं ज्यादा बेहतर और बड़ा है। ऐसे में वो जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी व्यवहार और नीतियों को प्रभावित करने में कहीं ज्यादा सक्षम हैं। ऐसे में उन्हें जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में काम करने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जाए, इसके तरीके खोजने की जरुरत है। 

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जरुरी है सामाजिक बदलाव

उनके अनुसार सिर्फ यह कहना की वो बहुत अधिक धनवान है इसलिए उन्हें अपने व्यवहार में बदलाव करने की जरुरत है, हम उस ताकत को भूल जाते हैं जो उनके प्रभाव की मदद से दूसरों को भी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रेरित कर सकती है। 

उदाहरण के लिए सभी जानते हैं कि हवाई यात्रा, उत्सर्जन में इजाफा करती है। देखा जाए तो हवाई यात्रा के कारण होने वाले 50 फीसदी उत्सर्जन के लिए दुनिया की केवल एक फीसदी आबादी ही जिम्मेवार है। ऐसे में बार-बार हवाई जहाज से यात्रा करने से जुड़े मानदंडों को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। ऐसे में हम उन बार-बार यात्रा करने वालों को उपभोक्ता के रूप देखते हैं पर देखा जाए तो हमें उससे अलग हटकर देखने की भी जरुरत है। 

यह रुतबे वाले लोग एक रोल मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं। इनके जलवायु-अनुकूल विकल्प दूसरों को भी इसके लिए प्रभावित कर सकते हैं।  उदाहरण के लिए शाकाहारी भोजन करना और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करना। नीलसन के अनुसार एक एक रोल मॉडल बनने के लिए आपको बड़ी आय की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए बस दूसरों से अच्छी तरह से जुड़े रहने की जरुरत है।

उदाहरण के लिए यदि संपन्न व्यक्ति को उन स्थानों पर निवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है जो जलवायु के दृष्टिकोण से सही है। इसी तरह बड़े पेंशन फंड के निवेश को उन कंपनियों से स्थानांतरित किया जा सकता है जो जीवाश्म ईंधन से जुड़ी हैं। यह अन्य को भी इसके लिए प्रेरित कर सकता है। 

इसी तरह यह उच्च सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति चाहे वो मालिक हों या कर्मचारी अपने संगठनों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद कर सकते हैं उदाहरण के लिए वो अपने सप्लायर, बिज़नेस कल्चर और निवेश में बदलाव कर सकते हैं। 

इसी तरह नागरिकों के रूप में इन प्रतिष्टित लोगों के पास ज्यादा बेहतर नेटवर्क होता है जिसका इस्तेमाल वो सामाजिक आंदोलनों को व्यवस्थित करने और राजनेताओं और निर्णय लेने वालों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कर सकते हैं। इसी तरह वो अपने धन का इस्तेमाल दान के रूप में कर सकते हैं जो उत्सर्जन में कमी करने के लिए वित्तीय सहायता कर सकती है। 

नीलसन के अनुसार उन्होंने इस अध्ययन में संपन्न और प्रतिष्टित लोगों पर ध्यान केंद्रित क्योंकि वो जलवायु परिवर्तन और जीवाश्म ईंधन से जुड़ी कई समस्याओं का कारण हैं। जो पूरी मानवता को प्रभावित कर रही है। साथ ही यह वो लोग भी हैं जो इस स्थिति में हैं कि वो बदलाव ला सकते हैं।

ऐसे में यदि इन लोगों के व्यवहार में जलवायु के लेकर सकारात्मक बदलाव आता है तो उसका असर एक सामान्य व्यक्ति से कहीं ज्यादा दूर तलक होगा। इस तरह यह पूरे सिस्टम में बदलाव में मददगार हो सकता है।