मंडी में हाल ही में हुई भारी बारिश ने जानमाल को भारी नुकसान पहुंचाया। फोटो : हिमालय नीति अभियान  
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बढ़ी बारिश की विकरालता, हफ्ते भर में कई जिले लार्ज डेफिसिट से लार्ज एक्सेस हुए

देश के 163 यानी 22 प्रतिशत जिले ऐसे हैं जहां अत्यधिक (लार्ज एक्सेस) बारिश दर्ज हुई है। वहीं 100 यानी 14 प्रतिशत जिलों में सामान्य से अधिक (एक्सेस) बारिश हुई है।

Bhagirath

इस साल के मॉनसून ने एक महीने में ही अपने निराले रूप दिखा दिए हैं। अगर समग्रता में देखें तो 2 जून तक सामान्य से 11 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई है जिसे मौसम विज्ञान की भाषा में सामान्य बारिश कहा जा सकता है। लेकिन अगर हम उसका क्षेत्रीय वितरण देखें बारिश में घोर असमानता नजर आती है।

उदाहरण के लिए देश के 163 यानी 22 प्रतिशत जिले ऐसे हैं जहां अत्यधिक (लार्ज एक्सेस) बारिश दर्ज हुई है। वहीं 100 यानी 14 प्रतिशत जिलों में सामान्य से अधिक (एक्सेस) बारिश हुई है। 30 प्रतिशत जिलों में सामान्य, 26 प्रतिशत जिलों में कम (डेफिसिट) और 8 प्रतिशत जिलों में बहुत कम (लार्ज डेफिसिट) बारिश हुई है।

सामान्य से 60 प्रतिशत से अधिक बारिश को लार्ज एक्सेस, 20 से 59 प्रतिशत अधिक बारिश को एक्सेस, 19 प्रतिशत कम या अधिक बारिश को सामान्य, 59 से 20 प्रतिशत कम बारिश को डेफिसिट और 99 से 60 प्रतिशत कम बारिश को लार्ज डेफिसिट कहा जाता है।

देश के पांच राज्यों के दहाई से अधिक जिलों में लार्ज एक्सेस बारिश दर्ज हुई। लार्ज एक्सेस वाले जिलों में सबसे अधिक 29 जिले गुजरात के शामिल हैं। इसके बाद राजस्थान के 28, उत्तर प्रदेश के 22, मध्य प्रदेश के 17 और झारखंड के 15 जिले शामिल हैं। इन पांच राज्यों के 111 जिलों में लार्ज एक्सेस बारिश हुई है। यानी कुल लार्ज एक्सेस बारिश वाले जिलों में 68 प्रतिशत जिले इन पांच में हैं।  

आंकड़ों में उत्तर प्रदेश में भले ही सामान्य से 28 प्रतिशत अधिक बारिश दिख रही हो लेकिन पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश का असमान वितरण स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से तीन प्रतिशत कम और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 88 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई है।

लार्ज एक्सेस वाले अधिकांश जिले उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से से हैं। 2 जुलाई तक अलीगढ़ में सामान्य से 188 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी जबकि एक सप्ताह पहले यानी 25 जून तक जिले में सामान्य से 67 प्रतिशत कम बारिश थी। यानी एक हफ्ते में ही यह जिला लार्ज डेफिसिट से लार्ज एक्सेस वाले जिलों में शामिल हो गया। इस तरफ की प्रवृत्ति उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ दूसरे राज्यों के कई जिलों में देखी गई है।

मसलन उत्तराखंड का अल्मोड़ा जिला 25 जून को सामान्य से 55 प्रतिशत कम बारिश से 2 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 59 प्रतिशत अधिक बारिश वाला जिला बन गया। इसी तरह चंपावत भी एक हफ्ते के भीतर 29 प्रतिशत कम बारिश से 56 प्रतिशत अधिक बारिश वाला, देहरादून 1 प्रतिशत कम बारिश वाले जिले से 174 प्रतिशत अधिक बारिश वाला, टिहरी गढ़वाल 29 प्रतिशत कम बारिश वाले जिले से 243 प्रतिशत अधिक बारिश वाला जिला बन गया।

उत्तरकाशी में सबसे बड़ा बदलाव हुआ जो पिछले हफ्ते तक 77 प्रतिशत लार्ज डेफिसिट से 159 प्रतिशत अधिक बारिश वाले लार्ज एक्सेस वाले जिलों की सूची में शामिल हो गया।

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के भी कई जिलों में हफ्ते भर में स्थितियां बदलीं और वे लार्ज डेफिसिट से लार्ज एक्सेस वाले जिलों की सूची में शामिल हो गए। हरियाणा में पिछले हफ्ते (25 जून) तक 24 प्रतिशत अधिक बारिश थी जो 2 जुलाई को 85 प्रतिशत अधिक बारिश में तब्दील हो गई। अंबाला, चरखी दादरी, फतेहाबाद, हिसार, नूंह, रोहतक और सिरसा डेफिसिट और लार्ज डेफिसिट वालों जिलों से लार्ज एक्सेस वाले बन गए।

पंजाब भी पिछले हफ्ते तक 25 प्रतिशत कम बारिश वाला राज्य था जो 2 जुलाई को 80 प्रतिशत अधिक बारिश वाला राज्य बन गया है। भटिंठा, फिरोजपुर, गुरुदासपुर, होशियापुर, जलंधर और सास नगर लार्ज डेफिसिट जिलों की सूची से बाहर निकलकर लार्ज एक्ससे वाली सूची में शामिल हो गए हैं।

हिमाचल प्रदेश में एक हफ्ते से भारी बारिश हो रही है जिससे यह राज्य 5 प्रतिशत अधिक बारिश वाले राज्य से 195 प्रतिशत अधिक बारिश वाला राज्य बन गया है। मंडी जिलों में तो एक हफ्ते में सामान्य से 482 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जिससे जानमाल को भारी नुकसान पहुंचा है।

राज्य के लाहौल स्पीति जिले को छोड़कर शेष सभी 11 जिले लार्ज एक्सेस की सूची में हैं। 26 जून से 2 जुलाई के बीच राज्य ने भारी बारिश झेली है। मंडी ने तो 1 जुलाई को सामान्य से 1900 प्रतिशत से अधिक बारिश देखी। इससे पहले कुल्लू जिले में भी बारिश से नदियां उफना गई थीं।

राजस्थान के अधिकांश जिले पिछले तीन हफ्तों से लार्ज एक्सेस बारिश से जूझ रहे हैं। अपवाद के रूप में पश्चिमी राजस्थान के श्रीगंगानगर और जैसलमेर जो पिछले हफ्ते तक पानी को तरस रहे थे, अब पानी से सराबोर हैं। जैसलमेर में पिछले हफ्ते तक सामान्य से 73 प्रतिशत कम बारिश थी जो अब 331 प्रतिशत अधिक हो गई है। इसी तरह श्रीगंगानगर भी एक हफ्ते में 90 प्रतिशत कम बारिश वाले जिले से 298 प्रतिशत अधिक बारिश वाला जिला बन गया है।

ये सभी उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि मॉनसूनी बारिश का वितरण अनियमित और लगातार असमान होता जा रहा है। साथ ही बारिश की विकरालता लगातार बढ़ रही है। कम समय में अधिक या भारी बारिश की प्रवृत्ति आधारभूत संरचनाओं के साथ ही जानमाल को हानि पहुंचा रही हैं। कुल्लू और मंडी इसके ताजा उदाहरण हैं। आने वाले दिनों में ऐसे उदाहरण और देखने को मिल सकते हैं।