एक नए अध्ययन से पता चलता है कि अत्यधिक गर्मी लोगों की रोजमर्रा की दिनचर्या को काफी हद तक बदल देती है, घर पर बिताए जाने वाले समय से लेकर यातायात तक हर चीज को प्रभावित करती है। यह अध्ययन एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
अध्ययन इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि दुनिया भर के शहर बढ़ते तापमान से जूझ रहे हैं। अध्ययन में बताया गया है कि किस तरह अत्यधिक गर्मी समाज में रहने वाली अलग-अलग आबादी के लिए रोजमर्रा की गतिविधि, यात्रा, व्यवहार और समय के उपयोग पैटर्न पर असर डालती है। यह अमेरिकन टाइम सर्वे (एटीयूएस) के आंकड़ों और राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (नोआ) के मौसम संबंधी आंकड़ों पर आधारित है।
अध्ययन रोजमर्रा की गतिविधियों और यातायात के विकल्पों पर अत्यधिक गर्मी के प्रभावों को समझने के महत्व पर जोर देता है, ताकि नीतिगत समाधान सुझाए जा सकें, जिससे जलवायु संबंधी बढ़ती चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
गर्मी से रोजमर्रा की दिनचर्या बदल जाती है
अध्ययन के अनुसार, अत्यधिक गर्मी के कारण लोग अपने घरों से बाहर कम समय बिताते हैं। अत्यधिक गर्मी वाले दिनों में, लोग घर के अंदर ही रहने, बाहरी गतिविधियों को कम करने और जो जरूरी न हो उस यात्रा को भी टाल देते हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि तापमान बढ़ने पर अवकाश, खरीदारी और सामाजिक मेलजोल के लिए की जाने वाली यात्राओं में भारी कमी देखी गई है। इसके अलावा लोग अपनी यात्रा को दिन के ठंडे समय में करते हैं, दोपहर की गर्मी से बचने के लिए सुबह जल्दी या देर शाम की यात्राओं का विकल्प चुनते हैं।
शोध से पता चलता है कि अत्यधिक गर्मी की स्थिति में यातायात के विकल्पों में स्पष्ट बदलाव आया है। कार का उपयोग बढ़ जाता है, जबकि पैदल, साइकिल और सार्वजनिक परिवहन द्वारा की जाने वाली यात्राएं काफी कम हो जाती हैं।
औसतन अत्यधिक गर्मी के दिनों में सार्वजनिक यातायात से यात्रा करने में लगभग 50 फीसदी की कमी आती है, क्योंकि लोग वातानुकूलित निजी वाहनों में यत्रा करना पसंद करते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने गौर किया कि यह बदलाव उन शहरों के लिए भारी चुनौतियां ला कर खड़ी करता है जो पैदल और सार्वजनिक परिवहन जैसे टिकाऊ यातायात के विकल्पों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखते हैं, खासकर जब समुदाय अधिक बार चरम मौसम का अनुभव करते हैं।
गरीबों को सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है
अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ समूहों पर भारी गर्मी के खतरनाक प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ते हैं। कम आय वाले लोग और जिनके पास निजी वाहन (कार) नहीं है, उनके पैदल चलने या सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर रहने की अधिक संभावना होती है, जिस वजह से वे भीषण गर्मी का सामना करते है। ये लोग वे हैं जिनके पास काम पर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं होता है, इसलिए भयंकर गर्मी में भी उन्हें यात्रा करनी पड़ती है।
अध्ययन से पता चलता है कि अधिक आय वाले लोगों ने भारी गर्मी वाले दिनों में यात्राएं काफी कम की। कम आय वाले लोगों और जिनके पास कार तक पहुंच नहीं थी, उनके रोजमर्रा की यात्राओं में कटौती नहीं देखी गई, जिससे पता चलता है कि उन पर अत्यधिक गर्मी के हानिकारक प्रभाव सबसे ज्याद पड़े।
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि वृद्धों को अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या को जारी रखने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उन दिनों सामाजिक अलगाव का खतरा बढ़ जाता है जब वे गर्मी से बचने के लिए घर के अंदर रहते हैं।
अध्ययनकर्ता ने अध्ययन के हवाले से कहा कि अत्यधिक गर्मी लोगों की गतिविधि और यात्रा संबंधी असमानताओं को बढ़ाती है। जो लोग पहले से ही खतरे में हैं, जैसे कि कम आय वाले लोग या सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर लोग, लू या हीटवेव के दौरान और भी ज्यादा खतरों का सामना करते हैं। यह सबसे कमजोर आबादी समूहों की रक्षा के लिए तय नीति हस्तक्षेपों के लिए एक स्पष्ट जरूरत की और इशारा भी है।
गर्मी से निपटने के लिए नीतिगत सिफारिशें
निष्कर्षों को देखते हुए अध्ययनकर्ताओं ने लोगों पर अत्यधिक गर्मी के प्रभावों को कम करने में मदद करने के लिए कई नीतिगत सिफारिशें की हैं। इनमें छायादार सार्वजनिक स्थान बनाना, कमजोर आबादी के लिए ऑन-डिमांड डोर-टू-डोर परिवहन के लिए वाउचर देना और "गर्मी के दिन" घोषित करना शामिल है, जब लोगों को घर के अंदर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, कार्यस्थल पर जाने से छूट दी जाती है और अगर उनके घरों में तापमान पर्याप्त रूप से नियंत्रित नहीं है, तो वे कूलिंग सेंटर तक पहुंच सकते हैं।
अध्ययन में "अत्यधिक गर्मी" वाले दिन घोषित करने की बात कही गई है जो "बर्फबारी" वाले दिनों के समान हैं, जब कार्यस्थल, व्यवसाय और स्कूल अक्सर जनता की सुरक्षा के लिए बंद रहते हैं। शहरी डिजाइन में सुधार जैसे कि अधिक पेड़ लगाना और फुटपाथों पर गर्मी-परावर्तक सामग्री का उपयोग करना भी शहरों को बढ़ते तापमान के प्रति अधिक लचीला बनाने में मदद कर सकता है।
ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च पार्ट डी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना केवल शहरी डिजाइन का मामला नहीं है, बल्कि समानता और सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण का भी मामला है। यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है कि हमारे शहर सभी निवासियों को अत्यधिक गर्मी के खतरों से बचाने के लिए सुसज्जित हों।
भविष्य में गर्मी निपटने के समाधान
जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी की घटनाएं अधिक लगातार और गंभीर होती जा रही हैं, इसलिए अध्ययन के निष्कर्ष विशेष रूप से समय पर हैं। शोध में शहरों के लिए अपने यातायात और शहरी नियोजन प्रयासों में गर्मी को कम करने की रणनीतियों को शामिल करने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने उम्मीद जताई है कि उनके निष्कर्ष नीति निर्माताओं को अधिक गर्मी से बचने वाले शहर बनाने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए प्रेरित करेंगे।
यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि किस तरह गर्मी रोजमर्रा के जीवन और यात्राओं में अड़चनें पैदा कर सकती है, जो सबसे गरीब आबादी के लिए हानिकारक है। अध्ययनकर्ता ने अध्ययन में कहा, हमारा लक्ष्य सार्थक बदलाव लाने के लिए आवश्यक सबूत देता है।