एक नए अध्ययन से पता चला है कि आर्कटिक के चुच्ची सागर से बर्फ तेजी से गायब हो रही है। इसके चलते मादा वालरस और उन पर निर्भर रहने वाले बच्चों (बछड़ों) के लिए भोजन का संकट उत्पन्न हो गया है। समुद्री बर्फ के भीतर अनोखे शैवाल उगते है, जो इन वालरस के भोजन से संबंधित होता है। लेकिन अब शैवालों के उगने पर जलवायु परिवर्तन की मार पड़ी है जिसकी वजह से ये तेजी से कम हो रहे हैं। शोधकर्ताओं ने बायोमार्कर का पता लगाया जो समुद्री स्तनधारियों को एक खाद्य स्रोत से जोड़ता है।
यहां उल्लेखनीय है कि बायोमार्कर - किसी जीव में एक मापने योग्य पदार्थ है जिसकी उपस्थिति बीमारी, संक्रमण या पर्यावरणीय खतरे जैसी किसी घटना के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि यह अध्ययन उस काम पर आधारित है जो बेरिंग और चुची समुद्र में किया जा रहा है। बर्फ के नीचे उगने वाले शैवाल और फाइटोप्लांकटन का उपयोग समुद्री बर्फ के गायब होने पर पारिस्थितिकी तंत्र में किस तरह का बदलाव होगा, इसकी निगरानी के लिए किया जा सकता है। वालरस और यहां तक कि क्षेत्र के अन्य जीवों के ऊतकों में इन समुद्री बर्फ बायोमार्करों की निरंतर निगरानी, हमें यह पहचानने में मदद करेगी कि जलवायु में बदलाव के परिणामस्वरूप खाद्य जाल किस तरह बदल रहे हैं। साथ ही खाद्य के स्रोतों को बदलने के लिए प्रणाली किस तरह प्रतिक्रिया कर रही है।
अलास्का के पास प्रशांत आर्कटिक का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र समुद्री बर्फ में जैविक उत्पादन से प्राप्त वसा युक्त खाद्य पदार्थों के उपयोग के लिए जाना जाता है। बर्फ के शैवाल के खिलने से समुद्र तल पर उच्च गुणवत्ता वाला भोजन मिलता है। यह बदले में पूरे बेरिंग और चुच्ची समुद्री मोलस्क और अन्य बेंटिक जीवों की जैव विविधता का समर्थन करता है और वालरस के खाने के लिए यहां पर बहुत सारा भोजन होता है।
हालांकि, मौसमी आधार पर समुद्री बर्फ का होने वाला नुकसान प्रशांत वालरस के लिए खतरा बन गया है। विशेष रूप से वे आराम के लिए समुद्री बर्फ का उपयोग करते हैं और इस खुले समुद्र तल से दूर अपने चारे के लिए इन तक पहुंचते हैं। अलास्का के पास हाल के कई वर्षों में समुद्री बर्फ के गायब होने के साथ, हजारों वालरस गर्मियों के अंत में समुद्र तटों पर आ रहे हैं जोकि उनके चारे से दूर हैं। वालरस के इन विशाल झुंड में भगदड़ होने की भी आशंका होती है, जिससे इनकी मृत्यु दर बढ़ सकती है।
प्रत्येक वसंत में बर्फ की धार के साथ उत्तर की ओर बढ़ने वाली वयस्क मादाओं और किशोरों के प्रवासन पैटर्न के आधार पर, शोध दल को चुच्ची सागर में वालरस का चारा बर्फ के शैवाल की अधिकता देखने की उम्मीद थी। हालांकि, उत्तरी बेरिंग सागर के परिणामों ने सेंट लॉरेंस द्वीप पर रहने वाले शिकारियों के पारंपरिक स्थानीय ज्ञान के साथ संरेखित करते हुए एक अधिक सूक्ष्म खोज का खुलासा किया।
आर्कटिक में मौसम संबंधी समुद्री बर्फ की गिरावट के कारण लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम सूची के लिए वालरस का मूल्यांकन किया गया था। वे कुछ अलास्का के स्वदेशी समुदायों के लिए जीवन-यापन करने संबंधी भोजन के स्रोत के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं। यह शोध पोलोस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
दिलचस्प निष्कर्षों में से एक यह था कि ये समुद्री बर्फ बायोमार्कर नरों की तुलना में उत्तरी बेरिंग सागर में मादा वालरस में अधिक पाए गए। ये बायोमार्कर वालरस लीवर में दिनों या शायद हफ्तों तक रहते हैं। इसलिए हम जानते हैं कि मादाओं में यह ऊंचे समुद्री बर्फ वाले चुच्ची सागर में उनकी पिछले वर्षों की यात्रा एक साथ नहीं की गई थी। शोधकर्ता कुछ जानवरों के लिवर के ऊतकों का उपयोग करके बायोमार्कर का पता लगाने में सफल हुए जिन्हें जीवन-यापन करने के चलते शिकार के हिस्से के रूप में काटा गया था।
इस सबूत से पता चलता है कि मादा के भोजन खोजने का व्यवहार सर्दियों और वसंत के महीनों में पुरुषों से अलग होता है जबकि यह बेरिंग सागर में ही होता है।