जलवायु

धीरे-धीरे भर रही है धरती के 'सुरक्षा कवच' में आई दरार, निगरानी के लिए डब्ल्यूएमओ ने जारी की नई पहल

2022 में, उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ओजोन का स्तर सामान्य से अधिक था। वहीं उच्च अक्षांशों, विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में, इसका स्तर सामान्य से कम था

Lalit Maurya

हमारी धरती के लिए ओजोन परत बहुत मायने रखती है। इसे धरती के ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोककर पृथ्वीवासियों को उसके हानिकारक विकिरण से बचाती है।

इस बारे में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी नए बुलेटिन से पता चला है कि ओजोन परत में धीरे-धीरे ही सही लेकिन लगातार सुधार आ रहा है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की भूमिका को अहम माना है। इस बारे में डब्ल्यूएमओ द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और उसमें समय-समय पर किए संशोधनों की मदद से ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उपयोग को 99 फीसदी तक सीमिति किया जा सका है।

हालांकि इस सफलता के बावजूद ओजोन परत में लम्बे समय में आते बदलावों पर नजर रखना और उन्हें समझना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपना पहला ओजोन और यूवी बुलेटिन जारी किया है।

डब्लूएमओ के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालास ने वैश्विक ओजोन अवलोकन नेटवर्क के समन्वय में ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (जीएडब्ल्यू) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि इसने ओजोन में आती गिरावट और उसमें आए सुधार पर निगरानी रखने में अहम भूमिका निभाई है।

उनका कहना है कि उन्हें डब्ल्यू द्वारा इस मामले में निभाई जा रही अहम भूमिका पर गर्व है। उनके मुताबिक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता, दुनिया को विज्ञान द्वारा समर्थित सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से कई अन्य वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में प्रेरित कर सकती है। उन्हें अफसोस है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते ओजोन परत के सुधार की राह कठिन हो रही है। वहीं ओजोन परत में आई गिरावट निचले वायुमंडल की जलवायु को भी प्रभावित कर रही है।

ऐसे में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) द्वारा जारी इस नए वार्षिक बुलेटिन का उद्देश्य दुनिया भर में स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन और पराबैंगनी विकिरण के बारे में दुनिया को ताजा और नवीनतम जानकारी देना है। गौरतलब है कि यह बुलेटिन डब्लूएमओ के पिछले अंटार्कटिक और आर्कटिक ओजोन बुलेटिन की जगह लेगा, जिसे आखिरी बार सात साल पहले प्रकाशित किया गया था। इनका तकनीकी फोकस सीमित था। यह नया बुलेटिन ओजोन परत में आए दीर्घकालिक बदलावों को सटीक रूप से ट्रैक करने और उनके कारणों को समझने में मददगार हो सकता है। यह इसके लिए स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन और इसके कारकों के उच्च-गुणवत्ता माप के महत्व पर प्रकाश डालता है।

उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक रहा ओजोन का स्तर

बुलेटिन के अनुसार स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। वहीं अनुमान है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दशकों में वायुमंडल के अधिकांश हिस्सों में ओजोन परत पूरी तरह ठीक हो सकती है। इस बारे में जारी मानचित्र से पता चला है कि 2022 में, उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ओजोन का स्तर सामान्य से अधिक था।

वहीं उच्च अक्षांशों, विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में, इसका स्तर सामान्य से कम था। बता दें कि ओजोन परत धरती पर मौजूद जीवन को सूर्य से आने वाले हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ओजोन अवलोकनों की निगरानी महत्वपूर्ण है।

बुलेटिन के अनुसार 2022 में, अंटार्कटिक में मौजूद ओजोन छिद्र सितंबर में अपने सामान्य समय से देर में दिखाई देना शुरू हुआ था। जो अक्टूबर और नवंबर में कहीं ज्यादा बड़ा और गहरा गया था। अहम बात यह है कि सितंबर में इसके देर से सामने आने और इसको हुए नुकसान में कमी का देखा जाना इस बात का अहम सबूत है कि ओजोन परत ठीक होने लगी है।

देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों से ओजोन छिद्र के सामने आने की घटनाओं में लगातार देरी देखी गई है। यह देरी एक प्रवत्ति को इंगित करती है। आंकड़ों के मुताबिक इनमें प्रति दशक करीब पांच दिनों की गड़बड़ी दर्ज की गई है।

2022 में एक और बड़ी घटना जो सामने आई वो थी जनवरी में हंगा-टोंगा-हंगा हापाई ज्वालामुखी में हुआ विस्फोट। यह ज्वालामुखी विस्फोट पिछले 100 वर्षों में सबसे बड़ा था। इस विस्फोट ने बर्फ और जल वाष्प को समतापमंडल के ऊपरी हिस्से तक पहुंचा दिया था। इसकी वजह से समताप मंडल में जलवाष्प की मात्रा पांच से दस फीसदी तक बढ़ गई थी। नतीजन दक्षिणी गोलार्ध के ऊपर मौजूद समतापमंडल काफी हद तक ठंडा हो गया था।

इस जलवाष्प के चलते 2022 में दक्षिणी गोलार्ध के निचले समतापमंडल में ओजोन का स्तर कम हो गया था। वहीं अगली कई सर्दियों में इसकी वजह से ध्रुवीय भंवरों में जलवाष्प और एयरोसोल में वृद्धि होने की आशंका है। इसके कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में समतापमंडलीय बादल अधिक हो सकता हैं और ओजोन की कमी बढ़ सकती है। नतीजन ओजोन छिद्र कहीं ज्यादा बड़ा और लम्बे समय तक रह सकता है। 

हाल ही में इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वैश्विक स्तर पर एक नया ऐप लॉन्च किया गया है। जो स्थानीय स्तर पर यूवी विकिरण का पांच दिनों का पूर्वानुमान दे सकता है। सनस्मार्ट नामक इस ऐप को मुख्य रूप से व्यक्तिगत उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है, जो धूप से सुरक्षा देने में मदद कर सकता है। यह ऐप पूरी दुनिया में मददगार हो सकता है। यह ऐप दुनिया भर में यूवी विकिरण से होने वाले त्वचा सम्बन्धी कैंसर और आखों को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद कर सकता है।