जलवायु

खतरे में हैं समुद्री तट, बहुत तेजी से बढ़ रही हैं गर्मी व लू के दिनों की संख्या

दुनिया भर के तटीय क्षेत्रों में 2025 से 2049 के बीच हर साल औसतन 38 दिनों की सीएचडब्ल्यूईएसएल स्थिति का होगा अनुभव, जो 1989 से 2013 की ऐतिहासिक अवधि की तुलना में 31 दिनों की वृद्धि है।

Dayanidhi

समुद्र तटीय इलाके जलवायु परिवर्तन की मार झेलने में सबसे आगे हैं। बदलती जलवायु के चलते भूमि और समुद्र पर दोनों ही लू या हीटवेव तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। दुनिया भर में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि बढ़ती गर्मी के कारण बदलती जलवायु में गंभीर सामाजिक-आर्थिक और पारिस्थितिक समस्याएं सामने आ रही हैं और आगे भी जारी रहेंगी।

वहीं, एक नए अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि, पिछले 20 सालों की तुलना में 1998 से 2017 के बीच तटीय इलाकों में लू या हीटवेव और समुद्र स्तर में वृद्धि की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि मॉडल किए गए उच्च उत्सर्जन परिदृश्य के तहत 2025 से 2049 के बीच इन घटनाओं के पांच गुना अधिक होने की आशंका जताई गई है।

अध्ययन के मुताबिक, 'समवर्ती लू और चरम समुद्री स्तर' (सीएचडब्ल्यूईएसएल) कहलाने वाली ये घटनाएं तब होती है जब एक ही समय अवधि में एक ही तटीय स्थल पर कुछ समय के लिए लू और समुद्र के स्तर में अत्यधिक वृद्धि होती है। यद्यपि वे तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं, लेकिन इन घटनाओं की विशेषताओं और घटनाओं पर अब तक बहुत कम शोध हुआ है।

कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरमेंट में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अध्ययनकर्ता ने 1979 से 2017 के बीच दुनिया भर में सीएचडब्ल्यूईएसएल की घटनाओं का पता लगाया और भारी उत्सर्जन जलवायु परिदृश्य (आईपीसीसी के एसएसपी5-8.5 परिदृश्य) के तहत 2025 से 2049 के बीच भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया। अध्ययनकर्ताओं ने केवल उत्तरी गोलार्ध में मई से सितंबर और दक्षिणी गोलार्ध में नवंबर से मार्च तक फैली गर्मी के मौसम में होने वाली घटनाओं को शामिल किया है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि 1979 से 2017 की अवधि के दौरान दुनिया की लगभग 88 फीसदी तट रेखाओं में सीएचडब्ल्यूईएसएल घटनाएं महसूस की गई। लगभग 39 फीसदी समुद्र तट पर 1979 से 1998 की तुलना में 1998 से 2017 की अवधि के दौरान एक वर्ष में अनुभव की गई सीएचडब्ल्यूईएसएल स्थितियों की कुल अवधि में भारी वृद्धि दर्ज की गई, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक वृद्धि महसूस होने के आसार हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने लू की तीव्रता और सीएचडब्ल्यूईएसएल घटना घटित होने की आशंका के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध पाया, लू की तीव्रता में एक फीसदी की वृद्धि के साथ सीएचडब्ल्यूईएसएल घटना घटित होने में लगभग दो फीसदी की वृद्धि हुई।

अपने अनुमानों के आधार पर अध्ययनकर्ताओं का मनना है कि दुनिया भर के तटीय क्षेत्रों में 2025 से 2049 के बीच हर साल औसतन 38 दिनों की सीएचडब्ल्यूईएसएल स्थिति का अनुभव हो सकता है, जो 1989 से 2013 की ऐतिहासिक अवधि की तुलना में 31 दिनों की वृद्धि है।

अध्ययन के मुताबिक, सीएचडब्ल्यूईएसएल घटनाएं तटीय समुदायों के लिए एक भारी खतरा पैदा कर सकती हैं, खासकर लोगों के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक गर्मी से खतरे बढ़ सकते हैं।

अध्ययन के हवाले से अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के देशों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है और इनमें से कई देश निम्न या मध्यम आय वाले देश हैं जो प्रभावों से निपटने के लिए संघर्ष कर सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं का तर्क है कि मौसम संबंधी इन चरम घटनाओं के लिए तैयारी बढ़ाने के लिए प्रभावी जोखिम शमन रणनीतियों को तत्काल विकसित करने की जरूरत है।