जलवायु

नदियों के डेल्टाओं को बड़ा खतरा बन गया है जलवायु परिवर्तन, खतरे में हैं लाखों लोग

शोध के नतीजे बताते हैं कि वियतनाम में मेकांग, भारत में कृष्णा और गोदावरी जैसे डेल्टाओं में समुद्र के स्तर में वृद्धि की तुलना में भूमि तीन गुना तेजी से कम हो रही है।

Dayanidhi

एक नए शोध के मुताबिक, समुद्र के बढ़ते स्तर और नदी के ऊपरी हिस्से के दबाव के बीच तटीय नदियों के डेल्टा और वहां रहने वाली 50 करोड़ की आबादी खतरे में हैं। इन इलाकों ने पिछले हिमयुग के बाद से सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो प्रचुर मात्रा में ताजे पानी के साथ समतल, उपजाऊ भूमि प्रदान करते हैं जो कृषि के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है।

हाल के दिनों में, तटीय नदी डेल्टा दुनिया भर में शिपिंग व्यापार का केंद्र बन गए हैं, जिससे ढाका, काहिरा और शंघाई जैसे तेजी से बढ़ते महानगर को बढ़ावा मिला है। लेकिन ये इलाके अब खतरे में हैं और सारा दोष जलवायु परिवर्तन पर नहीं डाला जा सकता।

ग्लोबल एनवायर्नमेंटल चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि नील, मेकांग और मिसिसिपी सहित दुनिया भर के 49 डेल्टा जलवायु परिवर्तन और विकास के लिए आईपीसीसी के सभी भविष्य के परिदृश्यों के तहत बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं।

शोध में किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि कुछ डेल्टाओं के लिए कुछ खतरे दूसरों की तुलना में अधिक हैं। इन खतरों में भू-धंसाव, बढ़ती जनसंख्या घनत्व, अंधाधुंध कृषि, अप्रभावी शासन और अनुकूलन क्षमता की कमी शामिल है।

समुद्र के बढ़ते स्तर से डूबती जमीन

समुद्र के स्तर में वृद्धि और इससे जुड़े प्रभाव, जैसे कि खारापन, डेल्टा के लिए एक मुख्य खतरा हैं। लेकिन यह सिर्फ बढ़ता समुद्र नहीं है जो ऐसे खतरे पैदा करता है, डेल्टा स्वयं भी डूब रहे हैं। शोध के नतीजे बताते हैं कि वियतनाम में मेकांग और भारत में कृष्णा और गोदावरी जैसे डेल्टाओं में समुद्र के स्तर में वृद्धि की तुलना में भूमि तीन गुना तेजी से कम हो रही है।

जैसे ही पृथ्वी की परत धीरे-धीरे आकार बदलती है, हर तरह की जमीन ऊपर और नीचे की ओर धंसती है। लेकिन, जब भूमि में सैकड़ों मीटर गहरा तलछट का ढेर होता है, जैसा कि कुछ डेल्टा में है, तो प्रक्रिया बहुत तेजी से हो सकती है। तलछट के कण शीर्ष पर हर चीज के भार के तहत एक साथ संकुचित हो जाते हैं और जब पानी, या कभी-कभी तेल और गैस, जो स्वाभाविक रूप से कणों के बीच की जगह को भरता है, बाहर पंप किया जाता है, तो कण एक दूसरे के ऊपर गिर जाते हैं।

भूमि धंसने से समुद्र के स्तर में सापेक्ष वृद्धि होती है। यह प्रक्रिया फसल भूमि को खारा बना सकती है, बड़े पैमाने पर यहां बाढ़ आ सकती है और चरम मामलों में, पूरे तटीय क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है। शोध से पता चलता है कि इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता का लगभग 25 फीसदी हिस्सा, जो समुद्र के बगल में निचली भूमि पर बना है, साल 2050 में जलमग्न हो जाएगा

जनसंख्या घनत्व और फसल भूमि उपयोग

नील, गंगा और पर्ल डेल्टा भी दुनिया में सबसे घनी आबादी वाले स्थानों में से हैं। चीन का पर्ल डेल्टा, विशेष रूप से, गुआंगज़ौ, डोंगगुआन और फोशान के महानगर से भरा हुआ है, जो कुल मिलाकर तीन करोड़ से अधिक लोगों का घर है। आने वाले दशकों में कई डेल्टा और भी अधिक घनी आबादी वाले और इनका शहरीकरण हो जाएगा।

शहरी विकास प्राकृतिक नदी बाढ़ प्रक्रियाओं को डेल्टा में तलछट पहुंचाने और नदी चैनल और समुद्र के ऊपर भूमि की ऊंचाई को बनाए रखने से रोकता है। इससे डेल्टा भूमि समुद्र तल के सापेक्ष और भी तेज गति से नीचे धंस सकती है।

डेल्टा कृषि उपज के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। वियतनाम में लगभग पूरे रेड डेल्टा, इटली में पो और चीन में यांग्त्जी में सिंचित कृषि होती है। यदि फसलों की सिंचाई के लिए भूजल को पंप किया जाता है, तो फिर से ये डेल्टा बहुत तेजी से कम हो जाएंगे।

इन स्थानों पर कृषि उपज में व्यवधान के कारण भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वियतनाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और लगभग सारे चावल का उत्पादन मेकांग डेल्टा में होता है।

अनुकूलन करने की क्षमता

जब डेल्टा देशों के सामने आने वाले कई खतरों के प्रबंधन करने की बात आती है तो उनके पास विकल्प होते हैं, वे केवल बड़े वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों की दया पर निर्भर नहीं होते हैं। हालांकि, कई डेल्टाओं में खतरों से निपटने के लिए सरकारों की तत्परता, क्षमता और प्रभावशीलता कम है।

यह म्यांमार में इरावदी डेल्टा और कांगो, लिम्पोपो और जाम्बेजी सहित अफ्रीकी डेल्टा के लिए विशेष रूप से सच है। इन डेल्टाओं के देशों की प्रति व्यक्ति जीडीपी दुनिया में सबसे कम है, साथ ही सरकार की प्रभावशीलता और अनुकूलन के लिए तत्परता के संकेत भी हैं।

शोध में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग यहां सहायक भूमिका निभा सकता है और निभानी भी चाहिए। लेकिन यह कोई आसान काम नहीं है, विकासशील देशों को आवश्यक अनुकूलन उपायों को लागू करने के लिए पर्याप्त मात्रा में धन की आवश्यकता होती है। वास्तव में, विकासशील देशों की अनुकूलन वित्त आवश्यकताएं अब अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त प्रवाह से दस से 18 गुना बड़ी हैं।

यह सिर्फ जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने के लिए है। शोध में विश्लेषण से पता चला कि डेल्टा संबंधी खतरों की श्रृंखला जलवायु से कहीं आगे तक फैली हुई है और इसके लिए स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक तालमेल की आवश्यकता है।

खतरों से निपटने के समाधान क्या है?

ऐसे समाधान विकसित किए जाने चाहिए जो इन सभी तरह के खतरों पर विचार करें। जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के प्रयास जरूरी हैं, साथ ही डेल्टा से भूजल और जीवाश्म ईंधन निकालने संबंधी नियम भी जरूरी है।

शहरों को बाढ़ के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिए डिजाइन किया जा सकता है, जबकि कृषि पद्धतियों को खतरों से निपटने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इसमें जलीय कृषि, खारेपन को सहन करने वाली फसलों की खेती, या वैकल्पिक खेती के तरीकों की खोज जैसे तरीकों को अपनाना शामिल हो सकता है जो बाढ़ और डेल्टा को बचाने संबंधी प्रक्रियाओं को एक साथ जोड़ा जा सकता हैं।

जहां अन्य रणनीतियां असंभव हैं, वहां समुद्री दीवारों जैसे उन्नत समाधानों की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन ये दोषपूर्ण दृष्टिकोण नहीं बनना चाहिए। सबसे बढ़कर, समाधानों का विकास समावेशी होना चाहिए, जिसमें न केवल विशेषज्ञ बल्कि स्थानीय लोग भी शामिल हों, जो तत्काल आवश्यक सरकारी कार्रवाई और वित्त से प्रेरित हों।