हिमाचल के मंडी जिला के सरकाघाट क्षेत्र में अचानक आए लैंडस्लाइड की चपेट में आई बस। फोटो: रोहित पराशर 
जलवायु

हिमाचल में बारिश का कहर: 24 घंटों में तीन जगह बादल फटे, कई इलाकों में बाढ़

किन्नौर और लाहौल-स्पीति में जनजातीय समुदायों की चिंता बढ़ी, प्रदेश में अब तक 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान

Rohit Prashar

हिमाचल प्रदेश में मानसून इस बार फिर कहर बरपा रहा है। 13 अगस्त की शाम से लेकर 14 अगस्त 2025 की दोपहर तक तीन स्थानों पर बादल फटने, चार जगह बाढ़ और तीन जगह अचानक आई भारी बाढ़ (फ्लैश फ्लड) ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।

किन्नौर जिले के पूह में हाजो नाले में आई अचानक बाढ़ से कई वाहन बह गए और सिंचाई के लिए बनी पारंपरिक कूहलें ध्वस्त हो गईं। लाहौल-स्पीति जिले के जहालमा में फ्लैश फ्लड और मयाड घाटी में बादल फटने और खुरिक में बाढ की वजह से सड़कों , कई घरों को नुकसान पहुंचा है। कुल्लू जिले के निरमंड उपमंडल के बतेड और शिमला जिले के गानवी खड्ड में भी बादल फटने व बाढ़ से भारी क्षति हुई।

भारी बारिश, जलभराव और बाढ़ से शिमला, उना, कुल्लू और मंडी जिले सबसे अधिक प्रभावित रहे। उना में हालात इतने बिगड़े कि जिला प्रशासन ने गुरुवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया। राजधानी शिमला में भी कई स्थानों पर भूस्खलन और जलभराव से यातायात बाधित हुआ।

राज्य सरकार के आंकडों के अनुसार, इस साल इस मॉनसून सीजन में प्राकृतिक आपदाओं में अब तक 241 लोगों की जान जा चुकी है, 36 लोग लापता हैं और 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ है। यह आंकड़े पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी अधिक हैं।

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कांगड़ा में 273 मिमी, सुजानपुर में 254 मिमी, धर्मशाला में 250 मिमी और शिमला के आसपास के क्षेत्रों में 126 मिमी बारिश दर्ज की गई।

अगस्त माह में अब तक प्रदेश में औसत से 23% अधिक बारिश हुई है (172 मिमी, जबकि सामान्य 140 मिमी मानी जाती है)। पूरे मानसून सीजन में भी अब तक 12% ज्यादा वर्षा दर्ज की गई है। मौसम केंद्र शिमला की ओर से 15 अगस्त को प्रदेश के चार जिलों कांगड़ा,  शिमला,  सिरमौर और सोलन जिला में भारी बारिश को लेकर येलो अलर्ट  जारी किया गया है।

मौसम विभाग ने गुरुवार को भले ही किन्नौर और लाहौल-स्पीति को छोड़कर बाकी जिलों के लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया था, लेकिन इन जनजातीय क्षेत्रों में भी बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं ने स्थानीय लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, लाहौल-स्पीति के पूर्व विधायक डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि मौसम में हो रहे बदलावों का असर चरम घटनाओं जैसे बादल फटने और बाढ़ के रूप में देखने को मिल रहा है।

उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में मौसम में आए बदलावों का हवाला देते हुए मांग की कि इन चरम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति को समझने के लिए एक विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए।

वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी राज्यों में बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा पैटर्न, चरम मौसम की घटनाओं को और तेज कर रहे हैं।

 मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नागरिकों से अपील की है कि नदियों, नालों और अन्य जोखिमपूर्ण स्थलों के पास न जाएं। उन्होंने कहा, “मौसम की स्थिति गंभीर है, सतर्क रहना और सुरक्षा निर्देशों का पालन करना जरूरी है।”