यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ईसीएमडब्ल्यूएफ) के प्रारंभिक विश्लेषण के मुताबिक, 17 नवंबर, 2023 को वैश्विक तापमान दो डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया था। इस दिन तापमान औद्योगिक काल से पहले (1850-1900) के औसत तापमान की तुलना में 2.06 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले कभी भी तापमान इस सीमा पर नहीं पहुंचा था।
ईसीएमडब्ल्यूएफ में कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि 17 नवंबर 2023 को वैश्विक तापमान 1991 से 2020 के औसत तापमान की तुलना में 1.17 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। जो उसे रिकॉर्ड का अब तक का सबसे गर्म बनाता है।
डब्लूएफएलए न्यूज चैनल 8, टाम्पा बे के मुख्य मौसम विज्ञानी और जलवायु विशेषज्ञ जेफ बेरार्डेली ने इस बारे में एक्स पर लिखा है कि दो डिग्री सेल्सियस की सीमा को अस्थाई रूप से पार करना अल नीनो और इंसानों की वजह से जलवायु में आते बदलावों से जुड़ा है।
वैज्ञानिकों ने यह भी चेतावनी दी है कि अल नीनो, जोकि अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) का गर्म चरण है, वो पहले से कहीं ज्यादा प्रबल हो गया है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक यह स्थिति 2023 के बसंत में उभरना शुरू हुई, जो गर्मियों के दौरान तेजी से बढ़ती रही और सितंबर 2023 में मध्यम स्तर तक पहुंच गई थी। वहीं वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि इस सर्दी में अल नीनो का प्रभाव प्रबल रहने की 90 फीसदी संभावना है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) पहले ही इस बात की आशंका जता चुका है कि मौजूदा अल नीनो की घटना अप्रैल 2024 तक जारी रह सकती है। इससे न केवल मौसम के मिजाज पर असर पड़ेगा साथ ही जमीन और समुद्र दोनों के तापमान में वृद्धि होगी।
राष्ट्रीय मौसम सेवा के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने इस बात की 35 फीसदी आशंका जताई है कि अल नीनो नवंबर से जनवरी की अवधि के दौरान ऐतिहासिक रूप से प्रबल हो सकता है। वहीं सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट रिसर्च में क्लाइमेट मिटिगेशन ग्रुप के शोध निदेशक ग्लेन पीटर्स ने एक्स पर जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि, “इसका मतलब है कि साल 2024, 2023 से भी अधिक गर्म रह सकता है।“
2023 के बाद 2024 में भी जारी रह सकता है बढ़ते तापमान का कहर
गौरतलब है कि साल 2023 में पहले ही कई रिकॉर्ड बने और टूटे हैं। 2023 स्टेट ऑफ क्लाइमेट रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है, जिसके मुताबिक 12 सितम्बर 2023 तक साल में 38 दिन ऐसे दर्ज किए गए जब तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक था। यह आंकड़ा किसी भी अन्य साल से अधिक है। इतना ही नहीं इस वर्ष जून से अगस्त तक की अवधि अब तक की सबसे गर्म अवधि रही।
यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने पुष्टि की है कि एक तरफ जहां इस साल अक्टूबर का महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा। वहीं साथ ही 2023 का सबसे गर्म वर्ष होना करीब-करीब तय हो गया है। बता दें कि जुलाई, अगस्त, सितम्बर और अब अक्टूबर के रिकॉर्ड में सबसे गर्म रहने के बाद यह करीब-करीब तय माना जा रहा है कि वर्ष 2023, जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म साल होगा।
बढ़ते तापमान के मामले में समुद्र भी पीछे नहीं है। वैश्विक और उत्तरी अटलांटिक दोनों समुद्री सतह के तापमान ने नए इस साल नए रिकॉर्ड बनाए है। जहां अमेजन ने अभूतपूर्व सूखे का अनुभव किया, वहीं अमेजॉन की सबसे बड़ी सहायक नदी, नीग्रो का जल स्तर 120 वर्षों के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इसकी वजह से नदी यातायात के साथ-साथ स्थानीय कस्बों और गांवों में बिजली आपूर्ति पर भी गहरा प्रभाव पड़ा।
2023 स्टेट ऑफ क्लाइमेट रिपोर्ट के अनुसार, “यह एक संकेत है कि हम अपने ग्रह की प्रणालियों को खतरनाक रूप से अस्थिरता की ओर धकेल रहे हैं।“क्लाइमेट इमरजेंसी इंस्टीट्यूट के संस्थापक पीटर कार्टर ने एक्स पर लिखा कि, "उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों में बढ़ता तापमान गर्मियों की तुलना में अधिक है, जहां तापमान दो डिग्री सेल्सियस से कहीं अधिक है।"
इतना ही नहीं यदि गत 12 महीनों को देखें तो वो पिछले 125,000 वर्षों में सबसे गर्म रहे हैं। जब तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.32 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।