हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र में 30 जून 2025 की रात हुई भारी बारिश के बाद मची तबाही से नुकसान का आकलन हिमालय नीति अभियान (एचएनए) ने जारी किया है। एचएनए के अनुसार, सराज विधानसभा क्षेत्र की बाखली नाल घाटी में भारी बारिश के कारण सभी छोटे-छोटे नालों में बाढ़ आई तथा बड़े पैमाने पर घाटी में भूस्खलन हुआ l
इस घाटी के 35-40 किलोमीटर के दायरे में मगरूगला से बाखली, पंड़ोह डेम तक 29 जून से ही भारी बारिश हो रही थी l इस कारण बाढ़ और भूस्खलन से पूरी घाटी में 50 हजार के करीब आबादी प्रभावित हुई l इस बाढ़ और भूस्खलन से कई घर ढह गए और सड़क-रास्ते टूट गए l
एचएनए का यह अनुमानित आकलन जमीनी भ्रमण और स्थानीय लोगों से चर्चाओं से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अभी तक इस आपदा से हुए नुकसान के आंकड़े जारी नहीं किए हैं l एचएनए अनुसार, सरकार के सभी विभागों को इस आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेना चाहिए l खासकर राजस्व विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह नुकसान का सटीक आकलन करें l
दो दर्जन गांव प्रभावित
सराज घाटी के लगभग दो दर्जन गावों बड़े पैमाने पर बाढ़ तथा भूस्खलन से प्रभावित हुए। इनमें मुख्य रूप से रेलचौक, भलवाड़, बैओड, केऊलीनाल, पांडव शिला, रूशाड, जरोल, लम्बाथाच, थानाड़ी, थुनाग, डेजी, लामंव, देयोल, खुनागी, शरण, सुराह, पटिकरी शामिल हैं l एचएनए का कहना है कि कुछ बिखरे घरों के नुकसान का शायद अभी अनुमान भी न हो या कोई वहां पहुंचा भी न हो l
जानमाल का नुकसान
एचएनए के अनुमान के मुताबिक, सराज में मची तबाही से 7 लोगों की मौत हुई जबकि 21 लापता हैं। वहीं घायलों का आंकड़ा 50 है। आकलन रिपोर्ट के अनुसार, इस त्रासदी से 300 से अधिक पालतू पशुओं की मौत हुई है। लगभग 622 घरों और करीब 350 गौशालाएं/ छानके/दोघरी पूरी तरह नष्ट हो गई जबकि 150 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। अनुमान है कि किसानों की हजारों बीघा कृषि भूमि तथा सेब के बगीचे भूस्खलन से नष्ट हो गए तथा कई पॉलीहाउस भी तबाह हो गए हैं। इन पॉलीहाउस में किसान फूलों की खेती करते थे।
आपदा से सबसे अधिक नुकसान थुनाग बाजार को हुआ जहां लगभग 150 दुकान व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचा। इनमें से करीब 60 दुकानें बह गईं और पूर्ण क्षतिग्रस्त हो गई, 40 दुकानों में मलबा घुसने से सामान नष्ट हुआ। इसके अलावा बैंक, सरकार भवनों और वकीलों के दफ्तरों में पानी व मलबा घुसने से नुकसान हुआ। जंजेहली, बगसियाड तथा दूसरे स्थानों में भी दुकानों को भारी नुकसान पहुंचा l
बुनियादी ढांचे को नुकसान
आपदा से चैल-जंजैहली, लंबाथाच-कलहणी-पंडोह, लंबाथाच-चिऊणी-शैटाधार सड़कों पर मलबा गिरने और भुस्खलन से यातायात कई दिनों तक ठप रहा। जंजैहली- गाडागुसानी सड़क भी बुरी क्षतिग्रस्त हुई और अब भी सभी सड़कें पर बड़े वाहनों के आवागमन के लिए बंद हैं। इसके साथ ही कई पुल बह गए हैं l आकलन रिपोर्ट के अनुसार, गावों के रास्तों तथा पुलियों को भारी नुकसान हुआ जिससे चलने में लोगों को मुश्किल हो गई है l कई स्थानों पर स्कूलों तथा दूसरे सार्वजनिक भवनों को भी भारी नुकसान पहुंचा है l वहीं 13 मेगावाट की पटिकरी जल विद्युत परियोजना पूरी तरह नष्ट हो गई है।
पेयजल संकट
आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 पंचायतों को पानी की आपूर्ति करने वाली लिफ्ट जलापूर्ति परियोजना "छड़ी खड्ड-शैटाधार" खराब होने से सभी 25 पंचायतों में पेयजल का संकट पैदा हो गया है। अन्य गावों की बहुत सारी पेयजल योजनाएं भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। आपदा प्रभावित एक दर्जन से अधिक गांवों में बिजली अभी भी नहीं है, जबकि घटना के कई दिनों बाद तक पूरी घाटी में बिजली आपूर्ति बाधित रही।
बेघर व भूमिहीन परिवार
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 400 परिवार बेघर हो गए हैं l करीब 200 लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि कुछ अपने रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं l आपदा से 35-40 परिवार पूर्णरूप से भूमिहीन हो गए हैं l मलबा हटाने के दौरान कई मकान ढह रहे हैं, जिससे नुकसान और बढ़ रहा है। नदी किनारे के खेतों और बगीचों में चट्टानों के ढेर लग गए हैं, जबकि दलानों में खेत और बगीचे दिखते ही नहीं हैं, केवल चटानें दिख रही हैं l
थुनाग बाजार को सर्वाधिक नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार, थुनाग बाजार इस आपदा में सबसे अधिक प्रभावित हुआ। बाजार का 50 प्रतिशत हिस्सा नष्ट हो गया और 120 दुकानदार बेरोजगार हैं। बस स्टैंड से पुरानी तहसील भवन तक मलबे और कीचड़ के ढेर जमा हैं। धीमी सफाई प्रक्रिया के कारण कारोबार ठप पड़ा है। कुछ व्यापारी पुरानी दुकानों की मरम्मत कर रहे हैं तो कुछ फिर से पूरा नया निर्माण करने लगे हैं l
पानी के रास्ते में थे घर, दुकान, कार्यालय
इस आपदा ने लोगों को गहरे आर्थिक और भावनात्मक जख्म दिए हैं l थुनाग तहसील के गांवों में आज से 40-50 साल पहले केवल 20-25 घराट होते थे l केवल एक मुख्य सड़क मंडी जंजैहली ही थी l 1984-85 में यहां तहसील बनी, फिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल। पिछले कुछ सालों से हर गांव की सड़कें बनीं, पंचायती राज प्रशिक्षण केंद्र खुला, एसडीएम कार्यालय, मिनी सचिवालय, न्यायालय, बस स्टैंड, जल शक्ति विभाग का मंडल कार्यालय, बागबानी कॉलेज इत्यादि कई सरकारी संस्थान और कार्यालय भवन इसी नाले में स्थापित हो गए l
पूरे नाले के आसपास के घराट व कुलहें पहले बिकी और धीरे-धीरे आसपास के खेतों में भी घर व दुकानें बनना शुरू हुई। इस तरह आसपास के सभी नालों पर अतिक्रमण हो गया। थुनाग में इससे पहले भी तीन चार बार बाढ़ आ चुकी है और इस बार पानी ने अपना रास्ता पुन: प्राप्त कर लिया l
अनुमान के मुताबिक, पूरे सराज में लगभग 500 करोड़ रुपए के निजी व सरकारी सम्पतियों का नुकसान पहुंचा है। केवल थुनाग नाले में 100 से 150 करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान हुआ है l आकलन रिपोर्ट यह भी कहती है कि मगरू गला, रायगढ़, शिकारी माता से लेकर पखरेर बगसियाड़ गोहर तक और दूसरी ओर तुगासी से कल्हनी होते हुए बाखली तक जंगलों में बहुत बड़े पैमाने पर सेकड़ों हेक्टेयर वन भूमि पर भूस्खलन हो गया है, जिससे हजारों पेड़ नष्ट हो गए हैं l नालों के किनारे की भूमि बह गई है और पेड़ पौधे तबाह हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वन विभाग को नुकसान का आकलन करना चाहिए l