जलवायु

सालाना 1,500 करोड़ मीट्रिक टन सीओ2 संजो सकते हैं महासागर, अनुमान से 20 फीसदी अधिक है क्षमता

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर महासागर हर साल औसतन 1,500 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन स्टोर कर सकते हैं, जो पिछले अनुमान से 20 फीसदी अधिक है

Lalit Maurya

जर्नल नेचर में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने पहले जितना सोचा था, महासागर उससे करीब 20 फीसदी अधिक कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) स्टोर कर सकते है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर महासागर हर साल औसतन 1,500 करोड़ मीट्रिक टन (15 गीगाटन) कार्बन स्टोर कर सकते हैं। जो आईपीसीसी द्वारा 2021 में जारी रिपोर्ट से करीब 20 फीसदी अधिक हैं।

बता दें कि आईपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि समुद्र हर साल औसतन 1,100 करोड़ मीट्रिक टन (11 गीगाटन) कार्बन डाइऑक्साइड को अपने में संजोने की क्षमता  रखते हैं। गौरतलब है कि अपनी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने इस बात का भी अध्ययन किया कि कैसे प्लैंकटन कार्बन को समुद्र की सतह से तल तक ले जाने में मदद करते हैं।

इस बारे में फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (सीएनआरएस) ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि प्लैंकटन कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं। जैसे-जैसे वो बढ़ते हैं, प्रकाश संश्लेषण का उपयोग करके इस सीओ2 को आर्गेनिक टिश्यू में बदल देते हैं।

इसके बाद जब यह प्लैंकटन मरते हैं तो इन प्लवकों का कुछ हिस्सा कणों में बदल जाता है, जिन्हें 'समुद्री बर्फ' कहा जाता है। भारी होने के कारण यह कण समुद्र तल में डूब जाते हैं, जिसकी वजह से वहां कार्बन जमा होने लगता है। इसकी वजह से छोटे बैक्टीरिया और मछलियों से लेकर समुद्री जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।

अपने इस अध्ययन में अंतराष्ट्रीय शोधकर्तओं के एक दल ने 70 के दशक से दुनिया भर में वैज्ञानिक जहाजों द्वारा एकत्र किए आंकड़ों का अध्ययन किया है। उन्होंने इस जानकारी का उपयोग कार्बनिक पदार्थों के वैश्विक प्रवाह का डिजिटल मैप तैयार किया है। इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक महासागर हर साल करीब 15 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड स्टोर कर सकते हैं।

जलवायु के नजरिए से बेहद अहम हैं महासागर

शोधकर्ताओं के मुताबिक महासागर की कार्बन भंडारण क्षमता के बारे में यह नई समझ यह जानने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है कि दुनिया भर में हवा और महासागरों के बीच कार्बन कैसे यात्रा करता है।

शोधकर्ता के मुताबिक चूंकि कार्बन को अवशोषित करने की इस प्रक्रिया में हजारों साल लगते हैं, ऐसे में यह वैश्विक स्तर पर औद्योगिकरण की वजह से सीओ2 में हुई भारी मात्रा में वृद्धि को संतुलित करने के लिए काफी नहीं है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर जलवायु को नियंत्रित करने में महासागर कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यह अध्ययन इस बात को भी उजागर करता है।

इसमें कोई शक नहीं की पृथ्वी पर जीवन को सहारा देने में महासागरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यह हमारी आवश्यकता का करीब आधा ऑक्सीजन पैदा करते हैं। इतना ही नहीं यह वातावरण में उत्सर्जित होते करीब एक चौथाई कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) को सोख लेते हैं। साथ ही इस उत्सर्जन से पैदा होती 90 फीसदी अतिरिक्त गर्मी को भी महासागर अवशोषित कर लेते हैं। यही वजह है कि इन्हें पृथ्वी के फेफड़े भी कहा जाता है। जो प्राथमिक रूप से कार्बन सिंक के रूप में भी काम करते हैं। और जलवायु में आते बदलावों से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।