जलवायु

महासागर उत्सर्जित करने लगे है सीएफसी-11, ओज़ोन परत पड़ेगी कमजोर

अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर के महासागरों ने ओजोन को हानि पहुंचाने वाले शक्तिशाली केमिकल सीएफसी-11, जिसे वे लंबे समय से अवशोषित कर रहे थे, अब इसे उत्सर्जित कर रहे हैं।

Dayanidhi

दुनिया भर के महासागर क्लोरोफ्लोरोकार्बन या सीएफसी सहित अनेक गैसों के विशाल भंडार हैं। सागर वायुमंडल से इन गैसों को अवशोषित करते हैं और उन्हें नीचे की ओर खींचते हैं, जहां गैसें सदियों या उससे भी अधिक समय तक रह सकती हैं। क्लोरोफ्लोरोकार्बन या सीएफसी गैस ओजोन परत को कमजोर करने के लिए जानी जाती है।

समुद्र से निकलने वाली सीएफसी लंबे समय से समुद्र की धाराओं का अध्ययन करने, पता लगाने वाले (ट्रेसर) के रूप में उपयोग की जाती है, लेकिन वायुमंडलीय सांद्रता पर इनके प्रभाव को अभी तक न के बराबर माना गया था।

अब मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने सीएफसी-11 के रूप में पहचानी गई एक तरह की सीएफसी गैस को समुद्रीय प्रवाह में पाया है, जो वास्तव में वायुमंडलीय सांद्रता को प्रभावित करती है।

एक नए अध्ययन के आधार पर, टीम ने बताया है कि दुनिया भर के महासागरों ने ओजोन को हानि पहुंचाने वाले शक्तिशाली केमिकल जिसे वे लंबे समय से अवशोषित कर रहे थे, अब इसे उत्सर्जित कर रहे हैं।

नए परिणामों से वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को इस केमिकल के भविष्य के स्रोतों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है, जोकि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत दुनिया भर में प्रतिबंधित है।

एमआईटी अध्ययनकर्ता सुसान सोलोमन कहते है कि जब तक आप 22वीं शताब्दी में प्रवेश करेंगे, तब तक समुद्र से निकलने वाले इस केमिकल का काफी हिस्सा होगा, आपको यह भी लग सकता है कि कोई मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहा है, लेकिन वास्तव में यह समुद्र से बाहर आ रहा होगा। यह एक दिलचस्प पूर्वानुमान है और उम्मीद है कि भविष्य के शोधकर्ताओं को इस बारे में मदद मिलेगी कि क्या हो रहा है।

सीएफसी -11 एक क्लोरोफ्लोरोकार्बन है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर रेफ्रिजरेंट और इंसुलेटेड फोम बनाने के लिए किया जाता था। जब यह वातावरण में उत्सर्जित होती है, तो एक रासायनिक श्रृंखला बनाती है जो अंततः ओजोन को तबाह कर दती है।

ओजोन एक वायुमंडलीय परत है जो पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है। 2010 के बाद से, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत दुनिया भर में रसायन के उत्पादन और उपयोग को एक वैश्विक संधि के तहत चरणबद्ध तरीके से हटाने का प्रयास किया गया है, जिसका उद्देश्य ओजोन परत को बहाल करना और उसकी रक्षा करना है।

इसपर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगने के बाद से, वायुमंडल में सीएफसी-11 के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि महासागर सभी निर्मित सीएफसी-11 उत्सर्जन का लगभग 5 से 10 फीसदी अवशोषित कर चुके हैं। हालांकि यह भविष्यवाणी की गई है कि सीएफसी -11 समुद्र में बढ़ जाएगा, यहां इसके अवशोषित (सिंक) होने के बजाय एक स्रोत बन जाएगा। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

सोलोमन कहते हैं कि कुछ समय के लिए, मानव उत्सर्जन बहुत अधिक था समुद्र जो उत्सर्जित कर रहा था वह न के बराबर माना जाता था। जैसा कि अब हम मानवजनित उत्सर्जन से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं, हम इस बात को पूरी तरह से अनदेखा नहीं कर सकते हैं कि अब महासागर क्या कर रहे हैं।

एमआईटी की टीम ने यह देखा कि जब महासागर केमिकल का स्रोत बन जाएगा और हद तक महासागर वायुमंडल में सीएफसी-11 को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने यह भी समझने की कोशिश की, कि जलवायु परिवर्तन भविष्य में केमिकल को अवशोषित करने की महासागर की क्षमता को कैसे प्रभावित करेगा।

शोधकर्ताओं ने समुद्र और वायुमंडल के बीच मिश्रण को अनुकरण करने के लिए मॉडलों के एक पदानुक्रम का उपयोग किया। उन्होंने वायुमंडल का एक सरल मॉडल और उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में समुद्र की ऊपरी और निचली परतों से शुरुआत की।  

उन्होंने इस मॉडल को सीएफसी-11 के मानवजनित उत्सर्जन से जोड़ा है जो पहले वर्षों के अनुसार था, फिर महासागर और वायुमंडल के बीच केमिकल प्रवाह में परिवर्तन का निरीक्षण करने के लिए 1930 से 2300 तक के समय के आधार पर मॉडल को आगे बढ़ाया। 

जब उन्होंने मॉडल के भविष्य के अनुमानों को देखा, तो उन्होंने पाया कि समुद्र ने 2075 के आसपास इसे अवशोषित करने की तुलना में अधिक केमिकल उत्सर्जन करना शुरू कर दिया है।

जलवायु परिवर्तन केमिकल उत्सर्जन की इस प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाएगा। टीम ने वर्ष 2100 तक लगभग 5 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ इस मॉडल का उपयोग किया और पाया कि जलवायु परिवर्तन अगले 10 वर्षों तक सागर एक स्रोत बन जाएगा। 2140 तक बड़ी मात्रा में सीएफसी-11 उत्सर्जन करेगा।