यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक दल ने पाया है कि गहरे समुद्र में बैक्टीरिया कार्बन युक्त चट्टानों को काटकर घोल देते हैं, जिससे समुद्र से वायुमंडल में अतिरिक्त कार्बन निकलती है। इस अध्ययन का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेवार वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का बेहतर अनुमान लगाना है।
मिनेसोटा विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र डाल्टन लेप्रिक ने बताया कि यदि कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) महासागर में छोड़ी जा रही है, तो यह वायुमंडल में भी मिल रही है, क्योंकि इन दोनों के बीच लगातार गैसों का आदान-प्रदान होता रहता है। हालांकि यह उतना बड़ा असर नहीं है जितना कि पर्यावरण पर मनुष्य डाल रहे हैं। यह वातावरण में वह सीओ2 मिल रही है जिसके बारे में हमें पता नहीं था। इन नंबरों से हमें अपने घर में वैश्विक कार्बन बजट तय करने में मदद मिलेगी।
शोधकर्ताओं ने सल्फर का ऑक्सीकरण करने वाले बैक्टीरिया का अध्ययन करना शुरू किया, बैक्टीरिया का एक समूह है जो सल्फर को ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं, खासकर समुद्र तल पर जहां मीथेन रिसती है। गहरे समुद्र में प्रवाल भित्तियों में इन्हीं कि तरह अकिन होता है, जो चूना पत्थर के संग्रह होते हैं जो बड़ी मात्रा में कार्बन को इकट्ठा करते हैं। इन चट्टानों के ऊपर सल्फर का ऑक्सीकरण करने वाले बैक्टीरिया रहते हैं।
चूना पत्थर में क्षरण और छिद्रों के पैटर्न को नोट करने के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि सल्फर के ऑक्सीकरण की प्रक्रिया में, बैक्टीरिया एक अम्लीय प्रतिक्रिया पैदा करते हैं जो चट्टानों को घोल देती है। इन चट्टानों से तब चूने के पत्थर के अंदर इकट्ठा हुई कार्बन निकल जाती है।
लेप्रिक ने कहा आप इसका अंदाजा इस तरह लगा सकते हैं जैसे कि आपके दांतों में कैविटीज हो रही हैं, आपका दांत एक मिनरल है। ऐसे बैक्टीरिया हैं जो आपके दांतों पर रहते हैं और आपका दंत चिकित्सक आमतौर पर आपको बताएगा कि शक्कर आपके दांतों के लिए ठीक नहीं है। बैक्टीरिया उस शक्कर को ले जा रहे हैं और उन्हें सड़ा रहे हैं, सड़ाने की यह प्रक्रिया एक एसिड बनाती है जो आपके आपके दांतों को नष्ट कर देगा। इसी तरह समुद्र की चट्टानों के साथ भी समान प्रक्रिया हो रही है।
शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के खनिजों पर इस प्रभाव का परीक्षण करने की योजना बनाई है। भविष्य में, इन निष्कर्षों से वैज्ञानिकों को विघटनकारी विशेषताओं जैसे- छेद, दरारें या अन्य सबूतों का उपयोग करने में मदद मिल सकती है जो चट्टानों को बैक्टीरिया द्वारा नष्ट किया जा रहा है। मंगल जैसे अन्य ग्रहों पर जीवन के सबूत खोजने के लिए इस तरह का प्रयोग किया जा सकता है।
मिनेसोटा डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ एंड एनवायरनमेंटल साइंसेज के एक प्रोफेसर जेक बेली ने कहा ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं, कई उदाहरणों में से एक है बैक्टीरिया ने हमारे ग्रह पर तत्वों की रीसायकलिंग में अहम भूमिका निभाई है। यह अध्ययन मल्टीडिसकीप्लीनरी माइक्रोबियल इकोलॉजी (आईएसएमई) पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि अध्ययन के निष्कर्षों से, वैज्ञानिकों को भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेवार वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का बेहतर अनुमान लगाने में मदद मिलेगी।