एट्रिब्यूशन साइंस कैसे विकसित हुई है?
पहले जलवायु वैज्ञानिकों और मौसम विशेषज्ञों के बीच इस बात को लेकर मतभेद था कि आप मौसम की खास चरम घटना और जलवायु परिवर्तन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं स्थापित कर सकते हैं। लेकिन अब, घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें हम सीधे जलवायु परिवर्तन से जोड़ सकते हैं।
एट्रिब्यूशन को सटीक बनाने में किसने मदद की है?
हमने वास्तविक दुनिया में ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग देखी है। इसलिए इन घटनाओं की निगरानी का एक लंबा रिकॉर्ड भी मौजूद है, जो रुचि का विषय है। और जैसे-जैसे ज्यादा सांख्यिकीय प्रमाण जुड़ते जाते हैं, यह हर एक गुजरते साल के साथ लंबा होता जाता है। हमारे पास एक मजबूत संकेत और वास्तविक दुनिया के भी सबूत हैं। दूसरा, हमारे पास अब अधिक कुशल क्लाइमेट एंड अर्थ सिस्टम मॉडल हैं, जो विशेष रूप से व्यवस्थित मॉडलों का बड़ा समूह है। इसलिए इतिहास की किसी एक विशेष अवधि के लिए केवल एक या दो बार एक मॉडल चलाने की जगह पर, अब हमारे पास इस काम के लिए दर्जनों प्रतिरूप होंगे।
इन प्रतिरूपों में कौन सी शर्तें बदली हुई हैं?
हम एक मॉडल लेते हैं और प्रारंभिक स्थितियों को बहुत सूक्ष्म तरीके से बिगाड़ देते हैं। सिमुलेशन की शुरुआत में तापमान में एक डिग्री के दसवें हिस्से को किसी भी दिशा में जोड़ देते हैं और इसे 100-200 वर्षों तक चलाते हैं। यह सिमुलेशन मॉडल में विश्वसनीय लगने वाले मौसम की घटनाओं के विभिन्न अनुक्रम पैदा करने के लिए काफी होता है। जरूरी नहीं है कि यह भविष्य या अतीत की वास्तविक घटनाओं के अनुरूप ही हो, लेकिन यह संभावनाओं की व्यापक समझ दे देता है।
पहले की तुलना में आज आप ज्यादा भरोसे के साथ क्या कह सकते हैं?
हम ज्यादा भरोसे के साथ देख सकते हैं कि अत्यधिक गर्म हवाएं चलने की दर और तीव्रता बढ़ रही है और शीत लहरों के लिए यह घट रही है। अब हमें यह कहने के लिए दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में शोध करने की कोई जरूरत नहीं है कि जलवायु परिवर्तन ने गर्म लहरों को और अधिक तेज कर दिया है और भविष्य में भी गर्मी के लिए एक बड़ा कारण होगा।
मैं चक्रवातों के लिए ठीक ऐसा ही नहीं कहूंगा। इस बात के प्रमाण हैं कि जलवायु परिवर्तन सबसे मजबूत चक्रवातों को और ज्यादा शक्तिशाली बना रहा है। लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह उनके पैदा होने की दर में बढ़ोतरी कर रहा है।