जलवायु

अंतरिक्ष से मीथेन के ‘सबसे बड़े उत्सर्जक’ का पता लगाता है नासा का नया उपकरण

Dayanidhi

नासा के वैज्ञानिकों ने धूल जलवायु को कैसे प्रभावित करती है इस बात का पता लगाने के लिए एक नया उपकरण बनाया है। उन्होंने इस उपकरण का उपयोग करते हुए दुनिया भर में 50 से अधिक स्थानों की पहचान की है जो मीथेन का सबसे अधिक उत्सर्जन करते हैं। यह एक ऐसा उपकरण है जो शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस का मुकाबला करने में मदद कर सकता है।

नासा के प्रबंधक बिल नेल्सन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए मीथेन उत्सर्जन पर लगाम लगाना अहम है। उन्होंने कहा यह रोमांचक नया विकास न केवल शोधकर्ताओं को बेहतर तरीके से मीथेन उत्सर्जन का पता लगाने में मदद करेगा, बल्कि यह भी जानकारी प्रदान करता है कि उन्हें कैसे तेजी रोका जा सकता है।

नासा ने नया उपकरण अर्थ सरफेस मिनरल डस्ट सोर्स इन्वेस्टिगेशन (ईएमआईटी) जलवायु पर वायुजनित धूल के प्रभावों की समझ को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।

ईएमआईटी, जिसे जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर स्थापित किया गया था यह एक फुटबॉल  के मैदान के बराबर छोटे इलाकों पर निगरानी कर सकता है। इसमें मीथेन की उपस्थिति का पता लगाने की क्षमता है।

नासा ने कहा कि मध्य एशिया, मध्य पूर्व और दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में अब तक 50 से अधिक मीथेन गैस के "सबसे बड़े उत्सर्जकों" की पहचान की गई है। उनमें से ज्यादातर जीवाश्म ईंधन, अपशिष्ट या कृषि क्षेत्रों से जुड़े हैं।

नासा के मुख्य वैज्ञानिक और जलवायु सलाहकार केट केल्विन ने कहा कि ईएमआईटी की अतिरिक्त मीथेन का पता लगाने की क्षमता जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेवार ग्रीनहाउस गैसों को मापने और निगरानी करने का एक उल्लेखनीय अवसर प्रदान करती है।

तापमान वृद्धि में अपेक्षाओं से कहीं अधिक जिम्मेदार है मीथेन

दुनिया भर में आज तक तापमान में वृद्धि के लगभग 30 प्रतिशत के लिए मीथेन जिम्मेदार है। जबकि यह कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) की तुलना में वातावरण में बहुत कम मात्रा में है, यह ग्रीनहाउस गैस के रूप में लगभग 28 गुना अधिक शक्तिशाली है। 20 साल की समय सीमा में, यह 80 गुना अधिक शक्तिशाली है।

सीओ 2 के सैकड़ों या हजारों वर्षों की तुलना में मीथेन केवल एक दशक तक वातावरण में रहती है।

इसका मतलब यह है कि उत्सर्जन में तेजी से कमी मध्य शताब्दी तक अनुमानित ग्लोबल वार्मिंग के कई दसवें हिस्से को कम कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के अनुसार, पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को जीवित रखने में यह मदद कर सकता है।

नासा के मुताबिक ईएमआईटी संभावित रूप से सैकड़ों सबसे बड़े उत्सर्जकों को ढूंढेगा, उनमें से कुछ पहले हवा, अंतरिक्ष या जमीन आधारित माप के माध्यम से देखे गए थे और अन्य जो अज्ञात थे।

ईएमआईटी मीथेन ढूढ़ने के प्रयास का नेतृत्व करने वाले जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के एक तकनीकी शोधकर्ता एंड्रयू थोरपे ने कहा कि ईएमआईटी द्वारा खोजे गए कुछ मीथेन प्लम अब तक देखे गए सबसे बड़े हैं। थोर्प ने कहा, हमने थोड़े समय में जो पाया है, वह पहले से ही हमारी अपेक्षाओं से अधिक है।

नासा ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े तेल क्षेत्रों में से एक पर्मियन बेसिन में कार्ल्सबैड, न्यू मैक्सिको के दक्षिण-पूर्व में लगभग 3.3 किलोमीटर लंबे मीथेन प्लम का पता चला था।

मीथेन प्लम क्या है?

मीथेन आमतौर पर रखरखाव कार्यों के दौरान तेल और गैस वाली जगहों से लीक होता है, उदाहरण के लिए, वाल्व या पाइपलाइन को ठीक करते समय, या कंप्रेसर स्टेशनों से - ऐसी सुविधाएं जो प्राकृतिक गैस के प्रवाह और दबाव को बनाए रखती हैं। यह लैंडफिल, कृषि और कोयला उत्पादन में भी उत्पादित होता है।

थोरपे कहा कि हजार के कैस्पियन सागर बंदरगाह शहर के पूर्व में तुर्कमेनिस्तान में तेल और गैस के बुनियादी ढांचे से 12 मीथेन उत्सर्जन वाली जगहों की पहचान की गई थी।

नासा ने कहा कि तेहरान के दक्षिण में एक प्रमुख अपशिष्ट प्रसंस्करण परिसर से कम से कम 4.8 किलोमीटर लंबे मीथेन प्लम का पता चला था।