जलवायु

सूक्ष्म जीव पानी के अंदर सड़ रहे पौधों को नष्ट कर उनसे निकलने वाली ग्रीनहाउस गैस को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं

Dayanidhi

वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने दुनिया भर के गर्म झरनों, जियोथर्मल सिस्टम और हाइड्रोथर्मल तलछट (सेडीमेंट) में रहने वाले सूक्ष्म जीवों के एक नए समूह की पहचान की है। सूक्ष्म जीव बिना ग्रीनहाउस गैस यानी मीथेन का उत्पादन किए खराब हो रहे या सड़ रहे पौधों को नष्ट करने में मदद करके वैश्विक कार्बन चक्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।  

समुद्री विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर और शोधकर्ताओं ब्रेट बेकर ने कहा कि जलवायु वैज्ञानिकों को अपने मॉडल में इन नए सूक्ष्म जीवों की भूमिका को अधिक सटीकता से समझना चाहिए, कि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने में किस तरह से मदद कर सकते हैं।  

जीव वैज्ञानिकों ने एक समूह को एक नया नाम दिया है जिसे थॉमस ब्रॉक के नाम पर ब्रोकरआर्कियोटा जाति से पुकारा जाता है। ये सूक्ष्म जीव अनूठे कार्य कर रहे हैं और येलोस्टोन नेशनल पार्क के गर्म झरनों जैसे खतरनाक वातावरण में रहते हैं। शोध में पीसीआर नामक एक शक्तिशाली बायोटेक उपकरण का उपयोग किया गया, जिसका उपयोग जीन अनुक्रमण के अलावा कोविड-19 कि परीक्षणों में किया जाता है।

अब तक, ब्रोकरआर्कियोटा को प्रयोगशाला में विकसित नहीं किया गया है या माइक्रोस्कोप में दिखने वाली इसकी कोई छवि उपलब्ध नहीं है। इसके बजाय, उन्होंने चीन के गर्म झरनों और कैलिफोर्निया की खाड़ी में हाइड्रोथर्मल तलछट या गाद (सेडीमेंट) से नमूने एकत्र कर उनके आनुवंशिक सामग्री के टुकड़े से उनके जीनोम का पुनर्निर्माण कर इसकी पहचान की गई। बेकर और उनकी टीम ने नए वर्णित जीवों के जीनोम को एक साथ टुकड़े करने के लिए डीएनए अनुक्रमण और कम्प्यूटेशनल का उपयोग किया। वैज्ञानिकों ने उन जीनों की भी पहचान की है जो पोषक तत्वों का उपभोग करते हैं, ऊर्जा का उत्पादन करते हैं और कचरा उत्पन्न करते हैं।

शोधकर्ता वैलेरी डी एंडा ने कहा जब हमने सार्वजनिक आनुवांशिक डेटाबेस में देखा, तो हमने पाया कि उन्हें दुनिया भर में एकत्र किया गया था, लेकिन इन्हें अनियंत्रित सूक्ष्मजीवों के रूप में वर्णित किया गया था। दक्षिण अफ्रीका और व्योमिंग के येलोस्टोन में, इंडोनेशिया और रवांडा में झील के तलछट से इन्हें इकट्ठा किया गया था। दशकों से आनुवांशिक क्रम चल रहा था, लेकिन उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ था। इसलिए, हमने इस नाल में पहले जीनोम का पुनर्निर्माण किया और फिर हमें एहसास हुआ, कि ये दुनिया भर में हैं जिन्हें अब तक पूरी तरह से अनदेखा किया गया था।

ब्रोकरआर्कियोटा नामक सूक्ष्म जीव का अभी तक सही से अध्ययन नहीं किया गया है। अब तक, वैज्ञानिकों ने सोचा था कि मिथाइलयुक्त यौगिकों को तोड़ने में शामिल एकमात्र आर्किया है। अर्थात्, सडने-गलने वाले पौधे, फाइटोप्लांकटन और अन्य कार्बनिक पदार्थ जो ग्रीनहाउस गैस कही जाने वाली मीथेन का उत्पादन भी करते हैं।

डी एंडा ने कहा वे एक नए चयापचय (मेटाबोलिज्म) का उपयोग कर रहे हैं जो हमें पता नहीं था कि ये आर्किया में मौजूद है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि समुद्री तलछट पृथ्वी पर कार्बनिक कार्बन का सबसे बड़ा भंडार है। ये आर्किया मिथेन के उत्पादन के बिना कार्बन का पुनर्चक्रण कर रहे हैं। यह उन्हें प्रकृति में एक अनूठा पारिस्थितिक स्थिति प्रदान करता है।

यह एक जाति से संबंधित जीवों का एक व्यापक समूह है। सिर्फ यह समझने के लिए कि बड़े और विविध उप-जाति कैसे हैं, अकेले सबसे बड़ी जाती (फिलाडोम चॉर्डेटा) में मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी, स्तनपायी और समुद्री पक्षी शामिल हैं। फाइलम आर्थ्रोपोडा, जिसमें सभी जानवरों का लगभग 80 फीसदी हिस्सा होता है, इसमें कीड़े (जैसे मकड़ियों, बिच्छुओं और टिक्स) और क्रस्टेशियंस (केकड़ों, झींगा मछलियों, झींगा, और अन्य स्वादिष्ट समुद्री निवासी) शामिल हैं।

यह नवीनतम अध्ययन ब्रोकरआर्कियोटा में एक दर्जन से अधिक नई प्रजातियों को जोड़ता है, उनके चयापचय का वर्णन करता है और प्रदर्शित करता है कि वे वास्तव में एक विशिष्ट रूप से नई जाती हैं।

यह नवीनतम अध्ययन ब्रोकरआर्कियोटा में एक दर्जन से अधिक नई प्रजातियों को जोड़ता है, उनके चयापचय का वर्णन करता है और प्रदर्शित करता है कि वे वास्तव में एक विशिष्ट रूप से नई जाती है। कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के अलावा, इन नए वर्णित सूक्ष्म जीवों में अन्य चयापचय मार्ग हैं जो किसी दिन जैव प्रौद्योगिकी से कृषि से जैव ईंधन तक के प्रयोगों में उपयोगी हो सकते हैं।