जलवायु

2021 में करीब पांच लाख भारतीयों ने भारत छोड़ ओईसीडी देशों की ओर रुख किया: रिपोर्ट

इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2023 रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के चलते अपने घरों को छोड़ने को मजबूर लोगों से जुड़ी नीतियों में होती प्रगति पर प्रकाश डाला गया है

Shagun, Lalit Maurya

2021 और 2022 के दौरान ओईसीडी देशों की ओर रुख करने वाले सबसे ज्यादा लोगों की संख्या भारतीयों की थी। यह जानकारी 23 अक्टूबर 2023 को जारी 'इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2023' में सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक ओईसीडी देशों की ओर होते प्रवास के मामले में भारत, चीन को पछाड़ 2020 में पहले स्थान पर आ गया था। यह सिलसिला 2021 में भी जारी रहा, जब भारत से जाने वाले 4.1 लाख प्रवासियों ने इन अमीर देशों की ओर रुख किया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आंशिक आंकड़ों के मुताबिक भारत 2022 में भी इस मामले में शीर्ष पर बना रहेगा।

वहीं 2.3 लाख प्रवासियों के साथ चीन दूसरे स्थान पर था, उसके बाद करीब दो लाख नए प्रवासियों के साथ रोमानिया तीसरे स्थान पर रहा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी ओईसीडी, 38 सदस्य देशों का एक समूह है, जिनमें से अधिकांश समृद्ध और विकसित देश हैं। जो हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों और छात्रों को आकर्षित करते हैं।

2019 से देखें तो भारत इन देशों में नए नागरिकों के आने का मुख्य स्रोत रहा है। यह तब है जब 2019 की तुलना में हाल ही में भारत से होने वाले इस प्रवास में 15 फीसदी की कमी आई है।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि नीति निर्माताओं और वैश्विक समुदाय की दिलचस्पी इस बात में बढ़ रही है कि नीतियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण अपने घरों को छोड़ने को मजबूर लोगों को कैसे संबोधित करती हैं। साथ ही रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि केवल कुछ ही ओईसीडी देशों ने जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाले विस्थापन से निपटने के लिए स्पष्ट नियम बनाए हैं।

उदाहरण के लिए अप्रैल 2023 में, कोलंबिया की कांग्रेस ने जलवायु परिवर्तन के कारण हुए विस्थापन को मान्यता देने के लिए एक विधेयक पर चर्चा शुरू की थी, जो दक्षिण अमेरिका में अपनी तरह का पहला कानून होगा। यह जलवायु-विस्थापित लोगों की एक व्यापक परिभाषा को अपनाते हुए, बहुत से लोगों को घर, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक बेहतर पहुंच प्रदान करने में मदद करेगा।

इसमें जलवायु-विस्थापित लोगों का एक राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार करने की बात की गई है, जिससे देश में जलवायु परिवर्तन से कितने लोग प्रभावित हुए हैं, उनका रिकॉर्ड रखा जा सके। इस विधेयक को पारित करने के लिए आवश्यक चार दौर की चर्चा में से पहले दौर में इसे मंजूरी मिल गई है।

1.3 लाख भारतीयों ने ली अमीर देशों की नागरिकता

रिपोर्ट में प्रवासियों द्वारा इन अमीर देशों की ली जा रही नागरिकता को देखें तो इस मामले में भी भारत आगे रहा। जहां 2021 में, 1.33 लाख भारतीयों ने इन ओईसीडी देशों की नागरिकता ली थी। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की नागरिकता लेना भारतीयों की पहली पसंद है।

आंकड़ों के अनुसार जहां 2021 में 56,000 भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता ली थी। वहीं 24,000 के साथ ऑस्ट्रेलिया भारतीयों की दूसरी पसंद रहा, जबकि 21,000 भारतीयों ने 2021 में कनाडा की नागरिकता ली थी।

2021 में ओईसीडी देशों की ओर रुख करने वालों के मामले में मेक्सिको फिर से दूसरे स्थान पर रहा। इस दौरान 1.9 लाख मेक्सिकोवासियों ने दूसरे ओईसीडी देशों की नागरिकता ली थी, इनमें से करीब-करीब सभी अमेरिकी नागरिक बन गए।

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण, यूक्रेन से ओईसीडी देशों में शरणार्थियों की आमद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इस युद्ध ने यूक्रेन में करीब एक करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया है। वे या तो यूक्रेन के भीतर आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं या ओईसीडी देशों में शरणार्थी बन गए हैं।

जब काम की तलाश में दूसरे देशों की ओर रुख करने वालों की बात करें तो भारत में इनकी संख्या में 172 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं उज्बेकिस्तान में 122 फीसदी, जबकि तुर्की में 240 फीसदी का इजाफा हुआ है।