नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दावा किया है कि अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो भविष्य में हीटवेव (लू ) से दुनियाभर में लाखों लोगों की जान जा सकती हैं। शोधकर्ताओं ने अपने प्रकाशित पेपर में हीटवेव से होने वाली मौतों का अनुमान लगाया है। उन्होंने भविष्य में संभावित मौतों के बारे में जानने के लिए तापमान के साथ पिछले हीटवेव के दौरान कई देशों में गर्मी से संबंधित मौतों के आंकड़ों की तुलना की है।
अध्ययन में भारत सहित 41 देशों से मृत्यु दर और गर्मी के आंकड़े एकत्र किए गए हैं, जो वैश्विक आबादी का 55 फीसदी है। हालांकि, अंतिम गणना में भारत के आंकड़ों का उपयोग नहीं किया गया, क्योंकि देश में आयु-वार मृत्यु दर के आंकड़े पंजीकृत नहीं किए जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अत्यधिक गर्मी चरम मौसम के सबसे घातक प्रकारों में से एक है। गर्मी के तनाव या स्ट्रोक के माध्यम से लोगों की जान चली जाती है। गर्मी में शरीर को ठंडा रखने के लिए अंगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिससे परोक्ष रूप से शरीर पर अधिक दबाव के कारण जान जा सकती है। इसमें दिल का दौरा पड़ने की आशंका अधिक होती है और अन्य बीमारियां भी लग सकती हैं। अधिकांश पीड़ित वृद्ध हो सकते हैं।
पहले के शोध से पता चला है कि हीटवेव जानलेवा हो सकती है, खासकर उन जगहों पर जहां लोगों के पास इसका सामना करने के लिए संसाधन नहीं हैं। जो देश भूमध्य रेखा के करीब होते हैं, वहां हीटवेव बहुत चरम होती हैं। उदाहरण के रूप में, मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में गर्मी में तापमान 125 डिग्री फारेनहाइट / 51 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक रहा है।
इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने आठ देशों (और यूरोपीय संघ) में गर्मी से संबंधित मृत्यु दर को अलग-अलग समय और विभिन्न हीटवेव का आकलन किया। आकलन करने के बाद, उन्होंने उन्हें एक साथ जोड़ दिया। उन्होंने इस बात के भी आंकड़े प्राप्त किए कि इस सदी के अंत तक पृथ्वी के गर्म होने की कितनी संभावना है। उन्होंने तब गणित और प्रक्षेपण मॉडल का इस्तेमाल किया, ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि इस सदी के अंत तक गर्मी के कारण कितने लोगों की मृत्यु होगी।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर भविष्य में ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन सन 2100 तक इसी दर पर जारी रहता है, तो भविष्य में हीटवेव प्रति 1 लाख पर लगभग 73 लोगों की जान ले सकती है। उन्होंने यह भी पाया कि पृथ्वी के सबसे गर्म हिस्से में सदी के अंत तक प्रति 1 लाख लोगों में 200 से अधिक मौतों के आसार हैं।
उन्होंने आगे यह भी उल्लेख किया कि दुनिया के सबसे गर्म हिस्सों में रहने वाले गरीबों, वृद्ध लोगों में इस तरह की मौतें होने की आशंका सबसे अधिक है। दिन के सबसे गर्म हिस्सों के दौरान एयर-कंडिशनिंग या ठंडी जगहों में छुपने का उन्हें बहुत कम मौका मिलेगा।