जलवायु

जलवायु परिवर्तन के कारण पलायन से मानव तस्करी और गुलामी का बढ़ रहा है खतरा: रिपोर्ट

Dayanidhi

एक नए अध्ययन रिपोर्ट में पाया गया है कि, जलवायु परिवर्तन के कारण लोगों के दूसरी जगहों पर बसने से मानव-तस्करी और आधुनिक गुलामी के खतरे बढ़ रहे हैं। यह अध्ययन नॉटिंघम विश्वविद्यालय में राइट्स लैब के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। 

कैथोलिक एजेंसी फॉर ओवरसीज डेवलपमेंट (सीएएफओडी), कैरिटास बांग्लादेश, ओकेयूपी और कैरिटास इंडिया की साझेदारी में राइट्स लैब की  रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और मानव तस्करी के बीच अहम संबंधों को उजागर करती है

यह रिपोर्ट बांग्लादेश और भारत के दक्षिण-पश्चिम सीमा क्षेत्र पर आधारित है, जो सुंदरबन मैंग्रोव के जंगलों के करीब है, जहां दुनिया में जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील जिलों में से कुछ हैं।

रिपोर्ट में 1,200 से अधिक परिवारों के साथ इस इलाके में अब तक के सबसे बड़े घरेलू अध्ययन के निष्कर्ष शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और मानव तस्करी के बीच अटूट संबंध के सबूतों को सामने लाते हैं।

रिपोर्ट में पाया गया कि बांग्लादेश में 88 प्रतिशत से अधिक और भारत में 61 प्रतिशत से अधिक परिवारों ने बताया कि उनकी आजीविका पर जलवायु परिवर्तन का असर पड़ा हैपिछले पांच वर्षों में एक तिहाई से अधिक परिवार पलायन कर गए हैं। आजीविका के खतरों के अलावा, भर्ती होने के लिए किया जाने वाला भुगतान और उधार लेने से संबंधित गुलामी के मामले भी पाए गए।

रिपोर्ट में लिए गए साक्षात्कार के दौरान 1060 प्रतिभागियों में  से एक प्रतिभागी ने बताया कि, वह अभी भी कर्ज नहीं चुका सका है, उसे कर्ज का बोझ अभी भी उठाना पड़ता है।

वहीं, नवीनतम ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार, बांग्लादेश में 5,92,000 लोग आधुनिक गुलामी के अधीन थे, जबकि भारत में 79 लाख लोग इस दौर से गुजर रहे थे।

कुल मिलाकर, 459 परिवारों, जिसमें बांग्लादेश के 344, भारत के 112 एक और देश से तीन लोग शामिल थे। इन लोगों ने बताया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान घर का कम से कम एक सदस्य पलायन कर गया।

कई मामलों में, जिन लोगों ने घर के सदस्यों के प्रवासन की जानकारी दी थी उनमें से केवल एक परिवार का सदस्य ही प्रवासित हुआ था, जिनके संख्या कुल 353 थी। इसके अलावा 90 परिवारों ने पाया कि कई सदस्य पलायन कर गए थे।

ऐसे उदाहरण भी पाए गए जहां बड़ी संख्या में लोग दूसरी जगहों पर चले गए थे। उदाहरण के लिए, भारत में, एक घर के 12 सदस्य या पूरा परिवार पलायन कर गया था। बांग्लादेश में भी यही मामला था, जहां एक परिवार ने जवाब दिया कि पूरा परिवार पलायन कर गया है, हालांकि इस मामले में कुल लोगों की संख्या स्पष्ट नहीं की गई थी।

यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम राइट्स लैब के डॉ. बेथनी जैक्सन की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने पाया कि आपराधिक समूह भी लोगों का शोषण करने के लिए जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाले व्यवधान का उपयोग कर सकते हैं। लोगों को इसके बाद अवैध गतिविधि की स्थितियों में ले जाने के आसार होते हैं। उनके घर जैसे बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया था।

रिपोर्ट के हवाले से जैक्सन ने कहा, सुंदरबन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में समुदायों के अनुभव काफी खराब होते जा रहे हैं और इसका प्रभाव उन समुदायों पर उनकी आजीविका, प्रवास के विकल्प और मानव तस्करी के प्रति संवेदनशीलता के संदर्भ में दिखाई दे रहा है, जो एक महत्वपूर्ण परस्पर जुड़ा हुआ मुद्दा है।

एक छोटे से इलाके में, 1,200 से अधिक घरों को शामिल करके, यह अध्ययन किया गया। अध्ययनकर्ता ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि, हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर छोटे से छोटे आंकड़े  सामने ला रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह साक्षात्कार आधारित अध्ययन, क्षेत्र में एक छोटी समयावधि में समझ बढ़ाने के साथ-साथ, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट, प्रवासन प्रथाओं और आधुनिक गुलामी  और मानव तस्करी के खतरों के बीच संबंधों का स्पष्ट प्रमाण प्रदान करने में सक्षम रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश सुंदरबन के इलाकों में रहने वाले लोगों का समर्थन करने के लिए अध्ययन से निकली प्रमुख सिफारिशें की गई हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

सीमा पार सहयोग

प्रवासी श्रमिकों और मानव तस्करी से बचे लोगों की मदद करने वाले संगठनों के बीच सहयोग को सुंदरबन के भीतर और उनके आसपास के देशों में समुदायों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में उपलब्ध सहायता पर जागरूकता प्रशिक्षण और सलाह के साथ उनकी मदद की जानी चाहिए।

प्रवासन और मानव तस्करी पर कार्रवाई

प्रवासी श्रमिकों की मदद करने और मानव तस्करी के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करने वाले संगठनों की उपस्थिति, समर्थन में वृद्धि और उन्हें उपलब्ध उत्तरजीवी सहायता सुंदरबन में लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगी।

इलाके में निरंतर समर्थन और सामुदायिक निगरानी जलवायु परिवर्तन के खतरों से संबंधित प्रभावों पर नजर रखने और उन लोगों को सहायता के बेहतर प्रावधान को सक्षम करना जहां कमियों की पहचान की गई है।

शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर

शिक्षा और प्रशिक्षण को बड़े पैमाने पर परिवारों के लिए एक प्रमुख जरूरत के रूप में पहचाना गया था। प्रशिक्षण सहायता आवश्यकताओं के दो प्रमुख रास्ते हैं, आजीविका प्रशिक्षण, और मानव तस्करी के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

प्रशिक्षण के दूसरे चरण में आसपास जागरूकता बढ़ाना और उन समुदायों के लिए मानव तस्करी के खतरों की पहचान करना जहां बहुत ज्यादा पलायन देखा जाता है। इससे शोषण के खतरों की पहचान की जा सकेगी और उन्हें रोका जा सकेगा पहले और मानव तस्करी के शिकार लोगों के लिए सहायता प्रदान की जा सकेगी।

लिंग-आधारित गतिविधियां

महिलाओं और लड़कियों को अतिरिक्त कमजोरियों का सामना करना पड़ता है जिससे उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से खतरा होता है। सबूतों से पता चला है कि महिलाओं और लड़कियों को घर के पुरुष सदस्यों के प्रवास के कारण खतरों का सामना करना पड़ता है, साथ ही कुछ मामलों में विवाह को आर्थिक दबाव कम करने के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

महिलाओं और लड़कियों को आजीविका के साधन प्रदान करने और इन समूहों के लिए अनुकूलन उपकरण प्राप्त करना सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।

जलवायु कार्य योजनाएं तैयार करना

राष्ट्रीय कार्य योजनाओं के विकास और जलवायु में बदलाव के विरुद्ध कार्यक्रम में उन जरूरी चीजों को शामिल करना चाहिए जो लोगों को प्रदान की जाएगी जो खतरे में हैं और सामाजिक-आर्थिक रूप से खतरे में हैं।

वित्तीय सहायता

सुंदरबन के भीतर रहने वाले लोगों को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। जलवायु संबंधी घटनाओं के बाद लोगों के लिए पैकेजों का विज्ञापन किया जाना चाहिए और उन्हें आसानी से सुलभ बनाया जाना चाहिए ताकि आजीविका और घरों की तेजी से बहाली सुनिश्चित की जा सके, जिससे समुदायों के लिए प्रवासन की आवश्यकता कम हो सके।

इसके साथ-साथ, लंबी अवधि तक सहायता पैकेज और सुंदरबन के भीतर लोगों में निवेश से परिवारों की वित्तीय स्थिति सुधारने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।