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दुनिया भर में लू की घटनाओं से बढ़ रही है पर्वतीय ग्लेशियरों के पिघलने की गति: अध्ययन

अध्ययन में पाया गया कि लू के कारण ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ग्लेशियर तीव्र गति से पिघल रहे हैं और उच्च तापमान की वजह से ग्लेशियर वाले इलाकों में बारिश का अनुपात कम हो गया है।

Dayanidhi

दुनिया भर में साल-दर-साल भीषण लू या हीटवेव की घटनाएं बढ़ रही हैं और लू की बढ़ती इन घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। दुनिया भर में ग्लेशियरों के पिघलने के पीछे लू या हीटवेव की घटनाएं काफी हद तक जिम्मेवार मानी जा रही हैं।

जर्नल ऑफ ग्लेशियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि उरुमकी ग्लेशियर नंबर एक, चीन में एकमात्र ऐसा ग्लेशियर है जिसमें 30 से अधिक वर्षों से निरंतर ग्लेशियर संबंधी द्रव्यमान की संतुलित माप रही है, जो बड़े पैमाने पर ग्लेशियर की स्थिति के बारे में बताता है।

यह अध्ययन चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के नॉर्थवेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ इको-एनवायरमेंट एंड रिसोर्सेज के प्रोफेसर वांग फेइतेंग के नेतृत्व में किया गया है। शोध टीम ने उरुमकी ग्लेशियर नंबर, एक के सीटू द्रव्यमान संतुलन माप के आधार पर अत्यधिक गर्मी के लिए ग्लेशियर द्रव्यमान संतुलन की प्रतिक्रिया का दस्तावेजीकरण किया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि 2022 में उरुमकी ग्लेशियर नंबर एक का कुल द्रव्यमान संतुलन -1,251 मिमी था, जो 2010 में देखे गए सबसे कम कुल द्रव्यमान संतुलन से थोड़ा अधिक है।

इसके अलावा 2022 में उरुमकी ग्लेशियर नंबर एक का ग्रीष्मकालीन द्रव्यमान संतुलन अवलोकन रिकॉर्ड (1958-2022) के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, जो -1,503 मिमी था, जो दर्शाता है कि 2022 की गर्मी रिकॉर्ड के बाद से उरुमकी ग्लेशियर नंबर एक का सबसे बड़े नुकसान वाला साल था। 

परिणामों से पता चला कि 2022 में उरुमकी ग्लेशियर नंबर एक के पास डेक्सिगौ मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा देखा गया गर्मियों का तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस था, जो अवलोकन रिकॉर्ड के बाद से बहुत अधिक  तापमान था और लू के कारण उरुमकी ग्लेशियर नंबर एक की भारी मात्रा में बर्फ का नुकसान हुआ।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि लू के कारण ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ग्लेशियर तीव्र गति से पिघल रहे हैं और उच्च तापमान के कारण ग्लेशियर वाले इलाकों में बारिश का अनुपात कम हो गया है

जब तापमान दो डिग्री सेल्सियस से अधिक था, तो उरुमकी नदी के स्रोत क्षेत्र में बारिश का अनुपात 40 फीसदी से कम था और 2022 की गर्मियों में औसत रोजमर्रा का तापमान दो डिग्री सेल्सियस से अधिक था, जो दर्शाता है कि बारिश मुख्य रूप से ग्लेशियर वाले इलाकों में हुई थी।

इसके अलावा, ग्लेशियर की सतह के निचले अल्बेडो के कारण ग्लेशियर अधिक शॉर्टवेव सौर विकिरण को अवशोषित करते हैं, जिससे ग्लेशियर के पिघलने की गति तेज हो जाती है।

लैंडसैट रिमोट सेंसिंग छवि व्युत्क्रम परिणामों से पता चला कि 2022 में जुलाई से अगस्त के दौरान ग्लेशियर सतह अल्बेडो अपेक्षाकृत कम था, 0.3 से कम सतह अल्बेडो का अनुपात कुल ग्लेशियर क्षेत्र का 79 से 91 फीसदी था।