जलवायु

अंटार्कटिका की बर्फ की चादर के पिघलने से समुद्र के स्तर में होगी 5 मीटर की वृद्धि

Dayanidhi

ग्लोबल वार्मिंग के कई प्रभावों में से एक पृथ्वी की बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के साथ-साथ अन्य स्रोतों के पिघलने और पीछे हटने के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि होना है। जैसे-जैसे समुद्र का स्तर बढ़ता है, यदि बड़े स्तर पर तटीय सुधार नहीं किए जाएगें तो घनी आबादी वाले तटीय इलाके डूब जाएगें। इसलिए बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के कारण समुद्र के स्तर में बदलाव पर भविष्य के जलवायु परिवर्तन के विभिन्न मार्गों के प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है।

होक्काइडो विश्वविद्यालय, टोक्यो विश्वविद्यालय और जापान एजेंसी फॉर मरीन-अर्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं की अगुवाई में यह शोध किया गया है। टीम ने 21वीं सदी के अंत में बढ़ते तापमान की परिस्थितियों के तहत अंटार्कटिक बर्फ की चादर का लंबे समय के लिए अनुमान लगाया।

अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों पर बढ़ते तापमान या ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए नवीनतम मॉडल का उपयोग किया गया। जिसका नाम युग्मित मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट चरण 6 (आईएसएमआईपी6) है। इसका उद्देश्य इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की हाल ही में प्रकाशित छठी आकलन रिपोर्ट (एआर6) के लिए जानकारी प्रदान करना था।

2100 तक समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए अंटार्कटिक बर्फ की चादर के योगदान का आकलन किया गया। जिसमें बढ़ते तापमान में बिना किसी रुकावट के समुद्र का स्तर 7.8 से 30.0 सेंटीमीटर तक बढ़ने का आकलन किया गया था। वहीं ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के तहत यह 0 से 3 सेंटीमीटर के बीच था।

टीम ने आइस-शीट मॉडल सिकोपोलिस (पॉलीथर्मल आइस शीट्स के लिए सिमुलेशन कोड) का उपयोग निरंतर बढ़ते तापमान के लिए चौदह प्रयोगों के पूरे आईएसएमआईपी6 और कम उत्सर्जन वाले मार्ग के लिए तीन प्रयोगों का विस्तार करने के लिए किया। यह वर्ष 2100 तक, स्थापित आईएसएमआईपी6 प्रयोगों के समान ही थे।

2100 के बाद के समय के लिए, यह मान लिया गया था कि 21वीं सदी के उत्तरार्ध की जलवायु परिस्थितियां स्थिर रहती हैं। आगे कोई जलवायु प्रवृत्ति लागू नहीं की गई। टीम ने बर्फ की चादर के कुल द्रव्यमान परिवर्तन के लिए पश्चिम अंटार्कटिका, पूर्वी अंटार्कटिका और अंटार्कटिक प्रायद्वीप में क्षेत्रीय परिवर्तनों और बड़े पैमाने पर परिवर्तन के विभिन्न योगदानकर्ताओं के संबंध में सिमुलेशन के परिणामों का विश्लेषण किया।

अंटार्कटिक बर्फ की चादर के बड़े पैमाने पर नुकसान के सिमुलेशन से पता चलता है कि, वर्ष 3000 तक, तापमान में बिना किसी रुकावट के यह समुद्र-स्तर को 1.5 से 5.4 मीटर के बराबर (एसएलई) बढ़ा सकता है, जबकि उत्सर्जनको कम करने पर यह केवल 0.13 से 0.32 मीटर तक बढ़ेगा। बढ़ते तापमान पर रोक नहीं लगती है तो इसके कारण पश्चिम अंटार्कटिक की बर्फ की चादर का नुकसान होना तय है, जो इस तथ्य से संभव हुआ है कि पश्चिम अंटार्कटिक बर्फ की चादर तल पर जमी हुई है जो ज्यादातर समुद्र तल से काफी नीचे है।

डॉ. क्रिस्टोफर ने कहा यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अंटार्कटिक बर्फ की चादर पर 21वीं सदी के जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, 21वीं सदी से भी आगे तक फैला हुआ है। इसके सबसे गंभीर परिणाम समुद्र के स्तर में कई मीटर तक वृद्धि के लिए जिम्मेवार है। उन्होंने कहा भविष्य में अधिक यथार्थवादी जलवायु परिदृश्यों पर आधारित सिमुलेशन, साथ ही परिणामों को मॉडल करने के लिए अन्य बर्फ-शीट मॉडल का उपयोग किया जाएगा। यह अध्ययन जर्नल ऑफ ग्लेशियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।