हिमाचल प्रदेश में मंडी के सराज क्षेत्र में बादल फटने से हुई मूसलााधर बारिश और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, मंडी में 1 जुलाई को कुल 140.7 एमएम बारिश हुई जो सामान्य बारिश 6.9 एमएम से 1,939 प्रतिशत अधिक है। मंडी में पूरे मॉनसून सीजन में होने वाली औसत बारिश का करीब 13 प्रतिशत एक ही दिन (1 जुलाई) में बरस गया, जिससे यहां जलप्रलय की स्थिति पैदा हो गई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुंच चुकी है और बचाव कार्य जारी है।
सराज बार असोसिएशन के अध्यक्ष हेमसिंह ठाकुर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि अब तक करीब 14 लोगों की लाशें मिल चुकी हैं और करीब 40 लोग अब भी लापता हैं। उन्होंने बताया कि बादल फटने से 16 मेगावाट का एक जल विद्युत परियोजना भी पूरी तरह तबाह हो चुकी है।
हेम सिंह के अनुसार, “सराज विधानसभा का कोई घर, कोई कोना ऐसा नहीं बचा, जहां प्रकृति का प्रकोप न टूटा हो। कहीं प्रियजनों की जुदाई का दर्द है, तो कहीं आशियाने आंखों के सामने मलबे में दफन हो गए। लोग पहाड़ों पर चढ़कर, सिग्नल की तलाश में भटक रहे हैं, मगर अपनों से जुड़ने की हर कोशिश नाकाम हो रही। जहां सिग्नल मिला, वहां से आने वाली तस्वीरें और वीडियो दिल दहला देने वाले हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सराज की आपदा सोच से कहीं अधिक भयावह है। यहां एक किलोमीटर के बाद का हाल किसी को नहीं पता। चैल-जंजैहली मुख्य सड़क का दस फीसदी हिस्सा लापता हो चुका है, अधिकांश पुल ध्वस्त हो गए हैं। बाकी सड़कें और संपर्क मार्ग भूस्खलन की भेंट चढ़कर तबाह हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि युद्धस्तर पर राहत, बचाव और पुनर्वास के लिए सेना और एनडीआरएफ की जरूरत है। सरकार को तत्काल एक बार हवाई सर्वेक्षण कर हालात का जायजा लेना चाहिए।
हिमालय नीति अभियान (एचएनए) के संयोजक गुमान सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया कि अभी नुकसान का सटीक आकलन मुश्किल है लेकिन इतना तय है कि जानमाल को भारी नुकसान पहुंचा है।
हिमालय नीति अभियान ने बयान जारी कर कहा है कि कई क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश बाढ़ ने इस क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, जिसे स्थानीय लोग सदी की सबसे भीषण आपदा बता रहे हैं। लगभग 80,000 की आबादी प्रभावित हुई है, और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, थुनाग बाजार में 150 से अधिक मकान और दुकानें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं, जबकि उपमंडल में 400 से अधिक मकान आंशिक या पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
आपदा ने थुनाग उपमंडल के साथ-साथ जरोल, देजी पखरैर, और पांडवशीला जैसे क्षेत्रों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। जरोल बाजार पूरी तरह बर्बाद हो चुका है और थुनाग में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। सभी सड़कें और पुल ध्वस्त हो गए हैं, जिससे क्षेत्र पूरी तरह कट गया है।
एचएनए के अनुसार, बिजली और पानी की योजनाएं नष्ट होने से राशन का गंभीर संकट पैदा हो गया है। मोबाइल नेटवर्क ठप होने से सूचनाओं का आदान-प्रदान मुश्किल हो रहा है। अस्पताल, स्कूल और सरकारी भवन भी आपदा की चपेट में हैं, जिनकी बहाली में महीनों लग सकते हैं। सेरथी और भद्राणा गांवों में कई मकान और गौशालाएं ढह गईं, हालांकि वहां जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।
एचएनए के अनुसार, अब तक 332 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें मंडी से 278 शामिल हैं। जयूनी खड़ से 16 लोग (12 बच्चे, 4 महिलाएं) और रिकी गांव से 7 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। हालांकि, ध्वस्त सड़कों और पुलों के कारण बचाव कार्यों में भारी चुनौतियां हैं। पुलिस टीमें जंजैहली से पांडवशीला तक पहुंची हैं, जबकि एसडीआरएफ की टीमें बगस्याड तक पहुंच पाई हैं।
थुनाग, सराज में यह आपदा न केवल जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक संरचना को भी ध्वस्त कर रही है। गुमान सिंह के अनुसार, तत्काल हवाई सर्वेक्षण, सेना और एनडीआरएफ की व्यापक सहायता के बिना इस संकट से उबरना मुश्किल होगा।
स्थानीय निवासियों ने सरकार से तत्काल हवाई सर्वेक्षण और सेना की मदद की अपील की है, ताकि नुकसान का सटीक आकलन और तेजी से राहत कार्य किए जा सकें। एचएनए के अनुसार, भारतीय मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है।