जलवायु

क्या जलवायु परिवर्तन के चलते बदल रहा है कॉफी का जायका

Lalit Maurya

इसमें कोई शक नहीं कि कॉफी एक ऐसा पेय है जिसे सारी दुनिया में पसंद किया जा सकता है। यह अपने बेहतरीन स्वाद, महक और गुणों के लिए जानी जाती है। पर क्या आपने इस बात पर गौर किया है कि कॉफी की कुछ चमक गायब हो गई है, या फिर उनमें जो जानी पहचानी महक आती थी वो पहले के मुकाबले थोड़ी कम हो गई है।

बहुत से लोग इसके लिए कॉफी बीन्स को भूनते या पीसते समय हुए बदलावों को जिम्मेवार मानते हैं पर इस बात की भी पूरी सम्भावना है कि इसके लिए जलवायु और मौसम में आया बदलाव जिम्मेवार हों। हाल ही में इस पर किए एक नए शोध से पता चला है कि कॉफी की गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन और उससे जुड़े पर्यावरण सम्बन्धी कारकों जैसे बारिश, गर्मी, सूखा आदि के प्रति संवेदनशील होती है।

यह शोध टफ्ट्स और मोंटाना स्टेट यूनिवर्सिटी में फ्राइडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रिशन साइंस एंड पॉलिसी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसमें कॉफी की दो खास प्रजातियों अरेबिका और कैनाफोरा का अध्ययन किया गया है। कॉफी के यह प्रजातियां न केवल अपने स्वाद बल्कि साथ ही सांस्कृतिक पहचान के लिए भी जानी जाती हैं। 

दुनिया भर के 50 से ज्यादा देशों में करीब 2.7 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी की पैदावार की जाती है, जिनमें से करीब 1.25 करोड़ हेक्टेयर छोटी जोत वाले खेत हैं। अब यह पूरी तरह साबित हो चुका है कि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में कृषि पैदावार को प्रभावित कर रहा है। कॉफी की पैदावार भी उससे बच नहीं पाई है।  आज दुनिया के कई कॉफी उत्पादक क्षेत्र बदलती जलवायु का अनुभव कर रहे हैं जिससे न केवल कॉफी के स्वाद, सुगंध और यहां तक की उसकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है, जो की चिंता का विषय है। 

इस बारे में इस शोध से जुड़े शोधकर्ता सीन कैश ने जानकारी दी है कि जलवायु परिवर्तन के चलते कॉफी की कीमत के साथ-साथ स्वाद और सुगंध पर भी असर पड़ रहा है। ऐसे में इस पर पड़ने वाले प्रभावों के चलते न केवल कॉफी की कीमत बल्कि खरीदारों की रुचि और इसे उगाने वाले किसानों की जीविका पर भी असर पड़ता है।

उनके अनुसार फसलों पर जलवायु परिवर्तन का पड़ रहा असर पहले ही दुनिया के कई हिस्सों में आर्थिक और राजनैतिक व्यवधान पैदा कर रहा है।  ऐसे में यदि हम परिवर्तन के विज्ञान को समझ पाएं तो हम भविष्य की इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं। साथ ही कॉफी उत्पादन को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने में किसानों और अन्य हितधारकों की मदद भी कर सकते हैं। 

इससे पहले किए एक शोध से पता चला था कि तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ अरेबिका के 90 फीसदी कॉफी प्लांटेशन 2050 तक खतरे में पड़ जाएंगें| हाल ही में डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में भी जलवायु परिवर्तन कॉफी उत्पादन को प्रभावित कर रही है।

भारत में भी कॉफी उत्पादन पर पड़ रहा है जलवायु परिवर्तन का असर

रिपोर्ट के अनुसार केरल और अन्य काफी उत्पादक राज्यों में पिछले एक साल से अतिशय मौसम के कारण कॉफी उत्पादन घट रहा है। अगस्त, 2018 से केरल और कर्नाटक के कॉफी उत्पादक क्षेत्रों में ख़राब मौसम के कारण कुल कॉफी उत्पादन में लगभग 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। 

गौरतलब है कि 2015-16 में भारत ने कॉफी का रिकॉर्ड 3,48,000 टन उत्पादन किया था। हालांकि तब से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। 2016-17 में यह घटकर 3.12 लाख टन और 2017-18 में 3.16 लाख टन पर पहुंच गया था। वहीं अनुमान है कि भविष्य में भीषण बाढ़ एवं भूस्खलन के चलते इसका उत्पादन घटकर 2.53 लाख टन तक जा सकता है।

जर्नल फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस में छपे अपने इस शोध में शोधकर्ताओं ने 73 प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया है। जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन और उसके अनुकूलन से जुड़े 10 प्रमुख पर्यावरणीय कारकों और प्रबंधन स्थितियों के प्रभावों को देखा है। शोध के अनुसार अधिक ऊंचाई पर मौजूद खेतों में पैदा होने वाली कॉफी का स्वाद और सुगंध बेहतर होती है।

वहीं बहुत अधिक प्रकाश के कारण कॉफी की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। यही नहीं पानी की कमी बढ़ता तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड के चलते भी इसकी गुणवत्ता में बदलाव आने की पूरी सम्भावना है। हालांकि शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि इन कारकों पर अभी और शोध करने की जरूरत है। 

शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वो कहीं हद तक कारगर भी रहे हैं जिनमें प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए छाया का प्रबंध करना, इसी तरह जलवायु अनुकूल कॉफी की जंगली प्रजातियों का चयन और रखरखाव करना शामिल है। यही नहीं इसमें लगने वाले कीड़ों की रोकथाम करना महत्वपूर्ण है। हालांकि ऊंचाई पर उगने वाली कॉफी बीन की पैदावार का समर्थन करने के लिए अभी भी नए समाधानों की जरुरत है। 

इस बारे में शोध से जुड़ी अन्य शोधकर्ता सेलेना अहमद ने जानकारी दी है कि यह जो रणनीतियां हैं उसने कुछ आशा तो बंधी है कि बदलती जलवायु में भी कॉफी की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है और उसमें सुधार करने की भी संभावनाएं हैं। साथ ही यह उपाय किसानों की पैदावार को बढ़ाने में भी सहायक होंगे। ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि फसलों पर जलवायु परिवर्तन के पड़ रहे असर का अध्ययन न केवल कॉफी बल्कि हमारी खाद्य सुरक्षा, पोषण और स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।