जलवायु

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 2024: परिवारों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है जलवायु परिवर्तन

साल 2024 अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की 30वीं वर्षगांठ है

Dayanidhi

हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। साल 2024 अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की 30वीं वर्षगांठ है।जलवायु परिवर्तन बढ़ते प्रदूषण के जरिए परिवारों के स्वास्थ्य और कल्याण पर बुरा प्रभाव डालता है। जलवायु में बदलाव के कारण चरम मौसम की घटनाएं, जैसे कि तूफान, सूखा और बाढ़, अक्सर परिवारों और लोगों के लिए जबरन विस्थापन और आजीविका के नुकसान का कारण बनती हैं।

ऐसी घटनाओं से कृषि उत्पादकता और पानी तक पहुंच प्रभावित होती है, भूख और असुरक्षा बढ़ती है। वे कृषि और मत्स्य पालन जैसे जलवायु प्रभावों के प्रति संवेदनशील उद्योगों में आर्थिक व्यवधान पैदा करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी वेबसाइट के हवाले से कहा है कि कठोर कार्रवाई के बिना, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अपनाना और कम करना कठिन और महंगा हो जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सार्थक और प्रभावी जलवायु कार्रवाई के लिए शिक्षा, खपत की आदतों में बदलाव और जागरूकता के माध्यम से परिवारों को सशक्त बनाना अहम है। परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी मूल्यों को आगे बढ़ाते हैं, इसलिए कम उम्र से ही परिवारों में स्थायी आदतें और जलवायु जागरूकता पैदा करना जरूरी है।

बचपन की शुरुआती शिक्षा में सर्कुलर इकॉनमी या चक्रीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को शामिल करने से कचरे को कम करने और प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित करने से एक स्थायी आर्थिक मॉडल बनाने में मदद मिल सकती है। उपभोक्ता के रूप में परिवार एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में बदलाव कर सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस साल के अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम - परिवार और जलवायु परिवर्तन: परिवार का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष +30 है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन परिवारों को कैसे प्रभावित करता है और परिवार जलवायु कार्रवाई में क्या भूमिका निभा सकते हैं इस बारे में जागरूकता बढ़ाना है। परिवार और सामुदायिक पहल के माध्यम से, हम शिक्षा, सूचना तक पहुंच, प्रशिक्षण और सामुदायिक भागीदारी के साथ जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा दे सकते हैं।

वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव - ए/आरईएस/47/237 में घोषणा की कि हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। यह दिन परिवारों के सामने आने वाले मुद्दों और सामाजिक और आर्थिक प्रक्रियाएं दुनिया भर में परिवारों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं, इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है।

इस पर भी गौर करें

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, जन्म के समय वैश्विक जीवन प्रत्याशा 2019 में 72.8 वर्ष तक पहुंच गई, जो 1990 के बाद से लगभग नौ सालों का सुधार है।

2030 तक विश्व की लगभग 12 प्रतिशत जनसंख्या 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की होगी। 2050 तक वैश्विक स्तर पर औसत दीर्घायु लगभग 77.2 वर्ष की आयु तक पहुंच जाएगी।

दुनिया भर के 23 फीसदी से अधिक लोग, या एक अरब से अधिक लोग, शहरी इलाकों में झुग्गियों में रहते हैं। अनुमान दर्शाते हैं कि शहरी आबादी में एक फीसदी की वृद्धि से एशिया में मलिन बस्तियों में 5.3 फीसदी और अफ्रीका में 2.3 फीसदी की वृद्धि होती है।

एक अनुमान के अनुसार वैश्विक आबादी का दो फीसदी बेघर है और 20 प्रतिशत सही तरह के आवासों की कमी से जूझ रहे हैं।