जलवायु

बढ़ते तापमान के कारण बदल रहा है कीटों का व्यवहार, खतरे में हैं परागण करने वाले महत्वपूर्ण कीट

कीटों की 100 से अधिक प्रजातियों का अध्ययन किया गया ताकि यह बेहतर ढंग से समझा जा सके कि तापमान में होने वाले बदलाव उन्हें कैसे प्रभावित करते हैं

Dayanidhi

दुनिया भर में लगातार बढ़ता तापमान और लू की घटनाएं कीटों के उनकी सामान्य सहन करने की सीमा से बाहर हो रहा है। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कीटों की 100 से अधिक प्रजातियों का अध्ययन किया, ताकि यह बेहतर ढंग से समझा जा सके कि ये बदलाव उन्हें कैसे प्रभावित करेंगे।

कीटों की अधिक तापमान को सहन करने की क्षमता काफी कमजोर होती है और इस तरह पहले की तुलना में उन पर ग्लोबल वार्मिंग का अधिक असर पड़ता है

इन महत्वपूर्ण कीटों में विलुप्ति के कगार वाले, परागण करने वाले, फसल के कीट आदि शामिल हैं, जो कि अत्यधिक तापमान की जद में हैं। एक तरह से कीट इस तरह की चरम सीमाओं से निपट सकते हैं, वह है अपने आपको परिस्थिति के अनुरूप ढालना, जहां पिछली बार गर्मी के सम्पर्क में आने के बाद वे सहन करने की अपनी सीमाओं को बढ़ाते हैं।

परिस्थिति के अनुरूप ढलने से उनके शरीर में बदलाव हो सकते है जैसे कि गर्मी से आघात लगने पर प्रोटीन का अपचयन होना और इसके परिणामस्वरूप कोशिका झिल्ली में फॉस्फोलिपिड संरचना में परिवर्तन हो जाता है।

टीम ने पाया कि कीट इसे असरदार तरीके से करने के लिए संघर्ष करते हैं। गर्मी की अधिकतम और न्यूनतम दोनों महत्वपूर्ण सीमाओं के साथ ढलने में कीड़े कमजोर पाए गए थे। उन पर तापमान के हर 1 डिग्री सेल्सियस के सम्पर्क में आने के बदलाव अलग-अलग तरह के थे। 

हालांकि, उन्होंने पाया कि किशोर कीटों में तापमान के अनुरूप ढलने की अधिक क्षमता होती है। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि हीट वेव या लू का सम्पर्क का समय जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है, हालांकि यह  बाद में सहन करने की क्षमता में सुधार कर सकती है।

ब्रिस्टल स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के अध्ययनकर्ता हेस्टर वीविंग ने कहा जैसे ही तापमान चरम सीमा तक पहुंच जाता है, कई कीट शारीरिक रूप से सक्रिय होने के बजाय नई सीमा में बदल जाते हैं, जिससे उनका व्यवहार बदल जाता है।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि तुलनात्मक अध्ययन ने जलवायु परिवर्तन के प्रति कीटों की प्रतिक्रियाओं को समझने में कुछ प्रमुख कमियों की पहचान की और हम कम आबादी वाले समूहों और स्थानों में प्रजातियों पर अधिक अध्ययन के लिए आग्रह करते हैं।

उन्होंने बताया कि टीम अब जांच कर रही है कि अत्यधिक तापमान के संपर्क में आने से कीटों का प्रजनन कैसे प्रभावित होता है क्योंकि यह प्रदर्शन के उपायों की तुलना में भविष्य में इनके अस्तित्व का पूर्वानुमान लगाने में अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।