जलवायु

नदियों, नालों, झील, तालाबों से हर साल निकलता है 5.5 पेटाग्राम कार्बन डाइऑक्साइड

रिसर्च के मुताबिक नदियां, नाले, झीलें, तालाब और जलाशय हर साल करीब 5.5 पेटाग्राम सीओ2 उत्सर्जित कर रहे है। वहीं मीथेन उत्सर्जन को देखें तो यह आंकड़ा 82 से 135 टेराग्राम के बीच है

Lalit Maurya

क्या आप जानते है कि सिर्फ हम इंसान ही नहीं नदियां, नाले, झीलें, तालाब और जलाशय जैसे अंतर्देशीय जल स्रोत भी बड़े पैमाने पर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन  कर रहे हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो यह जल स्रोत हर साल करीब 5.5 पेटाग्राम कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) वातावरण में मुक्त कर रहे हैं।

हालांकि करीब एक दशक पहले रीजनल कार्बन साइकिल असेसमेंट एंड प्रोसेसेस इनिशिएटिव (आरईसीसीएपी-1) ने जानकारी दी थी कि जल स्रोत हर साल 7.7 पेटाग्राम से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जित कर सकते हैं।

इस लिहाज से देखें तो हाल ही में जारी यह आंकड़े कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के अनुमान में कमी को दर्शाते हैं। इस बारे में शोधकर्ता रोनी लॉरवाल्ड के नेतृत्व में किए दो अध्ययन और उसके नतीजे जर्नल ग्लोबल बायोगेकेमिकल साइकिल्स में प्रकाशित हुए हैं।

अपने इस अध्ययन में अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने नदियों, नालों, झीलों और जलाशयों से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का पुनर्मूल्यांकन किया है। इन अध्य्यनों में वैज्ञानिकों ने न केवल कार्बन डाइऑक्साइड बल्कि साथ ही जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेवार दो अन्य शक्तिशाली गैसों मीथेन (सीएच4) और नाइट्रस ऑक्साइड (एन2ओ) के होते उत्सर्जन का भी अनुमान जारी किया है।

इस श्रंखला के पहले अध्ययन में जहां अंतर्देशीय जल स्रोतों से होते ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के नवीनतम अनुमानों की समीक्षा की गई है वहीं दूसरे अध्ययन में इस उत्सर्जन के क्षेत्रीय अनुमानों की जांच के लिए वैश्विक स्तर पर अंतर्देशीय जल स्रोतों का मानचित्रों की मदद से विश्लेषण किया गया है।

हर साल इन जल स्रोतों से उत्सर्जित हो रही है करीब 100 टेराग्राम मीथेन

इस रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक यह अंतर्देशीय जल स्रोत हर साल करीब 5.5 पेटाग्राम (3.5-9.1 पेटाग्राम) कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) वातावरण में मुक्त कर रहे हैं। वहीं यदि उत्सर्जित हो रही मीथेन की बात करें तो, यह आंकड़ा 82 से 135 टेराग्राम के बीच है। इसके एक तिहाई हिस्से के लिए उत्तरी अमेरिकी और रूसी झीलें जिम्मेवार हैं।

मीथेन को देखें तो वो एक प्रमुख ग्रीनहॉउस गैस है, जो वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते तापमान की एक वजह है। यदि औद्योगिक काल से पहले की तुलना में देखें तो आज वायुमंडल में मीथेन का स्तर करीब तीन गुणा बढ़ गया है।

जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से यह गैस कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह गैस कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वातावरण को कहीं ज्यादा तेजी से गर्म कर रही है। वैज्ञानिको के मुताबिक यह गैस ग्लोबल वार्मिंग के मामले में सीओ2 से 28 गुणा ज्यादा शक्तिशाली है।

हाल ही में जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: बायोजियोसाइंसेस में प्रकाशित नई रिसर्च से पता चला है कि हर साल वैश्विक स्तर पर झीलों से 4.2 करोड़ टन मीथेन उत्सर्जित हो रही है। अनुमान है कि वैश्विक तापमान में अब तक जितनी भी वृद्धि हुई है उसके करीब 25 फीसदी हिस्से के लिए मीथेन ही जिम्मेवार है।

वहीं यदि नाइट्रस ऑक्साइड (एन2ओ) से जुड़े आंकड़ों को देखें तो इन जल स्रोतों से हो रहा उत्सर्जन 322 गीगाग्राम प्रति वर्ष (248 से 590 गीगाग्राम के बीच) दर्ज किया गया है। आंकड़ों की माने तो अकेले उत्तरी अमेरिकी में मौजूद अंतर्देशीय जल स्रोत इसके एक चौथाई उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो हर साल वातावरण में जितनी मीथेन उत्सर्जित हो रही है, उसके 20 फीसदी हिस्से के लिए यह अंतर्देशीय जल स्रोत जिम्मेवार हैं। हालांकि इसके विपरीत वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड बजट में अंतर्देशीय जल शर्तों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत रूप से कम है।

वैज्ञानकों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि यह अनुमान रूढ़िवादी हैं क्योंकि इनमें ऐसे जल स्रोतों को शामिल नहीं किया गया है जो अल्पकालिक होते है या जिनका आकार 0.1 वर्ग किलोमीटर से छोटा है। इसके बावजूद उनका मानना है कि यह परिणाम जलवायु परिवर्तन में प्राकृतिक प्रणालियों की भूमिका को स्पष्ट तौर पर उजागर करते हैं।