जलवायु

2027 से 2042 के बीच खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगी तापमान में हो रही वृद्धि

नए अनुमान से पता चला है कि तापमान में हो रही वृद्धि 2027 से 2042 के बीच 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगी

Lalit Maurya

हाल ही में छपे एक शोध से पता चला है कि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि 2027 से 2042 के बीच खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगी। हालांकि इससे पहले आईपीसीसी ने इसके 2052 तक चरम पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। यदि इस शोध को देखें तो इसमें आईपीसीसी की तुलना में तापमान की वृद्धि के बारे में ज्यादा सटीक अनुमान लगाने का प्रयास किया गया है। मैकगिल यूनिवर्सिटी द्वारा किया यह शोध जर्नल  क्लाइमेट डायनेमिक्स में प्रकाशित हुआ है।

इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने एक नया तरीका खोजा है, उनका मानना है कि इस नए मॉडल की मदद से तापमान की ज्यादा सटीकता से गणना की जा सकती है। यह नया मॉडल जलवायु के ऐतिहासिक आंकड़ों पर आधारित है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मॉडल पुराने दृष्टिकोणों की तुलना में अनिश्चितताओं को कम कर सकता है।

तापमान में होने वाली वृद्धि को जानने के लिए दशकों से वैज्ञानिक जलवायु मॉडल का उपयोग करते आए हैं। ये मॉडल पृथ्वी की जलवायु को समझने और उनमें आ रहे बदलावों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन वे कितने सटीक हैं, इस पर अभी भी बहस जारी है।

क्या होते हैं क्लाइमेट मॉडल

जलवायु मॉडल उन विभिन्न कारकों के मैथेमैटिकल सिमुलेशन हैं, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें वातावरण, महासागर, बर्फ, धरती की सतह और सूर्य प्रमुख हैं। हालांकि यह मॉडल अब तक पृथ्वी के बारे में मिली अधिकतम जानकारी पर आधारित होते हैं। इसके बावजूद जब भविष्य के बारे में अनुमान लगाने की बात आती है, तो अनिश्चितता बनी रहती है। 

शोध के अनुसार अब तक जिस तरह से तापमान बढ़ने के बारे में अनगिनत अनुमान लगाए गए हैं उसने अलग-अलग जलवायु शमन (क्लाइमेट मिटिगेशन) परिदृश्यों में सही अनुमान को और मुश्किल बना दिया है। उदाहरण के लिए यदि आईपीसीसी के सामान्य परिसंचरण मॉडल (जीसीएम) मॉडल को देखें तो उसके अनुसार यदि वातावरण में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा दोगुनी हो जाती है तो वैश्विक तापमान में हो रही औसत वृद्धि 1.9 से 4.5 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अंदेशा है। यह तापमान की एक विस्तृत रेंज है। जिसमें निचले स्तर पर मध्यम जलवायु परिवर्तन से लेकर उच्चतम स्तर पर तापमान में प्रलयंकारी वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है।

क्या है यह नया दृष्टिकोण

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता राफेल हेबर्ट ने अपने क्लाइमेट मॉडल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि “तापमान का पूर्वानुमान करने का हमारा यह नया दृष्टिकोण, जलवायु के ऐतिहासिक आंकड़ों पर आधारित है। जबकि इसके विपरीत जीसीएम जैसे मॉडल सैद्धांतिक संबंधों पर आधारित होते हैं। हमारा मॉडल  तापमान के प्रत्यक्ष आंकड़ों और कुछ अनुमानों पर आधारित है। जिसकी मदद से जलवायु संवेदनशीलता और इसकी अनिश्चितता के बारे में पता लगाया जाता है।"

अब से सदी के अंत तक के तापमान का अनुमान लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने जिस नए मॉडल का प्रयोग किया है उसे स्केलिंग क्लाइमेट रिस्पांस फंक्शन (एससीआरएफ) मॉडल का नाम दिया है। यह मॉडल जलवायु के ऐतिहासिक आंकड़ों पर आधारित है। जो आईपीसीसी द्वारा वर्तमान में उपयोग किए गए दृष्टिकोण की तुलना में तापमान की भविष्यवाणी सम्बन्धी अनिश्चितताओं को लगभग आधा कर देता है।

इस मॉडल से प्राप्त परिणामों के विश्लेषण से पता चला है कि तापमान में हो रही वृद्धि 2027 से 2042 के बीच 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगी। वहीं जीसीएम मॉडल के अंतर्गत इसके अब से 2052 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। ऐसे में यह तापमान बढ़ने की समय सम्बन्धी अनिश्चितता को कुछ कम कर देता है। शोधकर्ताओं को यह भी पता चला है कि तापमान में हो रही औसत वृद्धि अनुमान से थोड़ा कम है। उन्होंने इसके लगभग 10 से 15 फीसदी कम रहने का अनुमान लगाया है।