जलवायु

जंगल में आग लगने की घटनाएं 350 प्रतिशत बढ़ीं, ओडिशा और मध्य प्रदेश में 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी

नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच देशभर में आग लगने की करीब 3.5 लाख चेतावनियां दी गईं

Bhagirath

देशभर में जलवायु परिवर्तन और अन्य मानव जनित कारणों से वनों में आग लगने की घटनाएं तीन गुना से अधिक बढ़ गई हैं। इस संबंध में लोकसभा में पूछे एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 30 जुलाई को बताया कि देशभर में आग लगने की घटनाओं की संख्या वर्ष दर वर्ष बदलती रही है। उन्होंने बताया कि वनों में लगने वाली अधिकांश आग जमीनी होती है जिनमें वनस्पतियां आदि जल जाती हैं।

लोकसभा में उपलब्ध कराए आंकड़े बताते हैं कि नवंबर 2019 से जून 2020 के बीच आग लगने की कुल 1,24,473 घटनाएं हुई थीं जो नवंबर 2020 से जून 2021 को बढ़कर 3,45,989 हो गईं। यानी आग लगने की घटनाओं में 350 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है। नवंबर 2018 से जून 2020 के बीच ऐसी 2,10,286 घटनाएं दर्ज की गई थीं।

ओडिशा, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा लगी आग

केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि देश के 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दावानल की घटनाओं में इजाफा हुआ है। नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच आग लगने की सबसे अधिक 51,968 घटनाएं ओडिशा में दर्ज की गईं। राज्य में नंवबर 2019 से जून 2020 के बीच दावानल की कुल 10,602 घटनाएं दर्ज की गई थीं। दूसरे शब्दों में कहें तो एक वर्ष में ओडिशा में आग लगने की घटनाएं करीब 500 प्रतिशत बढ़ गईं। ओडिशा के बाद दावानल की सबसे अधिक घटनाएं मध्य प्रदेश में हुईं। यहां नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच ऐसी कुल 47,795 घटनाएं हुईं जो नंवबर 2019 से जून 2020 के बीच की 9,537 घटनाओं से करीब 500 प्रतिशत अधिक हैं। महाराष्ट्र में नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच 34,025 घटनाएं, छत्तीसगढ़ में 38,106 घटनाएं, उत्तराखंड में 21,487 घटनाएं, झारखंड में 21,712 घटनाएं दर्ज की गईं। ये आंकड़े पिछले वर्ष से कई गुना अधिक हैं।

कुछ राज्यों में कम लगी आग

राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, गोवा, दिल्ली, चंडीगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में आग लगने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है। राजस्थान में नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच 3,402 घटनाएं सामने आईं जो पिछले वर्ष की 3,461 घटनाओं से थोड़ा कम है। इसी तरह केरल में 296 घटनाएं दर्ज की गईं जो पिछले वर्ष की 864 घटनाओं से काफी कम हैं। चंडीगढ़ में आग लगने की कोई भी घटना दर्ज नहीं की गई।