जलवायु

इस तरह लगेगी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैस पर लगाम

Dayanidhi

नाइट्रस ऑक्साइड (एन2ओ) दुनिया भर में तीसरी सबसे अधिक उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैस है। एन2ओ ओजोन परत के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में देखी जाती है। जबकि इसको कमतर करके आंका गया है। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अपने आकलन में कहा है कि इसकी गणना की सटीकता में सुधार किया जाना चहिए। इससे न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की अधिक सटीक तस्वीर उभर कर सामने आएगी, बल्कि दुनिया भर में देशों को इसे और अधिक आक्रामक तरीके से कम करने के लिए प्रेरित भी किया जा सकता है।  

शोधकर्ताओं ने गणना करके बतया है कि ओजोन परत पर नाइट्रस ऑक्साइड के पड़ने वाले प्रभाव को जोड़ने से इस गैस की वर्तमान सामाजिक लागत में 20 फीसदी की वृद्धि होगी। ओजोन के कमजोर पड़ने का खतरनाक प्रभाव मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पेड़-पौधों और जानवरों के जीवन पर पड़ता हैं। क्योंकि ओजोन के कमजोर पड़ने से पृथ्वी की सतह पर अधिक हानिकारक पराबैंगनी विकिरण पहुंचते हैं।

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग में सहयोगी प्रोफेसर डेविड कैंटर ने कहा की पृथ्वी के वायुमंडल की परत की नजदीक या स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन पर नाइट्रस ऑक्साइड के प्रभावों की सामाजिक लागत क्या होगी? जबकि इसकी गणना मौजूदा अनुमानों से काफी ऊपर है। शोधकर्ताओं का कहना है कि माप में किया गया सुधार हो सकता है कि सरकारी गतिविधि को प्रभावित करे।

एनवायर्नमेंटल साइंस इनिशिएटिव एट द एडवांस साइंस रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर पीटर ग्रॉफमैन ने कहा की एक सटीक अनुमान दुनिया भर के देशों को नाइट्रस ऑक्साइड पर कार्रवाई करने के लिए और भी अधिक विवश कर देगा। दुनिया भर में जलवायु और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की संभावना को बढ़ाएगा। 

शोधकर्ताओं ने नाइट्रस ऑक्साइड की सामाजिक लागत पर आधारित उत्सर्जन की आर्थिक लागत का अनुमान लगाया है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले अनुमानित नुकसान का आकलन प्रदान करता है। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

वर्तमान सामाजिक लागत अनुमान इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि नाइट्रस ऑक्साइड (एन2ओ), ओजोन परत को कैसे प्रभावित करता है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की शक्तिशाली किरणों से बचाती है। यह एक महत्वपूर्ण चूक है क्योंकि इसकी निरंतर कमी फसलों और समुद्री जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है जबकि इंसानी स्वास्थ्य को प्रभावित करने की दर को भी तेज कर सकती है। कैंसर पैदा करने वाली पराबैंगनी विकिरण के लिए एन2ओ उत्सर्जन के सबसे बड़े स्रोतों में कृषि में उपयोग किए जाने वाले नाइट्रोजन उर्वरक हैं।

शोधकर्ता कहते हैं की ये नुकसान की भरपाई करने में लगने वाली लागत, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक लाभों और नीतिगत उपायों की लागत का मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। कनाडा और यूनाइटेड किंगडम सहित अमेरिका से परे कई देशों में उपयोग की जाती हैं। वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों ने कार्बन की सामाजिक लागत के अनुमानों में सुधार के लिए भारी निवेश करने की बात की है। हालांकि, नाइट्रस ऑक्साइड की सामाजिक लागत पर बहुत कम ध्यान दिया गया है।

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष में कहा कि नियामक समीक्षा में इन प्रभावों की गणना करना, साथ ही साथ उन्हें कैसे वितरित किया जाता है, ये कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों तक को असमान रूप से प्रभावित करता है। यह उन नीतियों को काफी प्रभावित कर सकता है जो इनको आगे बढ़ाते हैं।