जलवायु परिवर्तन शीतकालीन खेलों और ओलंपिक शीतकालीन खेलों की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है। फोटो सांभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मार्टिन फिश
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जलवायु परिवर्तन की मार: 2050 तक शीतकालीन ओलंपिक के लिए 93 में से सिर्फ 52 जगहें बचेंगी

दुनिया भर में तापमान में लगातार वृद्धि के कारण जलवायु संबंधी विश्वसनीय स्थलों में भारी कमी आने के आसार हैं।

Dayanidhi

एक शोध से पता चलाा है कि जलवायु परिवर्तन किस तरह से शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के भविष्य को खतरे में डाल रहा है।

शोध में दुनिया भर के 93 ऐसे शहरों और इलाकों का अध्ययन किया गया, जिनके द्वारा पहले शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी की गई थी और पाया कि दुनिया भर में तापमान में लगातार वृद्धि के कारण जलवायु संबंधी विश्वसनीय स्थलों में भारी कमी आने के आसार हैं।

यह शोध वाटरलू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा शीतकालीन खेलों के वातावरण और जलवायु परिवर्तन से इसके प्रभावित होने के बारे में समझ बढ़ाने के लिए यह अध्ययन किया गया है।

अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में मध्यम श्रेणी के उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत, 2050 तक केवल 52 स्थान ही जलवायु के मामले में विश्वसनीय रहेंगे, अर्थात ये खेलों के आयोजन के लायक होंगे। ये वो जगहें हैं जहां पहले शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी की गई थी और 2080 तक केवल 46 ही जलवायु के मामले में विश्वसनीय रहेंगे।

पैरालिंपिक शीतकालीन खेलों के लिए संभावनाएं, जो अक्सर सीजन के अंत में निर्धारित की जाती हैं और भी अधिक भयावह हैं, 2050 के दशक में केवल 22 और 2080 के दशक में 16 विश्वसनीय स्थल होंगे। शोध के निष्कर्ष करंट इश्यूज इन टूरिज्म नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा जलवायु परिवर्तन शीतकालीन खेलों और ओलंपिक शीतकालीन खेलों की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है।

शोधकर्ताओं ने शोध में पाया कि तापमान में वृद्धि और बर्फ में भारी कमी के कारण इन वैश्विक खेलों के आयोजनों के लिए संभावित मेजबानों की संख्या कम हो जाएगी। जलवायु परिवर्तन के कारण शीतकालीन खेलों का भूगोल बदल रहा है और खेल के इस वैश्विक उत्सव का भविष्य अगले दशक में जलवायु नीति निर्णयों से काफी प्रभावित होगा। जबकि उन्नत बर्फ निर्माण जैसी अनुकूलन रणनीतियां कुछ प्रभावों को कम कर सकती हैं, उनकी सीमाएं स्पष्ट हैं।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल से प्राप्त जलवायु मॉडल के आंकड़ों का मूल्यांकन करते हुए, जैसे कि बर्फ की न्यूनतम गहराई और अधिकतम श्रेणी के बर्फीले खेलों के लिए आवश्यक रोजमर्रा के हिमांक तापमान, अध्ययन एक गंभीर पूर्वानुमान प्रस्तुत करता है, उच्च-उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत, सदी के अंत तक वर्तमान मेजबान स्थानों में से अधिकांश खेल करवाने लायक नहीं रहेंगे।

आईओसी के अनुसार, निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि ओलंपिक एजेंडा 2020 और 2020+5 के सुधार, मेजबानों के लिए उनके बढ़े हुए लचीलेपन के साथ, ओलंपिक शीतकालीन खेलों के भविष्य की रक्षा करने में योगदान देंगे, जिसमें एक या अधिक क्षेत्रों में आयोजित होने वाली परियोजनाओं को सक्षम करना, मौजूदा स्थानों का अधिकतम उपयोग करना शामिल है।

अध्ययन आईओसी की इस स्थिति को स्पष्ट करता है कि शीतकालीन खेल समुदाय को शीतकालीन खेलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और पर्यावरण पर शीतकालीन खेलों के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए समाधान खोजने चाहिए।

ओलंपिक शीतकालीन खेलों के अगले तीन संस्करणों में बर्फ के खेलों के लिए मेजबान क्षेत्र - इतालवी आल्प्स, फ्रांसीसी आल्प्स और वासाच बैक, यूटा - सभी को मध्य शताब्दी से परे जलवायु विश्वसनीय के रूप में आंका गया है और यह दर्शाता है कि आईओसी ने अगले दशक के लिए ओलंपिक शीतकालीन खेलों के लिए जलवायु-सुरक्षित स्थलों के रूप में चुनाव किया है।