जलवायु

खतरनाक समुद्री रास्ते पर आगे बढ़ रहा है लंदन से दोगुने आकार का हिमखंड ए-76ए

यह विशाल हिमखंड, पिछले साल अंटार्कटिका में मौजूद ग्लेशियर रोने आइस शेल्फ के पश्चिमी हिस्से से टूटकर अलग हुए हिमखंड ए-76 का सबसे बड़ा हिस्सा है

Lalit Maurya

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के टेरा उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों से पता चला है कि एक विशाल हिमखंड ‘ए-76ए’ खतरनाक समुद्री रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। यह हिमखंड और कोई नहीं हिमखंड ए-76 का हिस्सा है, जो पिछले वर्ष मई के महीने में अंटार्कटिका में मौजूद ग्लेशियर रोने आइस शेल्फ के पश्चिमी हिस्से से टूटकर अलग हो गया था। यह हिमखंड टूटने से पहले दुनिया भर के महासागरों में तैरने वाले हिमखंडों में सबसे बड़ा था।   

इसके बारे में कोपर्निकस सेंटिनल -1 मिशन द्वारा ली गई तस्वीरों से पता चला था। गौरतलब है कि अलग होने के एक महीने के भीतर यह हिमखंड ए-76 तीन हिस्सों में टूट गया था। इन तीन हिस्सों में ए-76 ए सबसे बड़ा टुकड़ा है, जोकि आकर में लंदन से दोगुना है।

इसकी नासा के टेरा उपग्रह से ली तस्वीरों से पता चला है कि यह हिमखंड ड्रेक पैसेज में अपने स्थान से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर चला गया है। जो दक्षिण में अमेरिका के केप हॉर्न, चिली और अंटार्कटिका के दक्षिण शेटलैंड द्वीपों के बीच स्थित है और जहाजों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है।

लम्बी यात्रा के बावजूद भी अभी भी पहले जितना बड़ा है यह हिमखंड

देखा जाए तो पानी में तैरते इस हिमखंड का लंबा आकार दक्षिणी महासागर के सुदूर दक्षिण में समुद्री बर्फ से अलग है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिमखंड समुद्री बर्फ नहीं होते, बल्कि वो ग्लेशियर या बर्फ के विशाल तैरते हुए टुकड़े होते हैं। वहीं समुद्री बर्फ जमा हुआ समुद्री पानी है जो समुद्र की सतह पर तैरता रहता है।

हैरान कर देने वाली बात है कि अपनी लंबी यात्रा के बावजूद इस हिमखंड का आकार अभी भी आश्चर्यजनक रूप से जस का तस है। इस बारे में जून 2021 में, यूएस नेशनल आइस सेंटर ने जानकारी दी थी कि ए-76ए करीब 135 किलोमीटर लंबा और 26 किलोमीटर चौड़ा है। इस बारे में अक्टूबर 2022 में यूएस नेशनल आइस सेंटर ने बताया है कि यह अभी भी पहले की तरह ही समान आकार को बनाए हुए है, जोकि हैरान कर देने वाला है।

विशेषज्ञों के मुताबिक अभी भी यह निश्चित नहीं है कि यह हिमखंड आगे किस ओर, कितनी दूर जाएगा, क्योंकि यह 2022 में अपनी स्थिति से पहले ही 500 किलोमीटर से ज्यादा उत्तर में है। जब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सेंटिनल -1 उपग्रह ने अंटार्कटिक प्रायद्वीप से गुजरते हुए इस हिमखंड को दिखाया था। 

जैसे-जैसे यह उत्तर की ओर बहाव जारी रखेगा। वहां आमतौर पर यह देखा गया है कि हिमखंड को ड्रेक पैसेज के माध्यम से बहने वाली शक्तिशाली अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट द्वारा पूर्व की ओर धकेल दिया जाता है। उस पॉइंट से अक्सर हिमखंड भूमध्य रेखा की ओर उत्तर की तरफ मुड़ते हैं। जहां वो क्षेत्र के गर्म पानी की वजह से जल्द पिघल जाते हैं। इस तरह यह विशाल हिमखंड अपनी एक तरफा यात्रा में अपनी पानी की कब्र की तरफ बढ़ रहा है।