जलवायु

अंटार्कटिका के ग्लेशियरों से तेजी से पिघल रही है बर्फ, नई रडार तकनीक से चला पता

अंटार्कटिका में समुद्र के ऊपर तैरने वाली सारी बर्फ पिघल जाएगी तो समुद्र का स्तर औसतन 190 फीट बढ़ जाएगा और इससे 26.7 करोड़ लोगों पर संकट आ सकता है

Dayanidhi

नए अध्ययन में एक रिमोट इमेजिंग सिस्टम का उपयोग करके दक्षिणी ध्रुव पर तीन ग्लेशियरों के बारे में पता लगाया गया है। जहां ग्लेशियरों का स्तर तेजी से कम हो रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। नई रिमोट सेंसिंग डेटा प्रणाली न केवल पृथ्वी के सबसे कम खोजे गए महाद्वीप से बर्फीले रहस्यों को उजागर कर रही है, बल्कि यह दुनिया भर में जलवायु के खतरों के बारे में भी चेतावनी दे रही है। यह अध्ययन ह्यूस्टन विश्वविद्यालय की अगुवाई में किया गया है।

अध्ययन में पश्चिम अंटार्कटिका के अमुंडसेन सागर तटबंध में पोप, स्मिथ और कोहलर ग्लेशियरों के तेजी से पीछे हटने का दस्तावेजीकरण किया गया है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि इस रिमोट तकनीक ने हमें दुनिया भर के ग्लेशियरों के पहले से कहीं अधिक तेजी से पीछे हटने की दर का पता लगाने में सफल हुए हैं। यह एक चेतावनी है कि चीजें अस्थिर हो रही हैं।

टैनडेम-एक्स और कॉसमो-स्काईमेड उपग्रहों के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों के इस अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में, मिलिलो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय इरविन के शोधकर्ताओं और तीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के वैज्ञानिकों से जुड़े हुए हैं। इसमें नासा, जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) और इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी (एएसआई) शामिल है।

शोध दल अपेक्षाकृत छोटे और अभी तक कम अध्ययन किए गए पोप, स्मिथ और कोहलर ग्लेशियरों से अपने विशाल और नाजुक पश्चिम अंटार्कटिका पड़ोसियों, थवाइट्स और पाइन द्वीप ग्लेशियरों के साथ-साथ पूरे अंटार्कटिक ग्लेशियर सिस्टम तक वैज्ञानिक समझ को बढ़ाने की योजना बना रहा है।

मिलिलो ने कहा यहां मुद्दा यह है कि हमें ग्लेशियरों के इतना अधिक पीछे हटने की दर देख रहे हैं। यहां तीन छोटे ग्लेशियर वास्तव में पास के थवाइट्स ग्लेशियर से बेसिन पर पहुंच सकते हैं। जिससे थवाइट्स ग्लेशियर से बर्फ का अधिक नुकसान होगा। अंटार्कटिका में, ग्लेशियर सूर्य की गर्मी के कारण नहीं पिघलते बल्कि वे पिघलते हैं क्योंकि वे तेजी से आगे बढ़ते हैं इससे समुद्र में अधिक बर्फ गिरती है। यह बर्फ के बड़े पैमाने पर होने वाले नुकसान के प्रमुख तंत्रों में से एक है।

पृथ्वी के सबसे दक्षिणी बिंदु पर, दक्षिणी ध्रुव वर्ष के अधिकांश समय अंधेरे में रहता है। इसके चरम मौसम का मतलब है कि शोधकर्ता अपने शोध को सीमित करते हुए केवल थोड़े समय के लिए ही यात्रा कर सकते हैं। मिलिलो बताते हैं कि अंटार्कटिका इतना दूरस्थ है कि अक्सर निकटतम मनुष्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यात्री होते हैं।

उन्होंने कहा कि रडार उन प्रयोगों के लिए एकदम सही है, यह बादलों में भी प्रवेश कर सकता है। यह किसी भी मौसम की स्थिति में देख सकता है। यह एक सक्रिय सेंसर भी है, इसलिए हमें सूर्य के प्रकाश पर भरोसा नहीं करना पड़ता है।

मिलिलो ने कहा अतीत में, हमें पर्याप्त उपयोगी आंकड़ों को जमा करने के लिए कई सालों तक इंतजार करना पड़ता था। इस कारण से, हम केवल लंबे समय के रुझान देख सकते थे। अब हम मासिक आधार पर ग्लेशियरों को पीछे हटते देख सकते हैं। विस्तृत विवरण के एक नए स्तर पर लगा सकते हैं जो ग्लेशियर मॉडल को बेहतर बनाने में मदद करेगा। बदले में, हमारे समुद्र के स्तर में वृद्धि के अनुमान लगाने में सुधार करेगा।

उन मासिक मापों में, टीम ग्लेशियर की ग्राउंडिंग लाइन पर पीछे हटने का आकलन करने के लिए द्वि-साप्ताहिक ऊंचाई में हुए बदलावों को मापती है। एक ग्लेशियर के नीचे की सीमा जहां जमी हुई भूमि गर्म पानी से मिलती है। ग्राउंडिंग लाइन विशेष रूप से कमजोर हो जाती है क्योंकि गर्म पानी एक बर्फ की शेल्फ को तराशता है जो तैरने लगती है और आसानी से पूरी तरह से टूट सकती है।

मिलिलो ने कहा अगर अंटार्कटिका में समुद्र के ऊपर तैरने वाली सारी बर्फ पिघल जाएगी, तो समुद्र का स्तर औसतन 58 मीटर (190 फीट) बढ़ जाएगा। अगर हम जिन संकेतों को देख रहे हैं, उनकी पुष्टि हो जाती है, तो अंटार्कटिका, साथ ही ग्रीनलैंड में बड़े पैमाने पर नुकसान बढ़ेगा।

यदि ये सभी ग्लेशियर पिघल जाते हैं, तो समुद्र का पानी तेजी से बढ़ सकता है। दुनिया भर में 26.7 करोड़ लोग समुद्र तल से 2 मीटर (6.6 फीट) से कम ऊंचाई वाली भूमि पर रहते हैं। इसके अलावा, बड़ी संरचनाओं को डूबते हुए देखा जा सकता है। इसलिए लोगों को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। भले ही यह उनके जीवन को प्रभावित न करे, यह उनके बच्चे के जीवन और उनके पोते के जीवन को प्रभावित जरूर करेगा।

मिलिलो निकट भविष्य के बारे में बताते हैं, जिसमें 2023 में नासा की योजना अपने एनआईएसएआर उपग्रह को लॉन्च करने के लिए शामिल है। जिसे वर्तमान अत्याधुनिक सिंथेटिक एपर्चर रडार की तुलना में और भी अधिक मात्रा और अधिक लगातार आंकड़ा अधिग्रहण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे नासा-इसरो एसएआर के रूप में भी जाना जाता है, उपग्रह पारिस्थितिक तंत्र, गतिशील सतहों और बर्फ के द्रव्यमान में परिवर्तन को मापेगा। यह वैज्ञानिकों को हमारी परिवर्तनशील पृथ्वी की एक सही तस्वीर प्रदान करेगा।