जलवायु

केवल 53 फीसदी देशों के पाठ्यक्रम में है जलवायु परिवर्तन का जिक्र, कैसे जानेंगी नई पीढ़ी

सर्वेक्षण से पता चला है कि 40 फीसदी से भी कम शिक्षक इस बारे में आश्वस्त थे कि वो जलवायु परिवर्तन की गंभीरता के बारे में बच्चों को पढ़ा सकते हैं

Lalit Maurya

आप कैसे अपने आने वाली पीढ़ियों को जलवायु परिवर्तन के खतरे के बारे में जानकारी देंगे और उन्हें इसके लिए तैयार करेंगे जब दुनिया के केवल 53 फीसदी देशों के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन का जिक्र किया गया है। आज जलवायु परिवर्तन एक ऐसे दुःस्वप्न की तरह है जिसकी सच्चाई को चाह कर भी नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में न केवल वर्तमान बल्कि साथ ही आने वाली पीढ़ी को इसके लिए तैयार रहने की जरुरत है। 

5 नवंबर को ग्लासगो में कॉप-26 सम्मलेन के दौरान होने वाली पर्यावरण और शिक्षा मंत्रियों की पहली संयुक्त बैठक से पहले, संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख शिक्षा एजेंसी यूनेस्को ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली जलवायु संकट की गंभीरता को संबोधित नहीं करती है। 

हाल ही में 100 देशों के लिए यूनेस्को द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि दुनिया के केवल 53 फीसदी देशों के राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन का जिक्र किया गया है। वहीं जब इसकी एक विषय के रूप में बात की जाए तो इसे बहुत कम प्राथमिकता दी जाती है।

जलवायु परिवर्तन की गंभीरता के बारे में पढ़ाने के काबिल हैं केवल 40 फीसदी से भी कम शिक्षक

इस बारे में यूनेस्को और एजुकेशन इंटरनेशनल द्वारा किए सर्वेक्षण से पता चला है कि 40 फीसदी से भी कम शिक्षक इस बारे में आश्वस्त थे कि वो जलवायु परिवर्तन की गंभीरता के बारे में बच्चों को पढ़ा सकते हैं। वहीं केवल एक-तिहाई ही अपने क्षेत्र या इलाके पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभावों को बता पाने में सक्षम थे। 

इस बारे में यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अजोले का कहना है कि “जलवायु संकट अब दूर का खतरा नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक वास्तविकता बन चुका है। शिक्षा के बिना इसका कोई समाधान नहीं है ऐसे में हर शिक्षार्थी को इसे समझने की जरुरत है। साथ ही उन्हें इसके समाधान का हिस्सा बनने के लिए सशक्त होना चाहिए। वहीं प्रत्येक शिक्षक को इसे पढ़ाने के काबिल बनाने के लिए ज्ञान दिया जाना चाहिए और देशों को इसके लिए संगठित होना चाहिए।“ 

जलवायु परिवर्तन को सिखाने की चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर, सर्वेक्षण में शामिल 58,000 शिक्षकों में से 30 फीसदी का कहना था कि वो इस विषय से परिचित नहीं हैं। वहीं इस सर्वेक्षण में शामिल एक चौथाई से अधिक लोगों का कहना है कि जलवायु के बारे में सिखाने के लिए जिस शिक्षा पद्धति और दृष्टिकोण का उपयोग किया जा रहा है वो ऑनलाइन शिक्षण के अनुकूल नहीं है। यह विशेष रूप से चिंता का विषय है क्योंकि 66 देशों के 73.7 करोड़ छात्र अभी भी स्कूलों के पूर्ण या आंशिक रूप से बंद होने के कारण प्रभावित हैं। 

इन निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए, यूनेस्को ने यूके और इटली के कॉप-26 के सह-अध्यक्षों के साथ मिलकर 'टुगेदर फॉर टुमॉरो: एजुकेशन एंड क्लाइमेट एक्शन', के नाम से पर्यावरण और शिक्षा मंत्रियों की पहली संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह बैठक 5 नवंबर को कॉप-26 के दौरान ग्लासगो में आयोजित की जाएगी।