जलवायु

बादल जलवायु पर किस तरह डालते हैं असर, वैज्ञानिकों ने सुलझाई गुत्थी

उष्णकटिबंधीय इलाकों में आम तूफानी बादल किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं और बढ़ते तापमान को प्रभावित करते हैं?

Dayanidhi

बढ़ता तापमान, कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) की बढ़ती मात्रा पर निर्भर करता है, लेकिन यह इस बात से भी जुड़ा है कि बढ़ते तापमान पर बादल कैसे 'प्रतिक्रिया' देते हैं। जबकि हाल ही में कम-क्लाउड फीडबैक को सीमित करने में प्रगति हुई है, दशकों के अध्ययन के बावजूद उष्णकटिबंधीय इलाकों में आम तूफानी बादलों जिसे एविल क्लाउड भी कहते हैं, इनका जलवायु पर होने वाले असर को मापने में भारी अनिश्चितता पाई गई है।

यहां बताते चलें कि क्लाउड फीडबैक एक प्रकार का जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया है जिसे समकालीन जलवायु मॉडल में मापना मुश्किल हो गया है।

इस तरह सवाल उठता है कि उष्णकटिबंधीय इलाकों में आम तूफानी बादल किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं और बढ़ते तापमान को प्रभावित करते हैं?

शोध में कहा गया है कि इस तरह की अनिश्चितता से पार पाने के लिए, शोधकर्ताओं ने सरल समीकरणों पर आधारित एक नया विश्लेषण किया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस विश्लेषण ने इस बात की अनिश्चितता को कम कर दिया है कि बादल भविष्य में होने वाले जलवायु परिवर्तन को कैसे प्रभावित करेंगे।

शोध के मुताबिक, दुनिया भर में तापमान पर बादलों के दो मुख्य प्रभाव होते हैं पहला सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके धरती को ठंडा करना, दूसरा पृथ्वी के विकिरण के लिए इन्सुलेशन के रूप में कार्य करके इसे गर्म करना।

ग्लोबल वार्मिंग के पूर्वानुमानों में बादलों का प्रभाव अनिश्चितता का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यह शोध नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित किया गया है। 

एक नए शोध में, एक्सेटर विश्वविद्यालय और पेरिस में लेबोरेटोएरे डी मेटेरोलॉजी डायनामिक के शोधकर्ताओं ने एक मॉडल बनाया जो इस बात का पूर्वानुमान लगाता है कि उष्णकटिबंधीय इलाकों में आम तूफानी बादलों के सतह के क्षेत्र में बदलाव से ग्लोबल वार्मिंग पर किस तरह असर डालेगा।

वर्तमान समय में बादल तापमान को कैसे प्रभावित करते हैं, इसके अवलोकन के विरुद्ध अपने मॉडल का परीक्षण करके, शोधकर्ताओं ने इसकी प्रभावशीलता की पुष्टि की और इस तरह जलवायु पूर्वानुमानों में अनिश्चितता को कम करने में मदद की।

शोध के मुताबिक, मॉडल से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय इलाकों में आम तूफानी बादलों के क्षेत्र में परिवर्तन का ग्लोबल वार्मिंग पर पहले की तुलना में बहुत कम प्रभाव पड़ता है।

हालांकि, बादलों की चमक, उनकी मोटाई से निर्धारित करने का अध्ययन नहीं किया गया है और इसलिए यह भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग की भविष्यवाणी करने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।

शोध में शोधकर्ता ने कहा, जलवायु परिवर्तन जटिल है, लेकिन कभी-कभी हम महत्वपूर्ण सवालों का जवाब बहुत ही सरल तरीके से दे सकते हैं। इस मामले में, शोधकर्ताओं ने बादलों की बुनियादी विशेषताओं को आसान बनाया, जिसमें कहा गया कि बादलों के आकार के आधार पर या तो तापमान कम या अधिक होगा।

शोधकर्ता ने शोध में बताया कि ऐसा करने से हमें समीकरण लिखने और एक मॉडल बनाने में मदद मिली जिसका अवलोकन किए गए बादलों के विरुद्ध परीक्षण किया जा सकता है।

शोध के नतीजे बढ़ते तापमान पर उष्णकटिबंधीय इलाकों में आम तूफानी बादलों के सतह क्षेत्र के प्रभाव के बारे में अनिश्चितता को आधे से भी कम कर देते हैं।

यह एक बड़ा कदम है, हो सकता है हम पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा तक पहुंच सकते हैं। शोधकर्ता ने बताया कि अब हमें यह जांचने की जरूरत है कि बढ़ता तापमान बादलों की चमक को कैसे प्रभावित करेगा।