जलपाईगुड़ी, उत्तर बंगाल में एनडीआरएफ कर्मियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है। फोटो: @NDRFHQ/X 
जलवायु

उत्तर बंगाल में अतिवृष्टि व 100 से अधिक भूस्खलन, 17 की मौत; सिक्किम लगभग कटा

जलपाईगुड़ी में 4 अक्टूबर से 5 अक्टूबर की सुबह तक 370 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि दार्जिलिंग में 270 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई

Jayanta Basu

4 अक्टूबर की शाम से लेकर 5 अक्टूबर की सुबह तक लगातार और अत्यधिक भारी बारिश ने उत्तर बंगाल के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है। दार्जिलिंग और उसके आसपास के इलाकों में भूस्खलन की अनेक घटनाएं दर्ज की गई हैं। 5 अक्टूबर दोपहर तक 17 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी थी। गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन ने पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी पर्यटन स्थलों को अगली सूचना तक बंद करने की घोषणा की है।

उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कालिम्पोंग और अलीपुरद्वार जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं, सिक्किम लगभग पूरे देश से कट गया है क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग-10 भूस्खलन के कारण बंद है। सिक्किम पुलिस द्वारा 5 अक्टूबर को जारी सूचना के अनुसार, राजधानी गंगटोक सहित राज्य के अधिकांश जिलों में कई सड़कें बंद हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल से जुड़ने वाले मार्ग भी शामिल हैं।

भारतीय मौसम विभाग ने पहले ही 4 अक्टूबर दोपहर से भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। 5 अक्टूबर दोपहर को विभाग ने पुष्टि की कि जलपाईगुड़ी में 4 अक्टूबर से 5 अक्टूबर की सुबह तक 370 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि दार्जिलिंग में 270 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। 5 अक्टूबर के लिए कुछ इलाकों में रेड अलर्ट जारी किया गया है और अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की संभावना जताई गई है।

विभाग के कोलकाता क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख हबीबुर रहमान बिस्वास ने बताया, “कूचबिहार और अलीपुरद्वार जिलों में कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश (200 मिमी से अधिक) होने की संभावना है। वहीं दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और जलपाईगुड़ी जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश (70 से 200 मिमी) हो सकती है।”

भूटान का डैम ओवरफ्लो

स्थिति और बिगड़ने की आशंका है क्योंकि भूटान के ताला हाइड्रो पावर डैम से 5 अक्टूबर की सुबह पानी ओवरफ्लो होने लगा। इससे उत्तर बंगाल में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। भूटान सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल प्रशासन को साझा की गई जानकारी के अनुसार, “पश्चिम भूटान स्थित ताला डैम में अत्यधिक और अभूतपूर्व बारिश के कारण वांगचू नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। नदी का प्रवाह 4 बजे सुबह 200 क्यूमेक्स से बढ़कर 11 बजे तक लगभग 1,260 क्यूमेक्स पहुंच गया, जिससे सुबह करीब 7 बजे डैम का पानी ऊपर से बहने लगा।”

पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय (नाबन्ना) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अलीपुरद्वार के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ने “सबसे उच्च स्तर की चेतावनी” जारी कर दी है।

भूस्खलनों की बाढ़

उत्तर बंगाल प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दार्जिलिंग और आसपास के कालिम्पोंग इलाकों में करीब सौ भूस्खलन हुए हैं, जिनमें से 35 बड़े पैमाने के हैं। इसके कारण कई सड़कों को नुकसान हुआ है या वे बंद हैं। 5 अक्टूबर दोपहर तक एनएच-10 और रोहिणी रोड (जो दार्जिलिंग को सिलीगुड़ी से जोड़ती है) बंद हैं, जिससे सिक्किम का संपर्क लगभग टूट गया है।

पश्चिम बंगाल सरकार के इको-टूरिज्म चेयरमैन राज बसु ने बताया कि “देश के अन्य हिस्सों से आए पर्यटक फिलहाल सुरक्षित हैं। जिन यात्रियों की तत्काल ट्रेन या फ्लाइट है, उन्हें पंखाबाड़ी रोड के जरिए निकाला जा रहा है।” उन्होंने कहा कि चार जिलों में करीब 130 पर्यटक संघ स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगे हैं।

हालांकि स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई पर्यटक सड़क अवरोधों और भूस्खलनों के कारण फंसे हुए हैं। “जलपाईगुड़ी में हॉलोंग नदी पर लकड़ी का पुल टूट गया है और मदारीहाट टूरिस्ट लॉज में कुछ सौ पर्यटक फंसे हुए हैं,” एक स्थानीय निवासी ने बताया।

एक पर्यावरणविद् ने आरोप लगाया कि “इस प्राकृतिक आपदा के अलावा, दार्जिलिंग और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में पूरी तरह से अनियोजित शहरीकरण, और स्थानीय जलनिकासी मार्गों (झोरा) के अवरुद्ध होने से यह स्थिति और विकराल हुई है।”

बंगाल मंत्री ने केंद्र पर डाला आरोप

5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जान-माल की क्षति पर दुख व्यक्त किया और एक्स पर पोस्ट किया कि “दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन की स्थिति पर अधिकारी लगातार नजर रखे हुए हैं।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 6 अक्टूबर को उत्तर बंगाल रवाना होंगी ताकि स्थिति का जायजा ले सकें। उनके निर्देश पर पहले ही एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई है जो उत्तर बंगाल की गंभीर स्थिति पर नजर रखेगी। उन्होंने पर्यटकों से अपील की है कि वे इस समय यात्रा न करें और जहां हैं, वहीं सुरक्षित रहें।

पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री ने ताला डैम से पानी के बहाव का हवाला देते हुए उत्तर बंगाल की स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “स्थिति बहुत गंभीर है। लंबे समय तक लगातार हुई बारिश के कारण क्षेत्र की अधिकांश नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। 2011 से ही हम केंद्र सरकार से बार-बार आग्रह कर रहे हैं कि भारत-भूटान नदी आयोग का गठन किया जाए और इस वार्षिक समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। लेकिन केंद्र ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया,” राज्य के सिंचाई मंत्री मानस भूइयां ने इस संवाददाता से कहा।

भूइयां ने सिक्किम के बांध परियोजनाओं से उत्पन्न डाउनस्ट्रीम (नीचे की दिशा में) बाढ़ की समस्या और 2016 के बाद से आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र की मदद न मिलने की भी आलोचना की।

मंत्री के अनुसार, भूटान से करीब 72 बड़ी नदियाँ और धाराएं उत्तर बंगाल में प्रवेश करती हैं। ये ऊपरी क्षेत्रों से भारी मात्रा में पानी लेकर आती हैं, जिससे उत्तर बंगाल के जिलों में बाढ़ की स्थिति बन जाती है।

सिलीगुड़ी के पर्यावरणविद् अनीमेश बसु ने कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन हाल के वर्षों में स्थिति और बिगड़ी है। जलवायु परिवर्तन के कारण अब कम समय में अत्यधिक वर्षा की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसके साथ ही अधिकांश नदियों में गाद (सिल्ट) जमने से उनकी जलधारण क्षमता घट गई है, जिससे बाढ़ का खतरा और बढ़ जाता है।”