जलवायु

ग्लोबल वार्मिंग के चलते दक्षिण पूर्व एशिया में लगातार बढ़ेगी लू की घटनाएं: अध्ययन

Dayanidhi

लू अथवा हीटवेव तब चलती है जब लंबे समय तक तापमान लगातार कई दिनों तक निर्धारित सीमा से ऊपर होता है। यह आमतौर पर मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। हालांकि, दक्षिण पूर्व एशिया जैसे उष्णकटिबंधीय विकासशील देशों में हीटवेव के बारे में बहुत कम जानकारी है।

वैज्ञानिक लगातार लोगों को इस बारे में जानकारी देते रहे हैं कि दुनिया भर के औसत तापमान में वृद्धि होने के साथ ही भविष्य में चरम घटनाएं और इनकी तीव्रता में वृद्धि होगी। अब इस अध्ययन में बदलती जलवायु में लू (हीटवेव) की आवृत्ति, अवधि और तीव्रता सहित तीन चीजों कि जांच की गई है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की पांचवीं आकलन रिपोर्ट में भी सुझाव दिए गए है कि मौसमी और वार्षिक औसत तापमान में वृद्धि मध्य अक्षांशों की तुलना में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय में अधिक होने की आशंका है। इसका तात्पर्य है कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में दक्षिण पूर्व एशिया ग्लोबल वार्मिंग से अधिक पीड़ित हो सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ग्लोबल वार्मिंग के तहत दक्षिण पूर्व एशिया में लू (हीटवेव) में किस तरह बदलाव आएगा।

शोधकर्ताओं ने कम्युनिटी अर्थ सिस्टम मॉडल के आधार पर, विभिन्न ग्लोबल वार्मिंग स्तरों के तहत दक्षिण पूर्व एशियाई में लू (हीटवेव) में आने वाले बदलावों का अनुमान लगाया। अध्ययन के अनुसार भविष्य में दक्षिण पूर्व एशिया में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ ज्यादा बार हीटवेव आने तथा इसकी अवधि लंबी और अधिक तापमान वाली होने की आशंका जताई गई है। अलग-अलग जगहों के आधार पर लू (हीटवेव) में भी अंतर होगा। समुद्री महाद्वीप और इंडोचीन प्रायद्वीप के बीच ग्लोबल वार्मिंग की प्रतिक्रिया के आधार पर लू (हीटवेव) की विशेषताओं में अतंर हो सकता है।

शोधकर्ता ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशिया में लगभग 57.6 फीसदी भूमि हर 20 साल में कम से कम एक बार अत्यधिक गर्मी का सामना करेगी।

शोधकर्ता वांग लिन ने चेतावनी देते हुए कहा कि लू (हीटवेव) चलने की घटनाएं जो 50 वर्षों में केवल एक बार होती थी अब यह वर्तमान जलवायु में हो रहे बदलाओं के चलते हर बार हो सकती है। एक गर्म होती दुनिया में लू (हीटवेव) अब अधिक बार चलेगी और दक्षिण पूर्व एशिया में सालभर में इसके प्रभाव में लगातार बढ़ोतरी होगी।

बढ़ती गर्मी के दौरान लू (हीटवेव) एक वर्ष में कई बार चल सकती है। उदाहरण के लिए, 2.0 डिग्री सेल्सियस की ग्लोबल वार्मिंग के तहत, इंडोचीन में लगभग 50 लू (हीटवेव) वाले दिन देखे जा सकते हैं, जिसमें सबसे लंबी अवधि 10 दिनों से कम होती है। यह अध्ययन अर्थ फ्यूचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

हालांकि, जब वैश्विक औसत सतह का तापमान (जीएमएसटी) 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है, तो इंडोचीन और समुद्री महाद्वीप में क्रमशः 180 और 280 लू या हीटवेव वाले दिन होते हैं, अवधि तदनुसार बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि जो एक असामान्य घटना हुआ करती थी (यानी, हीटवेव) एक गर्म होती दुनिया में एक सामान्य घटना बन सकती है।