जलवायु

लगातार दूसरे दिन गर्मी ने बनाया रिकॉर्ड, 17.18 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचा वैश्विक औसत तापमान

मंगलवार चार जुलाई 2023 को अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया था। जब वैश्विक औसत तापमान 17.18 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था

Lalit Maurya

वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान नित नए रिकॉर्ड बना रहा है। जुलाई में अल नीनो के आगाज के साथ ही बढ़ते तापमान ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। इस बारे में अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रिडिक्शन (एनसीईपी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार चार जुलाई 2023 को अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया था। जब वैश्विक औसत तापमान 17.18 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था।

बढ़ते तापमान की यह प्रवत्ति पांच जुलाई 2023 को भी जारी रही। गौरतलब है कि इससे पहले तीन जुलाई 2023 को औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मतलब की जुलाई 2023 के शुरूआती सप्ताह में ही लगातार तीन दिनों से वैश्विक औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस बढ़ती गर्मी के लिए अल नीनो और बढ़ता उत्सर्जन जिम्मेवार है।

इस सप्ताह से पहले अगस्त 2016 में अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया था। जब वैश्विक औसत तापमान 16.92 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2016 में भी अल नीनो की घटना दर्ज की गई थी। यही वजह है कि 2016 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज है।

इससे पहले चार जुलाई 2023 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की घटना के आगाज की घोषणा कर चुका है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर वातावरण और समुद्र के औसत तापमान में होती वृद्धि के साथ-साथ लू, सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाओं पर भी नजर रखने की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में यह रिकॉर्ड फिर से टूट सकता है क्योंकि 'जुलाई अब तक का सबसे गर्म महीना हो सकता है।

इस बारे में जलवायु अनुसंधान संगठन बर्कले अर्थ से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक रोबर्ट रोहडे ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि, “एनसीईपी ने तीन जुलाई को अब तक का सबसे गर्म दिन बताया है, जोकि ग्लोबल वार्मिंग और अल नीनो के मिश्रित प्रभाव का नतीजा है।“ उनके अनुसार हम अगले छह सप्ताह में कुछ और गर्म दिन देख सकते हैं।

बढ़ते तापमान से बदहाल है धरती

अल नीनो, अल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) घटना का सामान्य से अधिक गर्म चरण है, जिसके दौरान भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) जिसे नीनो 3.4 के रूप में जाना जाता है, वो औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक गर्म हो जाता है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने भी आशंका जताई है कि पांच वर्षों में 2023 से 2027 के बीच वैश्विक तापमान में होती वृद्धि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगी। इस बारे में डब्ल्यूएमओ द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक करीब 66 फीसदी आशंका है कि इन पांच वर्षों में वैश्विक तापमान में होती वृद्धि औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगी। डब्ल्यूएमओ की मानें तो इसके लिए अल नीनो के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन जिम्मेवार है।

अमेरिका के नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आशंका जताई थी कि इस साल जून-जुलाई-अगस्त के बीच अल नीनो के घटने की 90 फीसदी सम्भावना है। आमतौर पर देखा जाए तो अल नीनो बनने के एक वर्ष के भीतर वैश्विक तापमान में वृद्धि दर्ज की जाती है।

हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) द्वारा जारी 'ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट' ने भी माना था कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। रिपोर्ट की मानें तो केवल यूरोप ही नहीं दुनिया में करीब 360 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं जो जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील हैं।

एक बात तो साफ है कि तापमान में हर दिन होती इस वृद्धि के साथ बारिश के पैटर्न में आता बदलाव और ध्रुवों पर घटती बर्फ, इस ओर स्पष्ट तौर पर इशारा करती है कि हमारा ग्रह बहुत तेजी से गर्म हो रहा है। ऐसे में यदि इसके लिए जिम्मेवार बढ़ते उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए अभी ठोस कदम न उठाए गए तो भविष्य में स्थिति इससे कहीं ज्यादा बदतर हो सकती है।