जलवायु

उत्पादन में वृद्धि के बावजूद वैश्विक एल्युमीनियम उद्योग ने उत्सर्जन में दर्ज की गिरावट

Lalit Maurya

इंटरनेशनल एल्युमीनियम इंस्टीट्यूट (आईएआई) के मुताबिक, उत्पादन में वृद्धि के बावजूद हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर एल्युमीनियम क्षेत्र से होते ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आई है।

इस बारे में जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक एल्युमीनियम उत्पादन में 3.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। गौरतलब है कि  जहां 2021 में वैश्विक एल्युमीनियम उत्पादन 10.4 करोड़ टन दर्ज किया गया था, वो 2022 में बढ़कर 10.8 करोड़ टन पर पहुंच गया। हालांकि इस दौरान ग्रीनहाउस गैसों का होता उत्सर्जन 112.7 करोड़ मीट्रिक टन से 2022 में घटकर 111.2 करोड़ मीट्रिक टन रह गया।  

वहीं यदि प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादन की उत्सर्जन तीव्रता को देखें तो इसमें 2019 से कमी आ रही है। बता दें कि यह उत्सर्जन तीव्रता प्रति टन प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादन से होते औसत उत्सर्जन को मापती है।

आंकड़ों के मुताबिक जहां 2021 में प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादन की उत्सर्जन तीव्रता 15.8 टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर मापी गई थी। वहीं 2022 में यह आंकड़ा 4.43 फीसदी की गिरावट के साथ घटकर 15.1 टन रह गया था। हालांकि देखने में यह गिरावट ज्यादा न लगती हो लेकिन यह इस बात को दर्शाता है कि उद्योग अपने उत्सर्जन में गिरावट के प्रयास कर रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक एल्युमीनियम क्षेत्र के वार्षिक उत्सर्जन में आती गिरावट के लिए कहीं न कहीं कार्बन इंटेंसिव तकनीकों के उपयोग में आती गिरावट और रीसायकल एल्युमीनियम का बढ़ता उपयोग है।

बता दें की एल्युमीनियम का उपयोग ऑटोमोटिव, परिवहन, बिल्डिंग एवं निर्माण, और खाद्य एवं पेय पैकेजिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है ऐसे में यह क्षेत्र इन सभी क्षेत्रों के उत्सर्जन में गिरावट में अहम भूमिका निभाता है। आंकड़ों के मुताबिक अपनी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्राथमिक एल्यूमीनियम का उत्पादन 2021 में 6.71 करोड़ टन से बढ़कर 2022 में 6.9 करोड़ टन पर पहुंच गया।

इस बारे में इंटरनेशनल एल्युमीनियम इंस्टीट्यूट के महासचिव माइल्स प्रॉसेर का कहना है कि, "हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्पादन में इजाफा करने के साथ-साथ उत्सर्जन में कमी लाना है।" उनके मुताबिक अर्थव्यवस्था के डीकार्बोनाइजेशन में इसके महत्व को देखते हुए आने वाले दशकों में एल्यूमीनियम की मांग काफी बढ़ सकती है। इससे क्षेत्र के उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है। हालांकि उद्योग सक्रिय रूप से प्रति टन उत्पादन के औसत उत्सर्जन को कम कर रहा है।

एल्युमीनियम क्षेत्र में बढ़ रहा अक्षय ऊर्जा का उपयोग

2022 के यह जो आंकड़े जारी किए गए हैं वो दर्शाता है कि उत्सर्जन की तीव्रता को कम करने के जो प्रयास किए जा रहे हैं वो सही दिशा में हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। उनके अनुसार 2022 पहला वर्ष है जब उत्सर्जन की तीव्रता में कटौती ने उत्पादन में वृद्धि को संतुलित कर दिया है।

उनका आगे कहना है कि, "वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उद्योग में जो बदलाव हमने देखें हैं उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण परिवर्तनों की आवश्यकता है।" उत्सर्जन में कटौती के इन प्रयासों को कहीं ज्यादा व्यापक और सशक्त करने की आवश्यकता है। हालांकि यह पहला मौका है जब हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

आईएआई के अनुसार पिछली बार 2009 में जब वैश्विक स्तर पर वित्तीय संकट के बादल छाए थे तब एल्युमीनियम उद्योग के उत्सर्जन में वृद्धि नहीं हुई थी। हालांकि उत्सर्जन में यह गिरावट, उत्पादन में कमी के साथ मेल खाती है।

वहीं हालिया रुझान अनुसंधान, विकास, नई प्रौद्योगिकियों के साथ नवीन तरीकों और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को अपनाने में उद्योग के महत्वपूर्ण निवेश का परिणाम हैं। इंटरनेशनल एल्युमीनियम इंस्टीट्यूट 50 से अधिक परियोजनाओं पर नजर रख रहा है, जो ऐसा करने में मदद कर रही हैं।

एक बड़ा बदलाव जो एल्युमीनियम उद्योग के उत्सर्जन को कम करने में कारगर रहा है, वह है बिजली आपूर्ति में आया बदलाव। जो एल्युमीनियम उद्योग से होते ग्रीनहाउस गैसों का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। चीन, जो दुनिया में सबसे अधिक एल्युमीनियम उत्पादित करता है वो इसके लिए जलविद्युत पर जोर दे रहा है। इसी तरह मध्य पूर्व और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य क्षेत्रों में भी एल्युमीनियम उत्पादन के लिए अक्षय ऊर्जा का चलन बढ़ रहा है। 

यह बदलाव उत्सर्जन में कटौती करने में मददगार रहा है। इसके साथ ही, प्रदूषण को कम करने के लिए अन्य प्रौद्योगिकियों में भी निवेश किया जा रहा है, जैसे एल्यूमिना रिफाइनिंग की प्रक्रिया में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना, इसके साथ-साथ एल्यूमीनियम को अधिक कुशलता से पुनर्चक्रित करना इसमें शामिल हैं।