जलवायु

अगले 20 साल में और बढ़ेगा खाद्य संकट, राजनीतिक अस्थिरता भी होगी एक वजह

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि पानी के संकट के साथ-साथ गर्मी, लू, सूखा, बाढ़ के अलावा राजनीतिक अस्थिरता के कारण खाद्य असुरक्षा में वृद्धि होने की आशंका है

Dayanidhi

जलवायु में बदलाव, आर्थिक या राजनीतिक अस्थिरता और कीट या महामारी के कारण होने वाली चरम घटनाएं दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा को बढ़ा सकती हैं। इस तरह की घटनाएं खेती और मत्स्य पालन उत्पादकता को कम करके, इस पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करती है तथा खाद्य वितरण और सार्वजनिक सेवा वितरण को बाधित करते हैं।

एक नए अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में पानी की बढ़ती मांग अगले 20 वर्षों में खाद्य सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने आएगी। इसके बाद गर्मी, लू, सूखा, आय की असमानता और राजनीतिक अस्थिरता के दौरान एक ऐसी कृषि की जरूरत पड़ेगी जो दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा से निपटने में महत्वपूर्ण हो। यह अध्ययन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय की अगुवाई में किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 2020 में भूख के पिछले सारे रिकॉर्ड पार हो चुके हैं और कई देशों में तीव्र खाद्य असुरक्षा इस वर्ष भी बदतर हो सकती है।

ये खतरे नए नहीं हैं, राजनीतिक संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय प्रभावों को पहले ही दुनिया भर में मापा और अध्ययन किया जा चुका है। हालांकि नए अध्ययन में पाया गया है कि शोध के इन क्षेत्रों के बीच सहयोग में वृद्धि न केवल इन खतरों में से किसी एक के सामने वैश्विक खाद्य असुरक्षा को दूर कर सकती है, बल्कि उन सभी के खिलाफ इसे मजबूती भी प्रदान कर सकती है।

अध्ययनकर्ता और पर्यावरण के सहायक प्रोफेसर जिया मेहराबी ने कहा हम यहां और वहां व्यक्तिगत समस्याओं से निपटने की कोशिश करने के बजाय सामान्य रूप से अधिक रेसिलिएंट या लचीली खाद्य प्रणालियों के निर्माण संबंधी तरीकों को समर्थन देते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस प्रणाली के लिए एक जलवायु, पर्यावरणीय या राजनीतिक झटका है, यदि आपके पास लचीली प्रणाली है, तो वे सभी विभिन्न प्रकार के झटकों से निपटने में सक्षम होंगे।

विश्व बैंक के एक हालिया विश्लेषण के मुताबिक, यूक्रेन में युद्ध से आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कोविड-19 महामारी के निरंतर आर्थिक परिणाम ने खाद्य की कीमतों को सबसे उच्च स्तर पर धकेल दिया हैं। यह संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक के लक्ष्य जिसमें सभी रूपों में भूख, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करना था, यह इसे पीछे धकेल रहा है। इसके अलावा, गर्मी, बाढ़ और सूखा जैसी चरम मौसम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

जबकि शोधकर्ता और नीति निर्माता खाद्य प्रणालियों के लचीलेपन में सुधार के लिए समाधान विकसित कर रहे हैं, वे अक्सर एक समय में एक समस्या से निपटने के काम को अंजाम दे रहे हैं। नए अध्ययन में खाद्य प्रणालियों के लिए विशिष्ट खतरों का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है, ताकि निर्णय लेने वालों के पास व्यापक जानकारी, अपडेटेड मॉडल और प्रासंगिक उपकरण हो जो खतरा होने पर उनसे निपटने में सक्षम हों।

संघर्ष, जलवायु में बदलाव और इनसे निपटने की क्षमता

कोविड-19 महामारी से पहले, 2019 में, शोधकर्ताओं ने खाद्य सुरक्षा से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में 69 वैश्विक विशेषज्ञों का सर्वेक्षण किया। उन्होंने अगले दो दशकों में अपने प्रभाव और संभावना दोनों के आधार पर 32 शीर्ष खाद्य सुरक्षा से संबंधित खतरों को स्थान दिया।

उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन के कारण कई पर्यावरणीय घटनाएं - जैसे कि अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा पर सबसे अधिक बुरे प्रभाव डाल सकते हैं। उनके प्रभाव और संभावना दोनों को ध्यान में रखते हुए, पानी की मांग में वृद्धि, सूखा, गर्मी या लू और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का पतन को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

फिर भी उन्होंने यह भी पाया कि आय असमानता, दुनिया भर में मूल्य बढ़ने और राजनीतिक अस्थिरता तथा प्रवास द्वारा प्रस्तुत खाद्य सुरक्षा के लिए खतरे अगले दो दशकों में इन सबके होने की बहुत अधिक आशंकाएं हैं, इन खतरों को शीर्ष 10 में लाना अहम है।

दुनिया की आधी से अधिक खाद्य असुरक्षित आबादी संघर्ष वाले क्षेत्रों में रहती है। ये क्षेत्र वो है जहां राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद, नागरिक अशांति या सशस्त्र संघर्ष होता है। इन संघर्षों के कारण होने वाले प्रवास और विस्थापन को अगले 20 वर्षों में वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए शीर्ष 5 सबसे संभावित खतरों में स्थान दिया गया है।

महराबी ने कहा खाद्य सुरक्षा उत्पादन की समस्या नहीं है, यह वितरण, पहुंच और गरीबी की समस्या है जिसके कारण संघर्ष बढ़ गया है। संघर्ष न केवल लोगों को अधिक संवेदनशील बनाता है, बल्कि उनके ढलने या अनुकूलन करने की उनकी क्षमता को भी सीमित करता है।

यह संघर्ष भी नया नहीं है, यूक्रेन में संघर्ष और इथियोपिया में चल रहे गृहयुद्ध से पहले, सीरिया, यमन और अन्य जगहों पर गृहयुद्धों ने क्षेत्रीय और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया है।

महराबी ने कहा यदि हम पहले से ही इन संघर्ष और चरम घटनाओं को हल करने पर ध्यान देते तो, कोविड होने के बाद हम बहुत बेहतर स्थिति में होते।

खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए शोध

शोधकर्ताओं ने सर्वेक्षण किए गए विशेषज्ञों से यह भी पूछा कि इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी उत्कृष्ट शोध प्राथमिकताएं क्या हैं और वैज्ञानिकों तथा नीति निर्माताओं को किन शीर्ष 50 प्रश्नों पर ध्यान देना चाहिए।

कई प्राथमिकता वाले अलग-अलग खाद्य प्रणालियां हैं, क्योंकि अधिक विविध संस्थाएं आमतौर पर अधिक स्थिर होती हैं। उदाहरण के लिए, यूक्रेन ने 2021 में वैश्विक गेहूं निर्यात का 10 फीसदी और विश्व खाद्य कार्यक्रम की गेहूं की आपूर्ति का 40 फीसदी प्रदान किया, 2022 में देश पर रूस के हमलों से आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित हुई।

महराबी ने कहा जबकि हम इस चीज को नहीं बदल सकते हैं जहां कृषि भूमि वितरित की जाती है,  शोधकर्ता और नीति निर्माता पूछ सकते हैं कि देश अपने खाद्य उत्पादन को स्थान और पोषण उत्पादन दोनों के मामले में कैसे विविधता प्रदान कर सकते हैं?

शोधकर्ता बेहतर खाका बनाने और पूर्वानुमान भी लगा सकते हैं, जो चरम घटनाओं से पहले, दौरान और बाद में खाद्य सुरक्षा को संरक्षित करने के लिए सक्रिय कदमों को की जानकारी दे सकते हैं। मेहराबी बताते हैं कि हमारे मानचित्रों के आंकड़ों का संग्रह आज शोधकर्ताओं के पास र्वानुमान लगाने के लिए उपलब्ध उन्नत उपकरणों के साथ तालमेल नहीं बिठाता है, कई मॉडल जमीनी स्तर पर माप से मेल खाने के साथ मान्य नहीं हैं।

महराबी ने कहा हम इसे अभी अपनी दुनिया में होते हुए देख सकते हैं, संघर्ष और जलवायु खराब हो रही है। रुझान दिखाते हैं और विशेषज्ञ सहमत हैं, यह भविष्य में और भी खराब हो सकता है। हम ऐसे खाद्य प्रणालियों का निर्माण और संचालन कैसे करेंगे जो सभी प्रकार के झटके और चरम घटनाओं के लिए लचीले हों? हमें इस बारे में सोचना शुरू करना होगा कि हम उन सभी प्रणालियों का निर्माण कैसे कर सकते हैं जो उन सभी के अनुरूप ढल सके या अनुकूलित हो सकें। यह रिपोर्ट वन अर्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है।