जलवायु

उत्तर-पश्चिम के सूबों में 1300 फीसदी तक ज्यादा वर्षा: टूट कर गिर रहे भुरभुरे पहाड़ और मकान

Vivek Mishra, Varsha Singh

18 अगस्त, 2019 भारतीय मौसम विभाग के इतिहास में लाल निशान के साथ दर्ज हो चुका है। हिमाचल प्रदेश में एक ही दिन में इतनी बारिश हो गई कि न भुरभुरे पहाड़ संभल रहे हैं और न ही आम जनजीवन के लिए पहाड़ों पर कोई ठौर बचा है। बारिश और बाढ़ के इस सिलसिले में करीब 11 वर्षों बाद असमय बर्फबारी भी हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में हुई। मौसम विभाग के मुताबिक केल्यांग में 3 सेंटीमीटर बर्फबारी दर्ज की गई। जानकार इसे जलवायु परिवर्तन की निशानी कह रहे हैं। अकेले हिमाचल ही नहीं उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान भी यही भोग रहे हैं। इन चार राज्यों में अल्पअवधि वाली भारी वर्षा के चलते करीब 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान आंका जा रहा है। 18 अगस्त को उत्तर-पश्चिमी राज्यों के कुछ इलाकों में सामान्य से 1300 फीसदी तक ज्यादा भीषण बारिश हुई। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने न ही इसका कोई पूर्वानुमान लगाया था और न ही किसी तरह का अलर्ट पहले से लोगों के बीच जारी किया गया था।  

2019 में हिमाचल प्रदेश में बारिश काफी भारी बीत रही है। 17-18 अगस्त को राज्य के सभी जिलों में भारी बारिश हुई जिसके चलते 25 लोगों की मौत हो गई। सबसे अधिक मौतें (11) शिमला में हुई हैं। 18 नेशनल हाईवे समेत 887 सड़कें बंद हो गईं। शिमला में कहीं-कहीं सड़कें पूरी तरह टूट गईं। बंद रास्तों को खोलना और स्थानीय लोगों-पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना राज्य के लिए चुनौती बना हुआ है। उत्तर-पश्चिमी राज्यों में 18 अगस्त को भारी वर्षा को जानकार जलवायु परिवर्तन ही मानते हैं।

हिमाचल में 1064 तो पंजाब में 1300 फीसदी अधिक बारिश

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में 18 अगस्त को सामान्य 8.8 मिलीमीटर से 1064 फीसदी ज्यादा 102.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। यह अब तक हिमाचल के इतिहास में एक दिन में होने वाली सर्वाधिक वर्षा है। इससे पहले 2011 में 14 अगस्त को राज्य में 74 मिलीमीटर वर्षा का रिकॉर्ड दर्ज हुआ था। इसी तरह पंजाब में भी 18 अगस्त को सामान्य वर्षा 5 मिलीमीटर से 1300 फीसदी ज्यादा 70 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। चंडीगढ़ में सामान्य 6.3 मिमी फीसदी से 1066 फीसदी ज्यादा 73.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सामान्य 4.4 मिमी फीसदी से 425 फीसदी ज्यादा 23.1 फीसदी वर्षा दर्ज की गई है। हरियाणा में सामान्य 4.3 मिमी से 382 फीसदी ज्यादा 20.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। उत्तराखंड में सामान्य 13.2 मिमी से 159 फीसदी ज्यादा 34.3 मिलीमीटर वर्षा और राजस्थान में सामान्य 4.6 मिमी से 82 फीसदी ज्यादा 8.4 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।

पूरे सीजन की 30 फीसदी वर्षा एक दिन में

शिमला मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया कि शनिवार-रविवार को राज्य के सभी जिलों में भारी बरसात हुई है। सबसे अधिक 252.5 मिमी. बारिश बिलासपुर जिले में हुई है जो कि सामान्य (9.4 मिमी) से 2586 प्रतिशत अधिक रही। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक बिलासपुर में पूरे सीजन में 867 मिलीमीटर वर्षा हुई जबकि अकेले 18 अगस्त को (252.5 एमएम) पूरे सीजन की 30 फीसदी वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसी तरह सोलन में 114.2 मिमी बारिश दर्ज की गई जो सामान्य से 1090 प्रतिशत अधिक थी। शिमला में 104.8 प्रतिशत बारिश हुई जो सामान्य से 2039 प्रतिशत अधिक थी। वहीं, भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पंजाब के बरनाला में सामान्य 2.4 मिमी से 3608 फीसदी ज्यादा वर्षा 18 अगस्त को दर्ज की गई है। बरनाला में 89 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। नवाशहर में 3344 फीसदी ज्यादा वर्षा हुई। यहां सामान्य 6.9 मिलीमीटर की तुलना में 237.7 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।

यह बर्बादी हिमाचल में क्यों?  

हिमाचल प्रदेश के जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना में यह बात स्पष्ट तौर पर कही गई थी कि हिमालय पर पेड़ों की कटाई, भूस्खलन, मरुस्थलीकरण, ग्लेशियर की झीलों से पैदा होने वाली बाढ़ बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद विकास कार्यों में इनका ध्यान नहीं रखा गया। जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना 2012 में बनाई गई थी तबसे अब तक कई पहाड़ों को काटकर नुकसान पहुंचाया गया या तो कैचमेंट एरिया में ही मकान बना दिए गए। यही 2013 में उत्तराखंड त्रासदी के वक्त भी देखने को मिला था। हिमाचल प्रदेश की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि गर्मी के दिनों में सूखा और बरसात के दिनों में भारी वर्षा से बाढ़ और नुकसान को आंका जा रहा है जो कि भविष्य में और तीव्र होगा।

कैचमेंट एरिया या पहाड़ों को काटकर बनाए गए मकान

दिल्ली मौसम विभाग के मौसम विज्ञानी आनंद शर्मा कहते हैं कि ईस्टर्न और वेस्टर्न सिस्टम के आपस में मिलने, बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर सिस्टम बनने और राजस्थान के आसपास तक आने के चलते हिमाचल में इस तरह की भारी बरसात हुई। वे बताते हैं कि राजस्थान के आसपास जब ईस्टर्न और वेस्टर्न डिस्टरबेंस मिलते हैं तो खासतौर पर यमुना के कैचमेंट एरिया में ज्यादा बारिश होती है। जिससे हिमाचल और उत्तराखंड तक बारिश बढ़ जाती है। वे कहते हैं कि हिमालयी क्षेत्र बेहद संवेदनशील हैं। यहां विकास के नाम पर हो रहे निर्माण कार्यों के लिए लैंड यूज़ को बदल दिया गया है। बारिश मे जो भी भवन टूट रहे हैं, ज्यादातर नदी के कैचमेंट एरिया या पहाड़ों को काटकर बनाए गए हैं। हिमालय के भू-विज्ञान को समझे बिना बेतरतीब निर्माण कार्यों के चलते नुकसान बढ़ जाता है। जबकि मौसम के लिहाज़ से इस तरह की बारिश कभी भी हो सकती है।

फिलहाल हालात पर काबू करने का दावा

शिमला में राज्य आपदा प्रबंधन विभाग में कार्यरत विवेक शर्मा ने बताया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। मुख्य मार्ग खोल लिए गए हैं, साथ ही लिंक रोड को खोलने का काम किया जारी है। उन्होंने बताया कि आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये राज्य के सभी विभागों और अथॉरिटी के साथ की। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले संपर्क मार्गों को खोलने के निर्देश दिये हैं। इसके बाद पानी-बिजली की आपूर्ति और कनेक्टिविटी बहाल करने के निर्देश दिये गये हैं। इसके साथ ही पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के फैलने का खतरा देखते हुए सभी जिलों के सीएमओ को अलर्ट पर रहने को कहा गया है। सभी जगह दवाइयों की आपूर्ति करायी जा रही है। आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि भूस्खलन के चलते जगह-जगह फंसे यात्रियों और पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। जिन जगहों पर लोग अब भी फंसे हुए हैं वहां स्थानीय लोगों की तरफ से भोजन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्होंने बताया गया कि नालागढ़ में भवन गिरने की वजह से पंचकूला से एनडीआरएफ टीम बुलायी गई। इसके अलावा स्थानीय आपदा राहत टीमें बचाव कार्य में जुड़ी हुई हैं।

हिमाचल में इस हफ्ते की बारिश

हिमाचल प्रदेश में 19 अगस्त तक के हफ्ते तक की बात करें तो बिलासपुर जिले में 323.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जबकि सामान्य बारिश 66.7 मिमी तक रिकॉर्ड होती रही है। इसी तरह चंबा में 211.9 मिमी (सामान्य वर्ष 77.8 मिमी), हमीरपुर में 239 मिमी. (सामान्य 86.5 मिमी), कांगड़ा में 253.1 मिमी. (सामान्य 146 मिमी.) किन्नौर में 34 मिमी.(सामान्य 19.1 मिमी), कुल्लू- 157.9 मिनी (सामान्य 38 मिमी.), लाहौल स्पीती- 63 मिमी.(सामान्य 28.5 मिमी.), मंडी 210.5 मिमी.(सामान्य 87.5 मिमी), शिमला 164.5मिमी (सामान्य 47.7 मिमी) सिरमौर 266.2 मिमी (सामान्य 128.6 मिमी), सोलन 240.1 मिमी(सामान्य 81.6 मिमी), उना 172.7 मिमी.(सामान्य 79.9 मिमी.) रिकॉर्ड की गई है।