जलवायु

चरम मौसम की घटनाएं बाल विवाह में बढ़ोतरी के लिए हैं जिम्मेवार: अध्ययन

अध्ययन के मुताबिक, 30 दिनों से अधिक समय तक चलने वाली लू वाले सालों में, 11 से 14 वर्ष की लड़कियों की शादी होने के आसार 50 फीसदी से अधिक पाए गए

Dayanidhi

दुनिया भर में विनाशकारी मौसम की घटनाओं के बुरे प्रभावों में से एक कम उम्र में विवाह में वृद्धि होना है, जिसे अधिकतर मामलों में नजरअंदाज कर दिया जाता है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा सूखे, बाढ़ और अन्य चरम मौसम की घटनाओं को लेकर कम और मध्यम आय वाले देशों में बच्चों की जल्दी और जबरन विवाह में वृद्धि से जुड़े 20 अध्ययनों की समीक्षा की गई।

अध्ययन के हवाले से, प्रमुख अध्ययनकर्ता फियोना डोहर्टी ने कहा कि, कुल मिलाकर, अध्ययन समस्या का ठोस सबूत सामने लाता है। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि चरम मौसम का बाल विवाह पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

डोहर्टी ने कहा, ये आपदाएं लैंगिक असमानता और गरीबी की मौजूदा समस्याओं को बढ़ाती हैं जो परिवारों को समाधान के रूप में बाल विवाह की ओर ले जाती हैं। यह अध्ययन हाल ही में इंटरनेशनल सोशल वर्क जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

दुनिया भर में, पांच में से एक लड़की की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है, कम और मध्यम आय वाले देशों में यह संख्या 40 फीसदी तक बढ़ जाती है।

अध्ययन के हवाले से ओहियो राज्य में सामाजिक कार्य की सहायक प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है

उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन के बीच बाल विवाह और चरम मौसम से जुड़ी जटिलताएं और भी बदतर हो जाएंगी।

शोधकर्ताओं ने 1990 से 2022 के बीच प्रकाशित 20 अध्ययनों की जांच पड़ताल की, जिसमें यह पता लगाया गया कि, कैसे चरम मौसम बच्चों, ज्यादातर लड़कियां, जो 18 वर्ष से कम उम्र की थी, उनके विवाह से संबंधित था। अधिकांश अध्ययन एशिया और अफ्रीका में कम और मध्यम आय वाले देशों में किए गए थे, जिसमें बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, केन्या, नेपाल और वियतनाम शामिल हैं।

जहां सूखा और बाढ़ सबसे आम आपदाएं थीं, लेकिन अन्य अध्ययनों में अन्य मौसम की घटनाओं के अलावा चक्रवात और अधिक तापमान के प्रभाव को भी देखा गया।

प्रमुख अध्ययनकर्ता ने कहा कि, अध्ययनों में विभिन्न कारणों से बाल विवाह पर आपदाओं के प्रभावों का पता चला है।

बांग्लादेश के एक अध्ययन में पाया गया कि 30 दिनों से अधिक समय तक चलने वाली लू वाले सालों में, 11 से 14 वर्ष की लड़कियों की शादी की आशंका 50 फीसदी अधिक पाई गई और 15 से 17 वर्ष की लड़कियों की शादी के आसार 30 फीसदी अधिक थी। इसका एक प्रमुख कारण केवल आर्थिक कमजोरी को माना गया है।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि, बाल विवाह को अक्सर आर्थिक कमजोरी और खाद्य असुरक्षा को कम करने की एक रणनीति के रूप में देखा जाता है, जिसका सामना एक परिवार किसी आपदा के कारण कर रहा होता है।

उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया कि बांग्लादेश में चक्रवात आइला के बाद परिवारों पर आर्थिक और भोजन के बोझ को कम करने के लिए बेटियों की शादी जल्दी कर दी गई। परिवारों में अक्सर काम के लिए लोगों की कमी को पूरा करने के लिए कभी-कभी कम उम्र में विवाह को भी प्रोत्साहित किया जाता था।

अध्ययन में कहा गया है कि, जब केन्या में सूखे ने जल स्रोतों और पशुपालन को खतरे में डाल दिया, तो एक अध्ययन में पाया गया कि युवा दुल्हनों को भोजन और पानी खोजने के लिए लंबी दूरी तक चलने जैसी बढ़ती श्रम मांगों में मदद करने के लिए कहा गया था।

दुल्हन की कीमत और दहेज जैसे क्षेत्रीय रीति-रिवाजों को बाल विवाह और चरम मौसम के बीच संबंध में प्रमुख कारण के रूप में पाया गया।

अध्ययनों से पता चला है कि उप-सहारा अफ्रीका और वियतनाम जैसे क्षेत्रों में जहां दुल्हन की कीमत का चलन है, दूल्हे का परिवार दुल्हन के परिवार को उसकी कीमत चुकाता है, सूखे और भारी वर्षा के दौरान लड़कियों की शादी के लिए मजबूर होने के आसार बढ़ जाते हैं।

इसके विपरीत, शोध में पाया गया कि भारत के कई इलाकों में जहां दहेज आम है, दुल्हन का परिवार दूल्हे के परिवार को रुपये सहित कई तरह की चीजें देता है, सूखे वर्ष के दौरान लड़कियों की शादी करने की संभावना कम पाई गई, हो सकता है कि, इन सालों में दुल्हन का परिवार दहेज देने में असमर्थ हो।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि, आर्थिक कारणों से परे, अध्ययनों से पता चला है कि मौसम की आपदाओं से कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, जिसके कारण अधिक बाल विवाह होते हैं।

बाढ़, चक्रवात और अन्य आपदाओं से विस्थापित हुए लोग अक्सर शिविरों में पहुंच जाते थे जहां युवा लड़कियों को यौन उत्पीड़न और हिंसा के लिए निशाना बनाया जाता है।

सह-अध्ययनकर्ता ने कहा, कभी-कभी परिवारों ने इन स्थितियों में अपनी युवा बेटियों को उत्पीड़न और यौन हिंसा से बचाने के लिए उनकी शादी करने का विकल्प चुना। लेकिन एक प्रमुख कारक शिक्षा थी जिसने बच्चों को शादी के लिए मजबूर होने से बचाने में मदद की। हमने पाया कि शिक्षा ने लड़कियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अध्ययन में पाया गया कि जो लड़कियां शिक्षित थीं, उनकी जल्दी शादी होने की संभावना कम थी। इसके अलावा, अध्ययनों से पता चला है कि जैसे-जैसे माता-पिता की शिक्षा बढ़ती गई, उनकी बेटियों की कम उम्र में शादी करने की संभावना कम होती गई।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, जबकि शिक्षा बाल विवाह से बचाने में अहम भूमिका निभाती है, इसके साथ और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। एक स्पष्ट विकल्प बाल विवाह के खिलाफ कानून का होना और उसको मजबूती से लागू किया जाना है। एक अन्य कारण में परिवारों को आर्थिक कठिनाइयों से जूझने में मदद करना है जिसके कारण अक्सर उन्हें बेटियों की शादी करनी पड़ती है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता ने बताया कि, हमने बाल विवाह के मुख्य कारण के पीछे लैंगिक असमानता को पाया। हमें महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और वित्तीय नियंत्रण के साथ सशक्त बनाने के तरीके खोजने की जरूरत है जो उन्हें अपने निर्णय लेने में मदद करेंगे।

अध्ययनकर्ताओं ने गौर किया कि उनके द्वारा विश्लेषित सभी अध्ययन कम और मध्यम आय वाले देशों में किए गए थे, इसलिए क्योंकि उन्हें अधिक आय वाले देशों में इस तरह के कोई अध्ययन नहीं मिले।

उन्होंने कहा, लेकिन चरम मौसम संबंधी आपदाओं के कारण अमेरिका सहित अधिक आय वाले देशों में बाल विवाह भी बढ़ सकता है।

सह-अध्ययनकर्ता ने कहा, हमें अंतर और अतिरिक्त कारणों को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है जो, उच्च आय वाले देशों सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में चरम मौसम की घटनाओं और बाल विवाह के बीच संबंध को प्रभावित कर सकते हैं।